S Jaishankar Speech: भारत शांति का पक्षधर लेकिन आतंकवाद बर्दाश्त नहीं… संयुक्त राष्ट्र में जयशंकर ने चीन-पाक को सुनाई खरी-खरी


न्यूयॉर्क: भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 77वें सत्र को संबोधित करते हुए चीन और पाकिस्तान पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि भारत सीमा पार आतंकवाद से पीड़ित रहा है। हम आतंकवाद को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से आतंकवाद के प्रायोजक देशों और उन्हें बचाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। जयशंकर ने कहा कि भारत बड़ी जिम्मेदारी को निभाने के लिए तैयार है। भारत जी-20 की अध्यक्षता, आतंकवाद से निपटने वाली कमेटी की अध्यक्षता करने जा रहा है। उन्होंने अपने 16 मिनट तक दिए भाषण की शुरुआत करते हुए कहा कि मैं दुनिया के सबसे बड़े डेमोक्रेटिक देश से 1.3 बिलियन लोगों की शुभकामनाएं लेकर आया हूं। भारत आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। यह नया भारत पीएम मोदी के नेतृत्व में अपने विकास को लेकर प्रतिबद्ध है। पीएम मोदी ने आजादी के 75 साल पूरे होने पर पांच प्रण लिए थे। हम भारत को विकसित बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमने दुनिया को वैक्सीन दी, लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला। आज हमारा फोकस ग्रीन ग्रोथ, एक्सेसबल हेल्थ पर है। दुनिया कोरोना के बाद आर्थिक संकट से गुजर रही है। फ्यूल, फर्टिलाइजर और फूड को लेकर संकट बना हुआ है। यूक्रेन संकट से भी कई दिक्कतें हुई हैं।

जयशंकर बोले- भारत सीमा पार आतंकवाद का पीड़ित देश
भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि हम सीमा पार आतंकवाद से पीड़ित रहे हैं। आतंकवाद को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद को प्रमोट करने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। जो लोग आतंकवाद को खत्म करने और प्रतिबंध लगाने में समस्या पैदा कर रहे हैं उन्हें भी देखने की जरूरत है। भारत संयुक्त राष्ट सुरक्षा परिषद में सुधार का पक्षधर रहा है। भारत बड़े दायित्वों को लेने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि जी-20 अध्यक्षता मिलने के बाद हम विकासशील देशों के सामने आने वाली समस्याओं को उठाएंगे। फूड और एनर्जी सिक्योरिटी और जलवायु परिवर्तन प्रमुख मुद्दे होंगे। भारत जी-20 के साथ खाद्य और उर्जा संकट पर काम करेगा। काउंटर टेररिज्म कमेटी का सदस्य होने के कारण भारत दो बैठकों को आयोजित करेगा।

भारत शांति का पक्षधर है और हमेशा इसका पैरोकार रहेगा। हम उस पक्ष में हैं जो बातचीत और कूटनीति को एकमात्र रास्ता बताता है…सात दशकों तक सीमा पार आतंकवाद का खामियाजा भुगतता रहा भारत ‘जीरो टॉलरेंस’ के दृष्टिकोण की दृढ़ता से वकालत करता है।

एस जयशंकर, यूएन में

भारत शांति का पक्षधर, विवादों को बातचीत से हर करे दुनिया
जयशंकर ने कहा कि भारत शांति के पक्ष में है और रहेगा। हम यूएन चार्टर के पक्ष में हैं। हम डायलॉग और डिप्लोमेसी से इसे हल करने के पक्ष में हैं। यह हमारा सामूहिक प्रयास है कि हम संयुक्त राष्ट्र और बाहर भी इसे हल करने के पक्ष में प्रयास करें। भारत यूक्रेन संकट के अलावा अपने पड़ोसियों से संकट का सामना कर रहा है। हम कोरोना संकट के अलावा पड़ोसी देशों के आर्थिक संकट को देख रहा है। हमने अफगानिस्तान को दवा दी, श्रीलंका को करोड़ों डॉलर की मदद दी। म्यांमार को चावल और दूसरे तरीकों से मदद की। हम अपने पड़ोसियों की सहायता के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि यूक्रेन संकट के कारण फूड और एनर्जी के क्षेत्र में समस्याएं आई हैं। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में लचीलापन आना चाहिए।

पिछले साल पीएम मोदी ने किया था संबोधित
पिछले साल खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने न्यूयॉर्क पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से भी मुलाकात की थी। हालांकि, इस बार एस जयशंकर को भेजना पीएम मोदी की वैश्विक रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है।

शहबाज शरीफ को मंच से करारा जवाब
जयशंकर के भाषण के एक दिन पहले ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कश्मीर और इस्लाम के नाम पर जमकर शोर मचाया था। उन्होंने झूठे आरोप लगाए कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न हो रहा है। शहबाज ने तो पाकिस्तान के विकास का रोडमैप बताने के बजाए कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटने का रोना भी रोया। हालांकि, भारतीय राजनयिकों ने राइट टू रिप्लाई का इस्तेमाल करते हुए पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के दावों की बखिया उधेड़ दी। भारत ने अल्पसंख्यों के उत्पीड़न का ढोल पीट रहे पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र में ही आईना दिखा दिया।

यूएन में धुआंधार बैठक कर रहे जयशंकर
जयशंकर पिछले चार दिनों में 50 से अधिक द्विपक्षीय और बहुपक्षीय बैठकों में शामिल हो चुके हैं। इस दौरान वह आतंकवाद पर चीन को भी सुना चुके हैं। साथ ही उन्होंने दो टूक कहा कि भारत का UNSC का स्थायी सदस्य नहीं होना वैश्विक निकाय के लिए भी सही नहीं है। उन्होंने रूस से तेल के आयात को लेकर भी पश्चिमी देशों को करारा जवाब दिया था। ऐसे में पूरी दुनिया एस जयशंकर के संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाषण का इंतजार कर रहे हैं।

भारत के विकास की कहानी का प्रदर्शन
संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने के पहले एस जयशंकर एक विशेष कार्यक्रम “इंडिया@75: शोकेसिंग इंडिया यूएन पार्टनरशिप इन एक्शन” में भी हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम को भारत ने आजादी के 75 साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित किया था। यह आयोजन भारत की विकास यात्रा और वैश्विक सहयोग में देश के योगदान को उजागर करने को लेकर था। इसे 77वें संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष समेत कई सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम प्रशासक ने संबोधित किया।



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