Engineers Day 2021: इस इंजीनियर ने एक कमरे से शुरू किया था HCL का बिजनेस, आज खड़ी कर दी 2.65 लाख करोड़ की कंपनी

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नई दिल्ली. ‘लक्ष्य तय करने के लिए सपने देखें, अगर आप सपने ही नहीं देखेंगे तो जीवन में आपका कोई लक्ष्य भी नहीं होगा और लक्ष्य के बिना सफलता नहीं पाई जा सकती.’ ये शब्द उस बिजनेसमैन के हैं जिसने देश की दिग्गज आईटी कंपनी HCL की नीवं रखी. HCL के बारे में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो न जानता हो. एचसीएल अपनी इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी सेवाओं के लिए प्रसिद्ध है. शिव नादर ने अपनी कंपनी (HCL) की शुरुआत 1976 में दिल्ली की एक बरसाती (छत पर एक कमरे) से किया था. और आज फिस्कल ईयर 2021 में कंपनी की आमदनी 10 अरब डॉलर पहुंच गई.

बता दें कि HCL टेक्नोलॉजीज के चेयरमैन शिव नादर (Shiv Nadar) ने जुलाई 2021 में अपना पद छोड़ दिया है. वो अब कंपनी के चेयरमैन एमिरेट्स और बोर्ड के स्ट्रैटेजिक एडवाइजर होंगे. चलिए जानते हैं इस बिजनेसमैन की कहानी जिसने देश की दिग्गज आईटी कंपनी HCL की नीवं रखी.

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ऐसे शुरू हुआ शिव नादर का सफर
टेक्नोलॉजी क्षेत्र के दिग्गज और देश के बड़े उद्योगपति शिव नादर का जन्म 14 जुलाई 1945 को दक्षिण भारत के एक छोटे से गांव में हुआ था. वे तमिलनाडु से हैं और हिन्दू धर्म के हैं. शिव नादर शायद देश के पहले ऐसे आंत्रप्रेन्योर हैं जिन्होंने Make in India आंत्रप्रेन्योरशिप देश में शुरू किया था.

पुणे से हुई करियर की शुरुआत
उनका करियर पुणे में प्रारंभ हुआ जहां वे वालचंद ग्रुप ऑफ़ इंजीनियरिंग का हिस्सा बने. बिजनेस चलाने का कुछ अनुभव मिलने के बाद उन्होंने इसे छोड़ने और अपना बिजनेस शुरू करने का निश्चय किया. अपने दोस्तों को और अन्य बिजनेस पार्टनरों की सहायता से वे इस देश में सबसे बड़ी तकनीकी क्रांति लाने में जुट गए.

5 दोस्तों के साथ मिलकर शुरू की कंपनी
प्राइवेट नौकरी छोड़ शुरू की कंपनी पांच दोस्तों के साथ मिलकर ‘माइक्रोकॉम्प लिमिटेड’ नामक एक कंपनी शुरू की. सन 1976 में बनाई उनकी कंपनी टेलीडिजिटल कैलकुलेटर्स बेचने का काम करती थी. शिव नादर ने एक इंटरव्‍यू में बताया था, ‘पहला व्‍यक्ति जिससे मैं मिला था वहा था अर्जुन. वो भी मेरी ही तरह मैनेजमेंट ट्रेनी था. हम अच्‍छे दोस्‍त बने और आज तक हैं. इसके बाद हम दोनों ने डीसीएम में काम कर रहे अपने तरह के लोगों को जोड़ा और मिलकर काम शुरू कर दिया.

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HCL को दुनियाभर में मिली पहचान
जल्द ही इस कंपनी का नाम हिंदुस्तान कम्प्यूटर्स लिमिटेड (एचसीएल) रख दिया गया और ये कम्प्यूटर बनाने लगी. देखते ही देखते हिंदुस्तान की यह कंपनी दुनियाभर में जाना माना ब्रांड हो गई.

1980 में उन्होंने सिंगापुर में आईटी हार्डवेयर बेचने के लिए ‘फार ईस्ट कम्प्यूटर्स’ की स्थापना कर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कदम रख लिया. इससे पहले साल में ही उन्हें लगभग 10 लाख रुपए की आमदनी हुई. इसके बाद नाडार ने कभी पलटकर नहीं देखा. 1982 में तो कंपनी ने अपना पहला पीसी बाजार में उतार दिया. फिर आईटी व्यवसाय से जुड़ी पांच कंपनियां अपनी फर्म में मर्ज कर लिया.

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