गुजरात25 मिनट पहले
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मन मनमोहन सिंह जैसे ग्रेट इकोनॉमिस्ट का साथ होने के बावजूद UPA सरकार में इंडिया की इकोनॉमी ठप पड़ गई थी। लेट डिसीजन मेकिंग ने अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाया। ये बात इन्फोसिस के को-फाउंडर एनआर नारायण मूर्ति ने IIM अहमदाबाद में स्टूडेंट्स से इंटरेक्शन के दौरान इंडियन इकोनॉमी पर कही। उन्होंने आगे कहा कि अब देश के युवाओं की जिम्मेदारी है कि वे भारत को चीन जैसे देशों के सामने खड़ा करने और कड़ी चुनौती देने लायक बनाए। नारायण मूर्ति ने यहां ‘स्टार्टअप कम्पास’ बुक के ऑथर्स के साथ इंडियन इकोनॉमी पर चर्चा की।
‘हर कोई चीन का नाम लेता था’
मूर्ति ने कहा कि वे 2008 से 2012 में HSBC की लंदन ऑफिस के बोर्ड का हिस्सा थे। बोर्ड मेंबर्स की मीटिंग में कई सालों तक चीन का दो-तीन बार नाम आता था। लेकिन, इंडिया का नाम एक ही बार लिया जाता। HSBC छोड़ने तक बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में चीन का नाम करीब 30 बार लिया जा चुका था। जबकि, इंडिया का नाम कहीं दब गया।’
यूपीए के लेट डिसीजन ने नुकसान पहुंचाया
यूपीए और एनडीए सरकार की तुलना पर उन्होंने कहा कि मनमोहन सरकार में इंडिया की इकोनॉमी ठप पड़ गई। जल्दी फैसले नहीं लिए गए, हर काम लेट हुआ। हालांकि, मूर्ति ने 1991 के दौरान इंडियन इकोनॉमी में इम्पोर्टेंट बदलावों का श्रेय मनमोहन सिंह को दिया। ‘स्टार्टअप इंडिया’ और ‘मेक-इन-इंडिया’ को लाने के लिए मूर्ति ने मोदी सरकार की तारीफ भी की।
यूथ को अब बड़ी जिम्मेदारी
देश के फ्यूचर पर मूर्ति बोले कि ये अब देश के युवाओं की जिम्मेदारी है कि दुनिया में इंडिया का नाम लिया जाए। मोदी सरकार पर मूर्ति बोले, ‘कुछ साल पहले तक इंडिया का नाम कहीं नहीं होता था। लेकिन, वर्ल्ड की 5वीं सबसे बड़ी इकोनॉमी का नाम अब दुनियाभर में इज्जत से लिया जा रहा है।’