Success Story : कौन हैं अमीरा शाह, जिन्होंने पिता की छोटी-सी लैब को बना दिया 9,000 करोड़ की कंपनी


हाइलाइट्स

मेट्रोपोलिस 2019 में शेयर बाजार में सूचीबद्ध हुई थी.
कंपनी की वैल्‍यूएशन अब करीब 9 हजार करोड़ रुपये है.
अमीरा ने पिता के साथ मिलकर 2.5 करोड़ से मेट्रोपोलिस की शुरुआत की थी.

नई दिल्‍ली. नई सोच, मेहनत और ईमानदारी से किसी भी बिजनेस को कैसे बुलदियों पर पहुंचाया जा सकता है, इसका जीता जागता उदाहरण है अमीरा शाह (Success Story of Ameera Shah). पहली भारतीय अंतरराष्ट्रीय पैथोलॉजी लैब मेट्रोपोलिस की आधारशिला रखने वाली अमीरा शाह की कारोबारी सफलता अपने आप में अनूठी है. अमीरा ने अपने पिता की एक कमरे में चलने वाली पैथोलॉजी लैब को आज 7 देशों में पहुंचा दिया है, जहां कंपनी की 171 लैब्स काम कर रही हैं. अमेरिका की टेक्सास यूनिवर्सिटी से फाइनेंस में ग्रेजुएशन करने वाली अमीरा के माता-पिता दोनों ही डॉक्‍टर हैं. उनके पिता डॉ. सुशील शाह ‘डॉ. सुशील शाह लैबोरेटरी’ नाम से एक पैथोलॉजी लैबोरेटरी चलाते थे.

बांग्लादेश ग्रामीण बैंक के फाउंडर और नोबेल पुरसकार विजेता मुहम्मद यूनुस से प्रभावित अमीरा (Ameera Shah) ने 2001 में अमेरिका से भारत लौटने के बाद अपने पिता के लैबोरेटरी बिजनेस को आगे बढ़ाने की ठानी. उनका मकसद पैथोलॉजी लैब्स की पूरे देश में चेन तैयार करना था. आज वो अपने इस मकसद में कामयाब हो चुकी हैं. आज मेट्रोपोलिस एक लिस्टिड कंपनी है, जिसका वैल्‍यूएशन लगभग 1.12 अरब  डॉलर यानी करीब 9 हजार करोड़ रुपये है. मेट्रोपोलिस 2019 में शेयर बाजार में सूचीबद्ध हुई थी.

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क्या है अमीरा शाह की सफलता का राज
एक समाचार पत्र को अमीरा शाह (Ameera Shah) ने बताया कि लैब्‍स के कस्टमर्स का भरोसा हासिल करना काफी चुनौतीपूर्ण काम था. इसलिए डॉक्टर्स और पेशेंट्स के बीच इम्पैथी, इंटेग्रिटी और एक्युरेसी पर फोकस किया. अमीरा का कहना है कि शुरुआत में हमारे पास मजबूत मेडिकल टीम थी, लेकिन सेल्स, मार्केटिंग और परचेजिंग टीम कमजोर थी. इस कमी को दूर किया. हमारे साथ जुड़े लोग मेडिकल बैकग्राउंड से थे और वे बिजनेस के दृष्टिकोण से कम सोच पाते थे. धीरे-धीरे उन्‍हें बिजनेस के लिहाज से भी सोचने और योजना बनाने के लिए प्रेरित किया. इससे न केवल बिजनेस तेजी से बढ़ा, बल्कि कस्‍टमर्स का भरोसा भी बढ़ता गया.

पहली सैलरी 15 हजार रुपये
अमीरा शाह (Ameera Shah) ने अपने पिताजी के साथ मिलकर 2.5 करोड़ रुपये से मेट्रोपोलिस की शुरुआत की थी. शुरुआत में जितना मुनाफा होता, उसे वापस मेट्रोपोलिस के विस्‍तार में ही लगाया जाता. अमीरा का कहना है कि वह और उनके पिता डॉ सुशील शाह कंपनी से केवल वेतन ही लेते रहे हैं, उन्‍होंने और कुछ नहीं लिया. 2021 तक मेट्रोपोलिस से हुए लाभ को कभी अन्‍य कार्यों के लिए उपयोग में नहीं लिया. शुरुआत में  अमीरा का वेतन अपनी ही कंपनी में 15 हजार रुपये महीना था.

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कर्ज एसेट नहीं, जिम्‍मेदारी है
अमीरा का कहना है कि आप बिजनेस बढ़ाने के लिए जो पैसे दूसरों से लेते हैं, वो आपकी संपत्ति नहीं है, बल्कि वह आप पर एक दायित्‍व है. इसे आपको अच्‍छे रिटर्न के साथ वापस करना होता है. अगर आप अपना यह दायित्‍व बखूबी निभाते हो तो इनवेस्‍टर का भरोसा आप पर बढ़ता है. अमीरा ने बताया कि बिजनेस बढ़ाने के लिए उन्‍होंने 2005 में फंड लिया और फिर 2015 में 600 करोड़ का कर्ज लिया.

जितनी जरूरत, उतना ही पैसा उठाएं
अमीरा शाह (Ameera Shah) का कहना है कि नए उद्यमियों को एक बात का हमेशा ध्‍यान रखना चाहिए कि उन्‍हें उतना ही पैसा कर्ज के रूप में लेना चाहिए, जितने की आवश्‍यकता बिजनेस बढ़ाने या शुरू करने के लिए है. बड़ा फंड रेज करने के बाद प्रेशर बढ़ जाता है, जो नुकसानदायक होता है. धीरे-धीरे फंड को बढ़ाना चाहिए. अगर आपका मॉडल अच्छा है, ग्रोथ कर रहे हैं, तो इन्वेस्टर्स जरूर दिलचस्पी दिखाएंगे. हेल्थकेयर सेक्टर को चुनौतीपूर्ण क्षेत्र अमीरा मानती हैं. उनका कहना है कि इसमें टाइम लिमिट और बाउंड्रीज जैसी चीज नहीं होती है.

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