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नई दिल्ली. अधिकांश लोग तांबे के बर्तन में पानी रखने या तांबे के कप से पानी पीने की देसी परंपरा में विश्वास करते हैं. लेकिन इस परंपरा में कितनी सच्चाई है? क्या यह वास्तव में फायदेमंद है या सिर्फ एक कही-सुनी हुई बात है. हेल्थलाइन के अनुसार, तांबा एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है और शरीर के अधिक आवश्यक कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जैसे कि शरीर में ऊर्जा पैदा करना और दिमाग की कैमिकल मैसेज सिस्टम को ठीक रखने में अहम भूमिका निभाता है.
आप शेलफिश, नट्स, बीज, आलू, डार्क चॉकलेट और ऑर्गन मीट जैसे खाद्य पदार्थों में कॉपर की प्रचुर मात्रा पा सकते हैं. कॉपर दिमाग और हृदय स्वास्थ्य में सुधार करता है और इसमें एंटीबैक्टीरियल प्रभाव भी होता है. तांबे के कप या बर्तन में 48 घंटे से अधिक समय तक पानी रखने से भी पानी में हानिकारक बैक्टीरिया मर सकते हैं.
कॉपर में होते हैं एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण
डायटीशियन जिनल पटेल का कहना है कि तांबा पाचन में सुधार करने में मदद करता है और कब्ज और एसिडीटी से राहत दिलाता है. कॉपर में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं, इसलिए यह इम्यूनिटी को भी बढ़ाता है. तांबे के बर्तन में रखा पानी एल्कालाइन होता है और इसलिए इसे पीने से शरीर को ठंडक भी मिलती है.
कॉपर के बर्तन में पानी पीने से पित्त और कफ की शिकायत होती है दूर
आयुर्वेद तांबे के बर्तन से पीने के बारे में क्या कहता है, इस पर डायटीशियन गरिमा गोयल ने कहा कि प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों का दावा है कि तांबे के बर्तन से पानी पीने से शरीर के तीन दोष वात, पित्त और कफ ठीक हो जाते हैं. खाना खाने और पचाने से टॉक्सिन्स निकलते हैं और शरीर में गर्मी पैदा होती है. कॉपर युक्त क्षारीय (एल्कालाइन) पानी शरीर के एसिड को संतुलित करता है और शरीर को ठंडा भी करता है. इसलिए मैं कॉपर के बर्तन में पानी पीना पसंद करूंगी, खासकर गर्मी के दौरान.
सुबह खाली पेट कॉपर के कप से पीये पानी
विशेषज्ञ के अनुसार, सभी स्वास्थ्य लाभों का लाभ उठाने के लिए सबसे उपयुक्त समय सुबह खाली पेट होगा. लेकिन याद रखने वाली बात यह है कि कॉपर एक ट्रेस मिनरल है जिसकी शरीर को कम मात्रा में आवश्यकता होती है. इसलिए कभी भी इसका अधिक सेवन नहीं करना चाहिए. क्योंकि इससे कॉपर टॉक्ससिटी हो सकती है.
ज्यादा कॉपर के सेवन से हो सकती है परेशानी
हेल्थलाइन के मुताबिक भी तांबे का अधिक सेवन करने से शरीर में कॉपर टॉक्सिसीटी हो सकती है. इसके चलते मतली, उल्टी, पेट में दर्द और दस्त की शिकायत शुरू हो सकती है. यहां तक कि इससे लीवर डैमेज और किडनी की बीमारी भी हो सकती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, एक व्यक्ति को प्रति कप (2 मिलीग्राम प्रति लीटर) पानी में 0.47 मिलीग्राम कॉपर से अधिक नहीं होना चाहिए. दिन के अंत में, सब कुछ मॉडरेशन में किया जाना चाहिए. किसी भी चीज की शरीर में अधिकता ना हो और आपको स्वास्थ्य लाभ देने के लिए केवल एक चीज़ पर बहुत अधिक भरोसा न करें.
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Tags: Health News
FIRST PUBLISHED : January 08, 2023, 19:58 IST
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