26/11 Terror Attack: जल्द ही भारत लाया जाएगा मुंबई हमले का आरोपी तहव्वुर राणा, प्रत्यर्पण का रास्ता हुआ साफ

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वॉशिंगटन. 26/11 हमले में आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा के प्रत्यर्पण का रास्ता साफ हो गया है. उसे जल्दी ही अमेरिका से भारत लाया जाएगा. इस मामले में भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) हमलों में उसकी भूमिका की जांच कर रही है. जिसके चलते उसके प्रत्यर्पण की मांग की गई थी. 16 मई को कैलिफोर्निया की एक अदालत ने भारत के पक्ष में फैसला सुनाया था.  इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर के मुताबिक अमेरिकी अदालत के फैसले से पहले आरोपी ने अदालत में अप्रैल में एक याचिका दायर करने का प्रयास किया था. जिसे यह कहकर खारिज कर दिया गया था कि इस मामले पर 30 दिन के अंदर फैसला लिया जाना है. 

2 साल पहले हुई थी आखिरी सुनवाई
यूएस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट ऑफ कैलिफोर्निया की मजिस्ट्रेट जैकलीन चूलजियान ने 16 मई को अपने 48 पन्नों के आदेश में कहा कि दोनों पक्षों से जुड़े तमाम दस्तावेजों की समीक्षा की है. और प्रस्तुत किए गए तर्कों पर विचार किया है. इसके बाद अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि राणा के लिए जिन अपराधों के तहत प्रत्यर्पण की मांग की गई थी, वह उस प्रत्यर्पण के योग्य है. इस मामले में जून 2021 में आखिरी बार सुनवाई हुई थी. तमाम दलील पेश किये जाने और दस्तावेज दाखिल करने के बावजूद मामला 2 साल से लटका हुआ था. 

अब पाकिस्तान को घेर सकता है भारत
अमेरिकी विदेश मंत्री के इस मामले पर फैसला लेने के बाद, राणा की कस्टडी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दी जाएगी, वही इस मामले की जांच कर रही है. भारत 26/11 मामले पर राणा का मुकदमा भारत को पाकिस्तान को घेरने में मददगार साबित होगा. 

2020 में ही प्रत्यर्पण  को मिल गई थी हरी झंडी
2020 में ही कैलिफोर्निया की अदालत में कह दिया गया था कि राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दी जानी चाहिए क्योंकि उस पर लगाए गए आरोप और कानूनी स्थिति, दोनों ही देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि के सभी मानंदडों को पूरा करती है. सितंबर 2020 को क्रिस्टोफर डी ग्रेग (यूएस अटार्नी कार्यालय के राष्ट्रीय सुरक्षा विभाग के प्रमुख) और एटार्नी निकोला टी हैन्ना ने कैलिफोर्निया की अदालत में अपनी दलील पेश करते हुए कहा कि राणा की भारत में अपने प्रत्यर्पण के खिलाफ पहले की दलीलों में कोई योग्यता नहीं थी. साथ ही यह भी कहा गया कि राणा के प्रत्यर्पण से जुड़ी तमाम योग्यताएं मेल खाती हैं. इसके साथ ही प्रत्यर्पण संधि के मुताबिक भारत में जो उस पर आरोप लगाए गए हैं उसके तहत यह प्रत्यर्पण पूरी तरह से वैध है. और इसे मानने के लिए वाजिब तर्क हैं कि राणा ने ही यह अपराध किए हैं. 

हालांकि दिलचस्प बात यह है कि अमेरिकी सरकार ने यह बात रखी थी कि वह ‘आतंकी संगठन के सदस्य’,‘युद्ध के लिए साजिश’और आतंकी कृत्य करने की साजिश’ जैसे आरोपों पर प्रक्रिया नहीं करेगी. जबकि भारत ने इसके लिए दबाव डाला था. अमेरिका का कहना था कि प्रत्यर्पण संधि की जरूरत पूरी हो गई है. 

