Britannia: सिर्फ 295 रुपये में शुरू हुई थी देश की पहली बिस्किट कंपनी, आज है 12 हजार करोड़ का टर्नओवर


हाइलाइट्स

साल 1892 के कलकत्ता के दमदम में एक छोटे से घर में इसकी नींव पड़ी.
ब्रिटानिया ने साल 1921 में गैस ओवन का इस्तेमाल शुरू कर दिया था.
3 अक्टूबर 1979 को कंपनी ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज लिमिटेड में तब्दील हो गई.

ब्रिटानिया, हमारे बचपन की खुशी, दवाई की गोली के पहले की बाइट, चाय का पार्टनर. लंबी यात्रा का साथी. ढलती शाम का स्नैक्स तो किसी के लिए ‘खाली पानी नहीं पीते हैं’ की सीख का आहार. न जाने किससे, किस तरह जुड़ा है, लेकिन एक बड़ी आबादी का हिस्सा है. बिस्किट से शुरू सफर ब्रेड, केक, रस्क, चीज, बेवरेजेज और दूध तक का है. इस कंपनी का प्रोडक्ट जितना हमारे लिए खास है, इसका सफर भी उतना ही रोमांचक है. सिर्फ़ 295 रुपए से शुरू ये कंपनी आज करीब 12 हजार करोड़ का टर्न ओवर करती है.

आज के कोलकाता और साल 1892 के कलकत्ता के दमदम में एक छोटे से घर में इसकी नींव पड़ी. इसके पीछे थे गुप्ता ब्रदर्स और लागत आई थी कुल 295 रुपए की. फिर देखते-देखते यह हमारी कई पीढ़ियों से जुड़ गई. घरों का हिस्सा हो गई. 26 साल बाद 21 मार्च 1918 को गुप्ता ब्रदर्स के साथ सीएच होम्स जुड़ गए…, और फिर यह पब्लिक लिमिटेड कंपनी बन गई. आजकल घरों में जो ओवन आपको दिखते हैं, उस ओवन का स्वेज नदी के पूर्वी हिस्से में इस्तेमाल करने वाली एक मात्र कंपनी ब्रिटानिया बनी. इसने साल 1921 में गैस ओवन का इस्तेमाल शुरू कर दिया था.

ये वो दौर था जब भारत में आजादी की लड़ाई लड़ी जा रही थी. पाई-पाई खर्च करने से पहले भारतीयों को सोचना पड़ता था. खर्च करने की क्षमता बहुत कम थी. ‘दो जून की रोटी’ समृद्ध परिवार की पहचान थी. लेकिन इन सबके बीच ब्रिटानिया का बिजनेस न सिर्फ फला-फूला, बल्कि अपनी क्वालिटी की वजह से ग्राहकों के बीच विश्वसनीयता बनाने में भी कामयाब रहा.

britannia company

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ब्रिटानिया ने बहुत कम समय में अपनी पहचान बनाई और साल 1924 में मुंबई के कसारा पीर रोड में नई फैक्ट्री खोल ली. इसी समय कंपनी Peek Frean & Company Limited UK की सब्सिडरी बन गई. इसके बाद कोलकाता और मुंबई में कई जगह फैक्ट्रियां खुलती चली गईं.

द्वितीय विश्वयुद्ध के समय ब्रिटानिया का इस्तेमाल ब्रिटिश सरकार ने खूब किया. साल 1939 से 45 के बीच में इसके प्रोडक्शन का एक बड़ा हिस्सा युद्ध में संघर्ष कर रहे जवानों के लिए भेजा जाने लगा. इसकी पूरी आपूर्ति ब्रिटानिया करता था. कई जगह ये दावा किया जाता है कि प्रोडक्शन का करीब-करीब 95% हिस्सा जवानों के लिए भेज दिया जाता था.

आजाद भारत और ब्रिटानिया
ब्रिटानिया में समय के साथ-साथ पार्टनरशिप, ऑनरशिप और शेयरहोल्डिंग बदलती रही हैं. गुप्ता ब्रदर्स से होते हुए सीएच होम्स, पीक फ्रींस और बाद में ABIL का सफर ब्रिटानिया ने तय किया. साल 1952 में ब्रिटानिया की कोलकाता फैक्ट्री दमदम से शिफ्ट होकर तारातोला रोड चली गई. अब यहां तकनीक का इस्तेमाल होने लगा और ऑटोमेटिक प्लांट लग गया. साल 1954 में मुंबई में भी ऑटोमेटिक प्लांट लग गया. इसी समय कंपनी ने ब्रेड बनाने की शुरुआत की और दिल्ली में इसकी फैक्ट्री लगाई.

कंपनी भारतीय ग्राहकों के बीच अपनी पकड़ बनाती और बढ़ाती जा रही थी. साल 1965 में कंपनी ने दिल्ली में नई ब्रेड बेकरी की शुरुआत की. 1976 में कोलकाता और चेन्नई में ब्रिटानिया ब्रेड की शुरुआत की. 3 अक्टूबर 1979 के दिन कंपनी ब्रिटानिया बिस्किट कंपनी लिमिटेड से ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज लिमिटेड में तब्दील हो गई.

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बिस्किट राजा राजन पिल्लई
साल 1980 में कंपनी ने 10 साल का टेक्निकल कोलेबोरेशन एग्रीमेंट साइन किया नेबिको प्राइवेट लिमिटेड से. इसी दौर में केरल के एक बिजनेसमैन राजन पिल्लई का नाम चमका, जिन्होंने इस समूह पर नियंत्रण बनाया. उन्हें लोग भारत का ‘बिस्किट राजा’ कहने लगे. वह इसके पहले 20th Century Foods नाम की कंपनी के मालिक थे और ओले ब्रांड नाम से आलू चिप्स बेचते थे. एक समय उनके पास ब्रिटानिया की 38 फीसदी हिस्सेदारी थी.

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13 साल बाद वाडिया ग्रुप ने ABIL का स्टेक हासिल किया. वह विदेशी ग्रुप डैनोन के साथ बराबरी के हिस्सेदार बने. हालांकि, इस दौरान इन दोनों का राजन पिल्लई से संघर्ष चलता रहा. साल 1995 में वित्तीय घोटाले में राजन पिल्लई जेल गए और 4 दिन बाद जेल में ही उनकी मौत हो गई.

साल 2006 में वाडिया और डैनोन में तब विवाद हुआ, जब वाडिया ने डैनोन पर आरोप लगाया कि उसने इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स की अवहेलना की है. डैनोन ने Tiger ब्रांड नाम से बिस्किट लॉन्च कर दिया था. इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर, पाकिस्तान, मिस्र में इसकी ठीक-ठाक बिक्री भी शुरू हो गई थी. साल 2009 में दोनों ने एक बोर्डरूम बैठक की और वाडिया का कंपनी पर पूरी तरह से अधिकार हो गया.

आज ब्रिटानिया का बिजेनस मॉडल क्या है
कंपनी दो बिजनेस सेगमेंट में काम कर रही है. बेकरी प्रोडक्ट और डेयरी प्रोडक्ट. कंपनी का 95% रिवेन्यू बिस्किट सेगमेंट से आता है. वहीं 5% टोटल सेल नॉन बिस्किट कैटेगरी से आता है.

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