Success Story: 1 रुपये की टॉफी ने बगैर विज्ञापन के तोड़े बिक्री के रिकॉर्ड, बनाने वालों को मिला था एक लाइन का मैसेज


हाइलाइट्स

पल्स के लिए कंपनी ने कोई विज्ञापन नहीं किया था.
8 महीने में पल्स कैंडी की हुई थी 100 करोड़ की सेल.
इस मामले में की थी डायट कोक के रिकॉर्ड की बराबरी.

Pulse Success Story : 2015 में बाजार में एक नई टॉफी (कैंडी) आई. इसके बारे में कोई कुछ नहीं जानता था और न ही किसी ने इसका विज्ञापन देखा था. थोड़े-बहुत लोग इसे बनाने वाली कंपनी का नाम जानकर ये जरूर समझ जाते थे कि कंपनी पुरानी खिलाड़ी है. शुरुआती दौर में टॉफी के लिए कंपनी ने न तो कोई विज्ञापन दिया और न ही दूसरी तरह के प्रोमोशन पर ज्यादा पैसा खर्च किया. फिर भी टॉफी ने करोड़ों रुपये कमाकर कंपनी की झोली में डाल दिए. तो चलिए आपको टॉफी का नाम बता ही देते हैं. टॉफी का नाम है पल्स (Pulse Candy). पल्स को बनाने वाली कंपनी का नाम है DS Group. यह वही कंपनी है जो माउथ फ्रेशनर भी बनाती है. पल्स के विज्ञापन पर शुरुआत में कोई पैसा नहीं खर्च किया गया. इसके बावजूद इस प्रोडक्ट ने कामयाबी और सेल के झंडे गाड़ दिए. पल्स ने केवल 2 साल में 300 करोड़ रुपये की सेल की.

कहा जाता है कि कंपनी को इस टॉफी का आइडिया 2013 में ही आ गया था. कंपनी के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने अपनी टीम को इस प्रोडक्ट को लेकर बस एक लाइन का मैसेज दिया था. उन्होंने कहा था, ‘अगर आपका प्रोडक्ट टैंगी (चटकदार) है तो खाने वाले की आंखें अपने आप बंद हो जाएंगी, अगर नहीं तो फिर कोई मजा नहीं.’ इसी मैसेज के आधार पर बनाकर तैयार की गई पल्स ने लॉन्च के बाद मार्केट में तहलका मचा दिया. आलम ये है कि अब पल्स सिंगापुर, यूके और यूएस में भी बेची जाती है.

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वर्ड ऑफ माउथ से पछाड़े कई प्रोडक्ट
इस टॉफी का क्रेज ऐसा बढ़ा कि लोगों ने फेसबुक पर पेज बना दिए. लोग दोस्तों-रिश्तेदारों को इसके बारे में बताने लगे. टॉफियां पहले जहां 2-4 खरीदी जाती थी. वहीं पल्स के डिब्बों को लोगों ने घर ले जाना शुरू कर दिया. इस टॉफी ने केवल 8 महीने में 100 करोड़ रुपये का कारोबार करके कंपनी को दिया. ऐसा तब हुआ जब इस टॉफी की कीमत भी केवल 1 ही रुपये थी. इतने समय में इस कदर सेल केवल कोक जीरो ने की थी. हालांकि, वहां विज्ञापन पर पैसा खर्च किया गया था और उसकी कीमत भी अधिक थी.

मसाले का आइडिया
जब इस टॉफी को बनाने की तैयारी शुरू हुई तो कंपनी ने देखा कि टॉफियों के मार्केट पर कच्चा आम और आम के फ्लेवर वाली अन्य टॉफियों की कुल 50 फीसदी हिस्सेदारी है. इसलिए सबसे पहले कच्चे आम के फ्लेवर वाली ही पल्स मार्केट में आई. साथ ही निर्माताओं को ये भी एहसास हुआ कि लोग कच्चा आम मसाले और नमक के मिश्रण के साथ खाया जाता है. बस फिर क्या था कंपनी ने टॉफी की बीच में मसाला भी भर दिया. जब टॉफी खत्म होने वाली होती तो ये मसाला लोगों के मुंह में घुलता. लोगों को मसाले का फ्लेवर भी खूब पसंद आया.

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