आपकी इन लापरवाही से आपके बच्चे हो रहे हैं डिप्रेशन का शिकार…ऐसे करें सिचुएशन पर काबू

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Depression In Kids: बच्चे बड़े या बुजुर्ग आजकल स्मार्टफोन हर किसी की जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन चुका है. लेकिन बच्चों में इसकी एडिक्शन देखने को मिल रही है. इसकी एक वजह कोरोना महामारी भी है क्योंकि जब लॉकडाउन हुआ तब ऑनलाइन क्लासेज के लिए बच्चों ने मोबाइल और लैपटॉप का ही सहारा लिया. लेकिन अब इसकी जरूरत खत्म होने के बाद भी इसका इस्तेमाल रुका नहीं है. रिपोर्ट्स के मुताबिक लगभग 23 फ़ीसदी से ज्यादा बच्चे सोने से पहले बिस्तर पर स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं. इससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ रहा है. कुछ रिपोर्ट तो यह भी कहती है कि स्मार्टफोन के ही इस्तेमाल के चलते बच्चे डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं. आईए जानते हैं कि स्मार्टफोन और डिप्रेशन के बीच क्या कनेक्शन है और किस तरह से मां-बाप की लापरवाही की वजह से बच्चों में इसका इस्तेमाल कुछ ज्यादा बढ़ गया है.

डिप्रेशन और स्मार्टफोन के बीच कनेक्शन

जरूर से ज्यादा स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने के चलते बच्चों का सामाजिक अलगाव हो जाता है. बच्चे मोबाइल में ही इतना खोए रहते हैं कि उन्हें अपने आसपास में होने वाले किसी भी घटना से कोई फर्क नहीं पड़ता है. कई बार देखा गया है कि घर में कोई गेस्ट भी आते हैं तो बच्चे उनसे मिलने जुलने की बजाए फोन में लगे रहते हैं. इसके अलावा फोन इस्तेमाल करने के चलते स्लीपिंग पैटर्न भी खराब हो जाता है. बच्चों को 8 घंटे की प्रॉपर नींद नहीं मिल पाती है. इसकी वजह से चिड़चिड़ापन फोकस में कमी बनी रहती है. वहीं स्मार्टफोन के इस्तेमाल से बच्चे बाहर जाकर खेलना कूदना बंद कर देते हैं यानी कि शारीरिक गतिविधि कम हो जाती है ब्रेन का विकास ठीक से नहीं हो पाता है, इसके अलावा आपका बच्चा चार लोगों के बीच में बातचीत करने में हिचकिचाहट महसूस करने लगता है और ये सारी समस्याएं मिलकर डिप्रेशन के लक्षणों को बढ़ावा देती है.

मोबाइल की लत के लिए मां बाप जिम्मेदार

अक्सर मां बाप अपने बच्चों को खुद ही स्मार्टफोन पकड़ाते हैं और उन्हें ये देखकर खुशी होती है कि उनका बच्चा स्मार्टफोन में सब कुछ कर लेता है जो एक बड़ा आदमी नहीं कर सकता. उन्हें लगता है कि बच्चा कितना स्मार्ट है. लेकिन छोटी सी गलती आगे जाकर यह बुरी आदत बन जाती है.  कई बार मां-बाप का यह भी कहना होता है कि अगर फटाफट स्कूल का काम कर लोगे तो मोबाइल मिल जाएगा या फिर खाना खाओगे तो मोबाइल मिल जाएगा. ऐसी कुछ शर्ते बच्चों के सामने अक्सर रखी जाती है इसके लालच में बच्चा फटाफट काम तो फटाफट निपटा लेता है लेकिन उसका ध्यान मोबाइल पर ही लगा रहता है. कई बार माता-पिता खुद के ऑफिस वर्क में इतने बिजी रहते हैं कि बच्चों को टाइम ही नहीं दे पाते और बच्चों से पीछा छुड़वाने के लिए उन्हें स्मार्टफोन थमा देते हैं. इसके अलावा माता पिता खुद ही मोबाइल फोन में लगे रहते हैं तो ऐसे में आपके बच्चे को लगता है कि इसका इस्तेमाल सही है.

कैसे छुड़वाएं लत

  • अगर बच्चों से मोबाइल फोन की लत को छुड़वाना है तो आपको सख्त बनने की जरूरत है.
  • खुद भी मोबाइल फोन से दूरी बनाएं ऐसा करने से इसका सीधा असर आपके बच्चे पर पड़ेगा.
  • अगर आपका बच्चा सुबह उठते ही मोबाइल देखने की जिद करता है तो मोबाइल को उसकी नजरों से दूर कर दें
  • बच्चों के साथ टाइम स्पेंड करें, उनके साथ बाहर खेलने जाएं, योग और एक्सरसाइज करें, साथ में प्लांट लगाएं
  • रात में सोते वक्त खुद भी मोबाइल से दूरी बनाएं और बच्चों को भी दूर रखें.

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