I.N.D.I.A में कांग्रेस के साथ AAP तो क्या पंजाब-दिल्ली में डील पक्की? राघव चड्ढा का इंटरव्यू पढ़िए



नई दिल्ली: विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A की आज दिल्ली में मीटिंग होने वाली है। माना जा रहा है कि इस बैठक में लोकसभा चुनाव में सीट बंटवारे पर चर्चा हो सकती है। हालांकि इस मीटिंग से पहले ही आम आदमी पार्टी की ओर से कहा गया कि हरियाणा में पार्टी अकेले दम पर चुनाव लड़ेगी। वहीं इससे पहले कई बार यह सवाल उठते रहे हैं कि दिल्ली और पंजाब में क्या आम आदमी पार्टी और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ेंगे। यदि मिलकर लड़ते हैं तो क्या शीट शेयरिंग का फॉर्मूला होगा। वहीं I.N.D.I.A के भीतर कई मुद्दों पर शामिल दलों की अलग-अलग राय रही है। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में गठबंधन, दिल्ली- पंजाब से जुड़े कई सवालों के जवाब दिए हैं।

क्या AAP और कांग्रेस दिल्ली और पंजाब में मिलकर लड़ेंगे चुनाव?

बीजेपी के तानाशाही और अलोकतांत्रिक शासन को हराने के लिए AAP गठबंधन I.N.D.I.A में शामिल हुई है। AAP किसी व्यक्तिगत चुनावी महत्वाकांक्षा के लिए I.N.D.I.A में शामिल नहीं हुई है। देश की भलाई के लिए इसमें शामिल हुए हैं। आज हमारा देश महंगाई, बेरोजगारी से लेकर कृषि संकट तक कई चुनौतियों से जूझ रहा है। हमें केंद्र में एक ऐसी सरकार की जरूरत है जिसके पास इन चुनौतियों को हल करने का खाका हो। इसी को ध्यान में रखते हुए देशभर में किसे कितनी सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए, इस पर चर्चा होगी। गठबंधन के भीतर अभी तक सीट बंटवारे को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है।

पंजाब में AAP गठबंधन को तैयार लेकिन कांग्रेस स्टेट यूनिट को आपत्ति है, पार्टी का क्या स्टैंड है?

मेरे सहित राजनीतिक दलों के जूनियर लीडरशिप ने अतीत में कुछ ऐसे बयान दिए हैं जो जरूरी नहीं कि पार्टी के दृष्टिकोण से मेल खाते हों। हम सभी को यह याद रखना होगा कि इस तरह के गठबंधन को सफल बनाने के लि महत्वाकांक्षा, मतभेद और मनभेद को अलग रखना होगा। जैसे 1977 में जनता पार्टी के बैनर तले समाजवादी, कम्युनिस्ट, जनसंघी, दक्षिणपंथी और वामपंथी सभी लोग ताकतवर (तत्कालीन प्रधानमंत्री) इंदिरा गांधी के शासन को हराने के लिए एकजुट हो गए थे। 2024 में भी कुछ ऐसा ही हो रहा है जहां लोगों ने देश की व्यापक भलाई के लिए व्यक्तिगत और राजनीतिक मतभेदों का त्याग किया। और 1977 का नतीजा 2024 में दोहराया जाने वाला है।

आप दूसरे दलों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर खुद को विकल्प के रूप में पेश किया अब उन्हीं पार्टियों से हाथ मिलाया। क्या इससे आपकी पार्टी की अपील पर असर पड़ेगा?
सबसे पहले, देश को परेशान करने वाले मुद्दों पर भारत के भीतर एकता है लेकिन इसका मतलब हर एक मुद्दे पर एकरूपता नहीं है। जहां तक सार्वजनिक अपील की बात है, राजनीतिक दल किसी नेता की सनक और पसंद के आधार पर नहीं बल्कि लोगों से मिले फीडबैक के आधार पर एक साथ आते हैं।

G20 आमंत्रण पत्र में ‘भारत के राष्ट्रपति’ इसका विरोध करने वालों में एक आप थे, आखिर आपको क्या आपत्ति है?

बीजेपी किस तरह से I.N.D.I.A से परेशान है, इसका पता इस बात से चलता है कि वह देश का नाम बदलने की योजना बना रही है। भाजपा को यह एहसास होना चाहिए कि देश का नाम उनकी पैतृक संपत्ति नहीं है, यह 135 करोड़ भारतीयों का है। यह एक ऐसा ब्रांड है जिसे दशकों में बनाया गया है और इसका वैश्विक मूल्य है। जो लोग यह तर्क देते हैं कि इंडिया नाम में एक औपनिवेशिक विरासत है जिसे हमें त्यागना चाहिए, उनके लिए भाजपा को देश का नाम अचानक बदलने में नौ साल क्यों लग गए।

‘एक देश, एक चुनाव’ पर आपकी क्या आपत्तियां हैं?

केवल वही सरकार जो सार्वजनिक जवाबदेही से पूरी तरह बचना चाहती है, एक राष्ट्र, एक चुनाव के विचार की कल्पना करेगी।



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