स्वाद का सफ़रनामा: एनर्जी देने के साथ दिल को मजबूत करती है चिरौंजी, इस सूखे मेवे से जुड़ी हैं कई रोचक बातें


हाइलाइट्स

चिरौंजी का उत्पत्ति केंद्र भारत को माना जाता है.
चिरौंजी को उगाने के लिए सर्द मौसम नहीं लगता है.
शरीर के लिए बेहद फायदेमंद है चिरौंजी का सेवन.

Swad Ka Safarnama: माना जाता है कि ड्राईफ्रूट्स उन्हीं इलाकों में पैदा होते हैं, जहां का मौसम ठंड लिए हुए होता है, लेकिन चिरौंजी एक ऐसा मेवा है जिसे सर्द मौसम की जरूरत नहीं होती. यह वजन में हल्की और आकार में छोटी होती है, लेकिन गुणों में बड़ी मानी जाती है. यह शरीर को बल देती है और दिल को मजबूत रखती है. इस मेवे का उत्पत्ति केंद्र भारत माना जाता है.

बादाम जैसी स्वादिष्ट होती है चिरौंजी

चिरौंजी (Cuddapah Almond) को चारोली या पयाल भी कहा जाता है. इसका आकार मसूर की दाल से थोड़ा सा बड़ा लेकिन गोल न होकर गोल-चपटा होता है. यह पयाल नाम पेड़ में पैदा होने वाले फलों की गिरी है, जिसका स्वाद बादाम के समान स्वादिष्ट होता है. हालांकि चिरौंजी को काजू परिवार का माना जाता है. चिरौंजी को पेड़ से तोड़ लेने के बाद अगर हल्का सा भून लिया जाए तो इसके स्वाद में बढ़ोतरी हो जाती है. इसका उपयोग मिठाइयों को और अधिक स्वादिष्ट बनाने के लिए किया जाता है. हालांकि इसकी नमकीन सॉस भी बनाई जाती है और ग्रेवी को गाढ़ा करने के लिए पाउडर के रूप में भी इसका प्रयोग किया जाता है. नॉनवेज मुगलई भोजन में चिरौंजी का खूब इस्तेमाल होता है. मुलायम खीर और सेंवई में भी इसे डाल दिया जाए तो इसका कुरकुरापन स्वाद को और बढ़ा देता है.

चरकसंहिता में है वर्णन

चिरौंजी की उत्पत्ति भारत देश में मानी गई है. वैसे यह थाईलैंड, वियतनाम, बर्मा आदि में भी अब खूब उगाई जाती है. अमेरिकी कृषि विभाग (USDA) के अनुसार चिरौंजी उष्णकटिबंधीय सदाबहार लेकिन कम उपयोग किया जाने वाला मेवा है और भारत का मूल निवासी है. आदिवासी लोग इसका औषधीय उपयोग करते हैं. इसका पेड़ प्रतिकूल जलवायु का भी सामना कर लेता है. एक भारतीय जानकारी के अनुसार है. चिरौंजी के पेड़ गुजरात, झारखंड, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पाए जाते हैं.

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नॉनवेज मुगलई भोजन में चिरौंजी का खूब इस्तेमाल होता है. Image-Canva

भारत के प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथ ‘चरकसंहिता’ में इसके गुणों का विस्तार से वर्णन किया गया है. ग्रंथ के अनुसार पियाल (चिरौंजी) अन्य मेवों की अपेक्षा शीतल होती है. यह स्वाद में मधुर के अलावा बलवर्धक, वातनाशक के अलावा कफ-पित्त का भी शमन करती है.

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चिरौंजी शरीर की एनर्जी बढ़ाती है

आधुनिक जानकारी के अनुसार अगर पोषक तत्वों की बात करें तो 100 ग्राम चिरौंजी में कैलोरी 656, कार्बोहाइड्रेट 12.1 ग्राम, फाइबर 3.8 ग्राम, प्रोटीन 19 ग्राम, वसा 59 ग्राम, आयरन 8.5 मिलीग्राम, कैल्शियम 279 मिलीग्राम, विटामिन सी 5 मिलीग्राम, विटामिन बी2 की मात्रा 0.53 मिलीग्राम, फास्फोरस 528 मिग्रा, विटामिन बी1 0.69 मिलीग्राम के अलावा अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं.

भारतीय जड़ी-बूटियों, फलों व सब्जियों पर व्यापक रिसर्च करने वाले जाने-माने आयुर्वेद विशेषज्ञ आचार्य बालकिशन ने चिरौंजी को आयुर्वेदिक औषधि भी माना है. उनका कहना है कि यह पुष्टिकारक है, शरीर की ताकत और सेक्स पॉवर बढ़ाने में उपयोगी है. चिरौंजी का फल मधुर, अम्ल, कषाय, शीत, गुरु, स्निग्ध तथा कफ-पित्तशामक होता है. यह रक्तपित्त का नाश करती है. इसका तेल भी शरीर के लिए लाभकारी है, वह शरीर की गर्मी को कम कर देता है.

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तेल व गोंद भी शरीर के लिए लाभकारी

दिल्ली के जाने-माने आयुर्वेदाचार्य डॉ. आरपी पराशर के अनुसार यह सर्वविदित है कि चिरौंजी शरीर को कई प्रकार का बल प्रदान करती है, इसे हृदय के लिए भी लाभकारी माना जाता है. इसके तेल को अगर भाप के रूप में सूंघा जाए तो श्वसन संबंधी बीमारियों में लाभ मिलता है. इसका नियमित सेवन कब्ज को दूर रखता है. इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं शरीर को सामान्य बीमारियों से तो बचाते ही हैं साथ ही मधुमेह के उपचार में भी मदद करते हैं. इसके पेड़ से गोंद भी निकलती है, जिसे आयर्वेद में पाचन संबंधी समस्याओं और सीने में दर्द के इलाज के लिए उपयोग में लाया जाता है. चिरौंजी देखने में तो छोटी व हलकी मानी जाती है लेकिन इसका अधिक सेवन कमजोर पाचन सिस्टम वाले लोगों को परेशान कर सकता है, क्योंकि यह अन्य मेवों की अपेक्षा देर में पकती है. इसे सामान्य से अधिक खा लिया जाए तो यह कब्ज भी पैदा करने का कारण बन सकती है.

Tags: Food, Lifestyle



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