चंद्रकांत पाटिल यहीं नहीं रुके उन्होंने अपनी बातों को सही साबित करने के लिए एक और उदाहरण देकर नया विवाद पैदा कर दिया। पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि भीख का मतलब जैसे गणेशोत्सव या किसी अन्य त्योहार पर लोगों के पास चंदा मांगना। पाटिल के इस बयान के बाद यह भी चर्चा शुरू हो गई है कि आखिर भीख और चंदा मांगने में कोई अंतर है या नहीं। चंद्रकांत पाटील ने कहा कि मेरे ऊपर चाहे सेकने वाले लोगों ने बाबासाहेब अंबेडकर (Baba Saheb Ambedkar) का अपमान किया है।
क्या है पूरा मामला
महाराष्ट्र बीजेपी के नेता और राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटील ने शुक्रवार को स्कूलों के अनुदान के कार्यक्रम में बयान दिया कि महाराष्ट्र में ज्योतिबा फुले, डॉ़ बाबासाहेब आंबेडकर और कर्मवीर भाउराव पाटील जैसे महान लोगों को भी स्कूल खोलने के लिए लोगों से भीख मांगनी पड़ी थी, क्योंकि तब सरकारें स्कूलों को अनुदान नहीं देती थी। महापुरुषों द्वारा स्कूल खोलने के लिए लोगों से भीख मांगने वाले उनके इस बयान को विपक्ष ने महापुरुषों का अपमान बताया है। विपक्ष का आरोप है कि इन महापुरुषों ने कभी भी किसी से भीख नहीं मांगी, बल्कि समाज के उत्थान के लिए जन सहयोग का सहारा लिया था।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने एक बयान जारी कर चंद्रकांत पाटील के इस बयान की निंदा की है। पटोले ने सवाल किया कि ‘क्या बीजेपी के मंत्री चंद्रकांत पाटील को ‘भीख’ और ‘लोगों से चंदा और दान’ लेने के बीच का फर्क नहीं पता है?’ उन्होंने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में दिए गए बयान पर भी बीजेपी के किसी भी नेता ने अब तक माफी नहीं मांगी है।