हाय! तालिबान की ये कैसी विडंबना, लड़के लिखते रहे और रोते हुए एग्जाम हॉल से निकाली गईं बेटियां


काबुल: तालिबान ने अफगानिस्तान में महिलाओं को विश्वविद्यालयों में जाने से प्रतिबंधित कर दिया है। तालिबान की कार्यवाहक सरकार में शामिल उच्च शिक्षा मामलों के मंत्री ने मंगलवार को इसकी घोषणा की और कहा कि ये तुरंत प्रभाव से लागू होगा। इसके बाद से अफगानिस्तान के कई विश्वविद्यालयों से महिलाओं को जबरन बाहर निकाल दिया गया। सबसे दर्दनाक तस्वीर काबुल विश्वविद्यालय से सामने आई, जहां परीक्षा हॉल में बैठी छात्राओं को बाहर जाने के लिए मजबूर किया गया। इस दौरान कई छात्राएं अपना दर्द रोक न सकीं और वहीं रोने लगीं। इस घटना का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है। बड़ी बात यह है कि इस दौरान परीक्षा हॉल में बैठे छात्र अपने पेपर पर लिखते हुए नजर आए। विश्वविद्यालय में लड़कियों के शिक्षा पर पाबंदी को लेकर तालिबान की खूब आलोचना हो रही है।

हाई स्कूल में लड़कियों के दाखिले पर पहले से ही प्रतिबंध

तालिबान ने अगस्त 2021 में अफगानिस्तान पर कब्जे के चंद महीने बाद ही सेकेंडरी स्कूलों में लड़कियों के दाखिले पर प्रतिबंध लगा दिया था। तालिबान के इस फैसले के खिलाफ भी व्यापक प्रतिक्रिया देखने को मिली थी। अमेरिका, भारत, चीन समेत दुनियाभर के देशों ने तालिबान के इस फैसले का विरोध किया था। अब ताजा फैसले से तालिबान की महिलाओं के शिक्षा को लेकर सोच साफ हो गई है। तालिबान इस्लामी कानून का हवाला देकर महिलाओं को स्कूलों या विश्वविद्यालयों में जाने से रोक रहा है। तालिबान के बड़े-बड़े नेता टीवी चैनलों पर अपने फैसले के पक्ष में दलील दे रहे हैं।

संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका समेत कई देशों ने की निंदा

तालिबान के इस फैसले की संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका समेत कई देशों ने निंदा की है। अफ़ग़ानिस्तान के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत ने कहा है कि तालिबान का यह आदेश शिक्षा के समान अधिकार का उल्लंघन है। उन्होंने यह भी कहा कि ताजा आदेश महिलाओं को अफगान समाज से मिटाने की एक और कोशिश है। वहीं, अमेरिका ने तालिबान को धमकी देते हुए कहा है कि इस तरह के कदम कुछ खतरनाक परिणाम लेकर आएंगे। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि तालिबान को अंतरराष्ट्रीय समुदाय का वैध सदस्य नहीं माना जा सकता है जब तक वो अफगानिस्तान में सभी के अधिकारों का सम्मान न करे।

महिलाओं से किए वादों को तोड़ता जा रहा तालिबान

तालिबान ने अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद उदारवादी रुख दिखाने का ऐलान किया था। तालिबानी नेताओं ने वादा किया था कि महिलाओं को लेकर शासन का रवैया काफी नरम रहेगा। उन्होंने यहां तक वादा किया था कि महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करने, नौकरी करने, अकेले में यात्रा करने जैसी सहूलियतें दी जाएंगी। लेकिन, वक्त के साथ तालिबान अपने हर वादे को तोड़ता चला गया। अफगानिस्तान में औपचारिक सरकार का गठन करते ही तालिबान ने महिलाओं से जुड़े मंत्रालय को बंद कर दिया। दूसरे मंत्रालयों में महिलाओं को नौकरियों से निकाल दिया। इतना ही नहीं, महिलाओं के शहर से बाहर अकेले में यात्रा करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया। उनके लिए सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का पहनना अनिवार्य बना दिया गया।

महिलाओं की शिक्षा के खिलाफ है तालिबान का सर्वोच्च नेता

तालिबान का सर्वोच्च नेता हिबतुल्लाह अखुंदजादा शुरू से ही महिलाओं की शिक्षा के खिलाफ है। वह उच्च शिक्षा में महिलाओं की भागीदारी को लेकर पहले ही नाराजगी जता चुका है। तालिबान का उदारवादी धड़ा अखुंदजादा की सोच के खिलाफ है, लेकिन वह चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहा है। हिबतुल्लाह अखुंदजादा 2016 में तालिबान का सर्वोच्च नेता बना था। तालिबान के राजनीतिक, धार्मिक और सैन्य मामलों पर अंतिम फैसला हैबतुल्लाह अखुंदजादा ही करता है। 2016 में अचानक गायब होने से पहले हैबतुल्लाह अखुंदजादा दक्षिण-पश्चिमी पाकिस्तान के एक कस्बे कुचलक में एक मस्जिद में पढ़ाया करता था।

भारत ने भी जताई चिंता
भारत ने कहा कि वह तालिबान के अफगानिस्तान के विश्वविद्यालयों में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने संबंधी खबरों से चिंतित है। साथ ही भारत ने काबुल में एक ऐसी समावेशी सरकार के गठन के अपने आह्वान को दोहराया जो अफगान समाज में महिलाओं और लड़कियों के लिए समान अधिकार सुनिश्चित करे।
अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, जापान और ब्रिटेन सहित कई देशों ने विश्वविद्यालयों में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने के तालिबान सरकार के फैसले की कड़ी निंदा की है। तालिबान ने मार्च में लड़कियों के माध्यमिक विद्यालयों में जाने पर रोक लगा दी थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, हम इस संबंध में सामने आईं खबरों को चिंता की दृष्टि से देखते हैं। भारत ने अफगानिस्तान में महिलाओं की शिक्षा के अधिकार का लगातार समर्थन किया है।



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