Success Story: पूजा कराते हैं पिता-बेटा बना सरकारी अधिकारी, दोस्त के लॉगइन से की ऑनलाइन पढ़ाई


रिपोर्ट- मोहित शर्मा

करौली. अगर मन में विश्वास हो और कुछ कर जाने की ललक हो तो आपको अपनी मंजिल तक पहुंचने से कोई नहीं रोक सकता. कड़ी मेहनत और लगन की मदद से किसी भी परिस्थितियों को पार किया जा सकता है. इसी कड़ी के जरिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं, एक ऐसे शख्स की कहानी जिसके आत्मविश्वास ने उसे उसकी मंजिल तक पहुंचाया है.

यह कहानी है करौली के एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु शर्मा की. जिन्होंने अभी हाल ही में आए ग्राम विकास अधिकारी के रिजल्ट में सफलता हासिल कर अपने परिवार का नाम रौशन किया है. साथ ही परिवार से पहला सरकारी अधिकारी बनने का गौरव भी प्राप्त किया है.

आपके शहर से (जयपुर)

23 वर्षीय हिमांशु करौली के चटीकना मोहल्ले के निवासी हैं. जो एक आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से आते हैं. हिमांशु के पिता एक छोटे से पंडित है. जो घर-घर जाकर सत्यनारायण की कथा और अन्य धार्मिक कार्यक्रम करके अपने परिवार का गुजारा कर रहे हैं और उनकी माता एक ग्रहणी हैं.

बिना किसी कोचिंग के सफलता की हासिल

महज 300 – 400 रुपए में परिवार का गुजारा करने वाले हिमांशु के पिता विजेंद्र शर्मा ने बताया कि यह बचपन से ही होशियार था. और उसने अपनी काबिलियत के दम पर घर पर ही पढ़ता रहा.  आज इसकी मेहनत से सफलता हासिल हो चुकी है. और अब इसकी नौकरी लगने से हमारे परिवार को आर्थिक सहायता भी मिलेगी. और अब छोटे बहन भाइयों को भी इसके इस मुकाम से हिम्मत मिलेगी.

परिवार से पहला सदस्य बना सरकारी अफसर

हिमांशु के दादाजी हरिप्रसाद शर्मा ने बताया कि इसने बहुत मेहनत की थी. जिसकी सफलता आज इसको मिल चुकी है. हमारे परिवार का यह पहला दीपक है. जो हमारे परिवार को प्रकाशित करेगा.

दोस्त ने ऐसे की थी मदद

परिवार से पहला सरकारी अधिकारी बनने बाले हिमांशु बताते हैं कि मैंने यह मुकाम अपने 8 – 10 घंटे के स्वयं अध्ययन से प्राप्त किया है. जब कोरोना आया था तब लोगों ने पढ़ाई छोड़ दी थी. लेकिन मैंने अपनी पढ़ाई नियमित रखी. और उसी का नतीजा है जो आज में सफल हुआ हूं.  मैं अपनी इस सफलता का श्रेय अपने घर वालों और दोस्तों को देना चाहूंगा जिन्होंने हमेशा मेरा साथ दिया. परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण मै कोचिंग भी नहीं कर पाया और ना ही किसी ऑनलाइन ऐप का कोर्स ले सका. लेकिन फिर मेरे एक दोस्त ने मुझे अपना ऐप दिया जिससे मैंने पढ़ाई की.

प्रशासनिक अधिकारी बनने का है सपना

ग्राम विकास अधिकारी बने हिमांशु का कहना है कि निरंतरता ही सफलता का एक मंत्र है. मेरा लक्ष्य तो आगे जाने का था लेकिन पारिवारिक स्थिति को संभालने के लिए एक जो मुकाम की शुरुआत होती है, वह अब हो चुकी है. जो निरंतर जारी रहेगी और अब मेरा लक्ष्य आरएएस अधिकारी बनना है.

Tags: Karauli news, Rajasthan news in hindi



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