Director General Prison: डीजी प्रिजन के खिलाफ मामला बंद, यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दिया जवाब


लखनऊ: सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार की ओर से बताया गया कि राज्य के जेल में बंद उम्रकैद की सजा काट रहे कई दोषियों को समय से पहले रिहाई का फैसला किया गया है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के डीजी प्रिजन (महानिदेशक कारागार) के खिलाफ कंटेप्ट मामला बंद कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 20 जनवरी को डीजी प्रिजन को अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान नोटिस जारी किया था।

शुक्रवार को सुनवाई के दौरान यूपी सरकार की ओर से एडिशनल एडवोकेट जनरल गरिमा प्रसाद ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि यूपी सरकार ने बड़ी संख्या में समय से पहले कैदियों के रिहाई का फैसला किया है। ये वो कैदी थे, जो गणतंत्र दिवस पर रिहाई के हकदार थे। यूपी सरकार की 2018 की पॉलिसी के तहत उन उम्रकैद की सजा काट रहे कैदियों को समय से पहले रिहाई पर विचार होगा, जो 16 साल वास्तविक सजा काट चुके हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने 20 जनवरी को उस याचिका पर यूपी के डीजी प्रिजन को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा था, जिसमें कहा गया था कि अदालत के आदेश के बाद भी करीब दो दशक से जेल में बंद दो कैदियों को समय से पहले रिहा करने पर विचार नहीं किया गया। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने मोहम्मद नुरुला और आलोक मिश्रा की ओर से दाखिल कंटेप्ट पिटीशन पर डीजी प्रिजन को जवाब देने के लिए कहा था। याची के वकील ने कहा था कि पिछले साल 14 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने अथॉरिटी को तीन महीने के भीतर दोनों याचिकाकर्ताओं की समय से पहले रिहाई पर 2018 की नीति के तहत विचार करने को कहा था, लेकिन फिर भी विचार नहीं किया गया। नुरुला 21 साल से, जबकि आलोक 22 साल से यूपी के अलग-अलग जेल में बंद है।



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