कब किया था प्रत्यर्पण का आवेदन
दिसंबर 2019 में भारत ने विदेश मंत्रालय के जरिए राणा के प्रत्यर्पण के लिए आवेदन किया था. इसके बाद जून 2020 में जाकर एनआईए के अनुरोध पर राणा को हिरासत में लिया गया. तब उसे अमेरिकी जेल से समय से पहले रिहा किया गया था जहां वह डेनमार्क के अखबार जाइलैंड पोस्टेन के कार्यालय पर हमले की साजिश के लिए सजा काट रहा था. अगस्त 2020 को अमेरिकी की एक अदालत में उसके प्रत्यर्पण के लिए आवेदन दाखिल किया गया. और इस मामले की सुनवाई जनवरी 2021 में शुरू हुई. 

26/11 का आरोपी हेडली था बचपन का दोस्त
राणा पर अपने स्कूल के दोस्त डेविड कोलमेन हेडली जो 26/11 मामले में आरोपी है, की मदद करने का आरोप था. राणा पर आरोप था कि उसने ना सिर्फ इस साजिश में हेडली का साथ दिया बल्कि अपनी वीजा सुविधा कंपनी में उसे एक कर्मचारी के तौर पर दिखाया और भारत में उसके कवर के तौर पर मुंबई में उसे एक कार्यालय भी खोल कर दिया. अदालत में भी अपने पक्ष रखते हुए राणा ने यही दलील दी थी कि उसे 2011 में मुंबई आतंकवादी हमलों के आरोप में कैलिफोर्निया की अदालत ने बरी कर दिया था और चूंकि हेडली को प्रत्यर्पित नहीं किया गया था, इसलिए उसका प्रत्यर्पण भी नहीं किया जा सकता था. 

यही नहीं मामले से संबंधित प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों में कहा गया कि, किस तरह जून 2006 से लेकर नवंबर 2008 के बीच हेडली ने कम से कम तीन बार शिकागो की यात्रा की और इस दौरान राणा से मिला भी, और उसे मुंबई में अपनी गतिविधियों के बारे में विस्तार से जानकारी भी दी थी. यही नहीं हेडली ने दुबई में राणा को अपने एक सह साजिशकर्ता (पाकिस्तान से) से मिलने की व्यवस्था भी की थी. उसी साजिशकर्ता ने राणा को आगामी हमलों के चलते भारत की यात्रा नहीं करने के लिए चेताया था. तभी राणा ने भारत की यात्रा नहीं की. 

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अदालत में प्रस्तुत दस्तावेज से और बहुत कुछ आया सामने
सितंबर 2009 में, एफबीआई ने राणा और हेडली के बीच एक बातचीत को पकड़ा जिसमें राणा कथित तौर पर हेडली से बात करते हुए पाया गया था कि हमलों के दौरान मारे गए लश्कर के नौ हमलावरों को पाकिस्तान का सर्वोच्च सैन्य पुरस्कार निशान-ए-हैदर दिया जाना चाहिए. यही नहीं 25 दिसंबर, 2008 को जब एक साजिशकर्ता से संदेश में हेडली से राणा का हाल जानना चाहा तो हेडली का जवाब था कि वह एकदम निश्चिंत है और बिल्कुल भी डरा हुआ नहीं है. अदालत के दस्तावेजों में यह भी बताया गया है कि राणा इतना निडर था कि वह पाकिस्तान में हेडली के कुछ संपर्कों से कभी कभी सीधे ही बातचीत कर लिया करता था. वह हेडली के सहयोगियों से भी सीधे संपर्क में था. 

आपको बता दें कि  2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों में कुल 166 लोग मारे गए थे जिसमें लश्कर के 10 आतंकवादियों ने शहर में कई स्थानों पर 60 घंटे से ज्यादा देर तक घेराबंदी करते हुए हमला किया था और कई लोगों को गोलियों से भून डाला था.

Tags: 26/11 Attack, 26/11 mumbai attack, Extradition, United States of America

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