न्यूयॉर्क. किसी ने सच ही कहा है..भगवान के घर देर है अंधेर नहीं. अगर आप बेगुनाह हैं तो आज न कल इंसाफ हो कर रहेगा. अमेरिका से ऐसा ही एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. नए सीरे से डीएनए टेस्ट के बाद एक शख्स को करीब चार दशक बाद जेल से छुट्टी दे दी गई. हत्या के आरोपों के चलते ये शख्स पिछले 38 साल से सज़ा काट रहा था. अब डीएनए टेस्ट में पता चला चला है कि हत्या किसी और ने की थी.
बीबीसी के मुताबिक मौरिस हेस्टिंग्स ने 1983 में कैलिफोर्निया में रॉबर्टा वायडरमायर की हत्या और दो हत्याओं के प्रयास के लिए 38 साल से जेल में बंद थे. लेकिन नए डीएनए सबूतों से पता चला है कि उसका कोई और हत्यारा था. इतना ही नहीं हत्या करने वाले की मौत साल 2020 में हो गई. उस वक्त वो भी जेल में बंद था.
DNA टेस्ट के बाद हुए रिहा
मौरिस हेस्टिंग्स ने शुरू से ही खुद को बेगुनाह कहा था. साल 2000 में उनके डीएनए टेस्ट के अनुरोध को जिला अटॉर्नी ने खारिज कर दिया था. आखिरकार वह 2021 में डीएनए की कन्विक्शन इंटीग्रिटी यूनिट में बेगुनाही का दावा करने में सक्षम हो गया और जून में डीएनए परीक्षण में पाया गया कि वीर्य उसका नहीं था. इसके बजाय डीएनए प्रोफ़ाइल एक ऐसे व्यक्ति से मेल खाती है जिसे अपहरण का दोषी ठहराया गया था. एसोसिएटेड प्रेस से बातचीत करते हुए हेस्टिंग्स ने कहा, ‘मैंने कई वर्षों तक प्रार्थना की कि ये दिन आए. मैं अभी अपने जीवन का आनंद लेना चाहता हूं.
क्या है पूरा मामला?
साल 1983 में रोबर्टा वायडरमायर की हत्या कार में कर दी गई थी. सिर पर एक गोली लगने के निशान मिले थे. इससे पहले उनका यौन उत्पीड़न किया गया था. बाद में हेस्टिंग्स पर हत्या का आरोप लगाया गया और अभियोजकों ने मृत्युदंड की मांग की. कोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराया और 1988 में पैरोल की संभावना के बिना जेल में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई.
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FIRST PUBLISHED : October 29, 2022, 18:23 IST