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संदीप दीक्षित ने पत्र में लिखा कि हम वकील तो नहीं हैं, लेकिन हमारा स्पष्ट मानना है कि गुपचुप तरीके से दूसरों की बातचीत सुनने की क्षमता हासिल करना, खुफिया सूचनाएं और जानकारियां इकट्ठा करना और भारत सरकार के रक्षा प्रतिष्ठानों और केंद्र सरकार की खुफिया एजेंसियों समेत अन्य सभी प्रमुख संस्थानों और महत्वपूर्ण लोगों की जासूसी कराना अपने आप में यूएपीए अधिनियम के तहत जांच के दायरे में आता है। ऐसे में सीबीआई और एनआईए को राजद्रोह और राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों को नियंत्रित करने वाले कानूनों के तहत जांच करने के लिए निर्देशित किया जाना चाहिए। साथ ही, अब तक सामने आ चुके सबूतों के आधार पर दिल्ली के सीएम व सरकार के संबंधित मंत्रियों के खिलाफ भी यूएपीए अधिनियिम के तहत मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
कांग्रेस नेताओं ने एलजी से कहा है कि फीडबैक यूनिट केस में सीबीआई ने उनसे सिसोदिया के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत केस चलाने की अनुमति मांगी थी, मगर सारे आरोप और तथ्य इस बात की तरफ साफ इशारा करते हैं कि जिस मकसद से फीडबैक यूनिट का गठन किया गया था और जिस तरह का काम इस यूनिट के जरिए किया जा रहा था, उसकी उचित जांच केवल भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत नहीं की जा सकती है।
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