IBSA Forum: भारत के साथ इब्सा के दूसरे देशों ने भी यूक्रेन में तत्काल युद्ध को खत्म करने की अपील की


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Highlights

  • एस जयशंकर ने इब्सा की दसवीं बैठक की मेजबानी की
  • संयुक्त राष्ट्र प्रणाली का व्यापक सुधार जरूरी

IBSA Forum: भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका ने यूक्रेन में मौजूदा संघर्ष और मानवीय संकट पर संयुक्त रूप से गंभीर चिंता जाहिर की और तत्काल युद्ध खत्म करने तथा लोकतंत्र के मार्ग पर चलने की अपनी अपील को दोहराया। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 24 फरवरी को यूक्रेन में विशेष सैन्य अभियान की घोषणा की थी। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को भारत-ब्राजील-दक्षिण अफ्रीका (इब्सा) के त्रिपक्षीय मंत्री स्तरीय आयोग की दसवीं बैठक की मेजबानी की। इस दौरान उन्होंने इब्सा की प्रक्रिया की समीक्षा की और इसके कार्यों को सराहा। 

संयुक्त राष्ट्र प्रणाली का व्यापक सुधार एक महत्वपूर्ण विषय

यहां संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के सत्र से इतर हुए बैठक में ब्राजील के विदेश मंत्री कार्लोस फ्रांका और दक्षिण अफ्रीका के स्वास्थ्य मंत्री जोए फाहला भी शामिल हुए। इब्सा (भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका) कई क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण त्रिपक्षीय समूह बनकर उभरा है। संयुक्त बयान के अनुसार, तीनों नेताओं ने इस बात पर भी जोर दिया कि संयुक्त राष्ट्र प्रणाली का व्यापक सुधार एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय विषय बना हुआ है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा को बनाए रखने के साथ सुरक्षा परिषद के सुधार को आगे बढ़ाना अनिवार्य एवं शीर्ष प्राथमिकता बन गया है। बयान के अनुसार, मंत्रियों ने सुरक्षा परिषद की सदस्यता के विस्तार के लिए काम करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। 

तीनों देशों ने माना- UNSC में सुधार महत्वपूर्ण विषय

इस प्रतिबद्धता में समकालीन वैश्विक वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करने वाली एक प्रभावी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के लिए स्थायी और गैर-स्थायी दोनों श्रेणियों में एशिया, लैटिन अमेरिका और अफ्रीका की उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के प्रतिनिधित्व को शामिल किया गया ताकि एक प्रतिनिधि, समावेशी, न्यायसंगत, उत्तरदायी और प्राप्त किया जा सके। वे इस बात पर भी सहमत हुए कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की वर्तमान संरचना अब समकालीन दुनिया की वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित नहीं करती है और यूएनएससी में सुधार महत्वपूर्ण है। जलवायु परिवर्तन पर उन्होंने संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क समझौते (यूएनएफसीसीसी), इसके क्योटो प्रोटोकॉल और पेरिस संधि के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। बयान के अनुसार, उन्होंने सभी देशों से यूएनएफसीसीसी के सिद्धांतों के आधार पर पेरिस समझौते के कार्यान्वयन के लिए मिलकर काम करने का आग्रह किया, जिसमें ‘‘समानता’’और ‘‘सामान्य लेकिन अलग-अलग जिम्मेदारियों और संबंधित क्षमताओं’’ के सिद्धांत शामिल हैं।

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