सोशल मीडिया से बढ़ रही मांओं में तुलना की भावना: महिलाएं बना रहीं नकारात्मक धारणाएं, गुस्से और डर में भी इजाफा


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44 मिनट पहले

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सोशल मीडिया पर हर चीजें मिनटों में वायरल हो जाती हैं। ऐसे में गर्भावस्था के दौरान और डिलीवरी के बाद मांएं अपनी फोटो सोशल मीडिया में पोस्ट करती हैं और दूसरों से तुलना करती हैं। इस तरह सोशल मीडिया पर ज्यादा समय बिताने के कारण मांओं में तनाव बढ़ रहा हैं।

दरअसल, मातृत्व और पेरेंटिंग को लेकर जो मांएं सोशल मीडिया पर ज्यादा कंटेंट देखती हैं वो ज्यादा तनाव का शिकार हो रही हैं। बायोलॉजिकल साइकोलॉजी में प्रकाशित स्टडी में सामने आया कि तुलना से मांएं खुद को लेकर नकारात्मक धारणाएं बनाने लगती है। इससे उनमें डर की भावना पैदा होती है, जिससे शरीर में कॉर्टिसोल स्ट्रेस हॉर्मोन का ज्यादा उत्सर्जन होता है।

मांएं हफ्ते में 6 दिन मातृत्व से जुड़ा कंटेंट देखती हैं

सोशल सेल्फ प्रिजरवेशन थ्योरी के अनुसार, जब किसी सामाजिक स्थिति के कारण इंसान खुद पर से भरोसा खोने लगता है, तो हायपोथैलेमिक पिट्यूटरी एड्रिनल एक्सिस सक्रिय हो जाता हैै। शोधकर्ताओं ने इसके लिए 34 साल की उम्र की कुछ महिलाओं पर स्टडी की। इसमें सामने आया कि मांएं हफ्ते में 6 दिन इंटरनेट पर मातृत्व से संबंधित कंटेंट ही देखना पसंद करती हैं।

4 दिन चले इस सर्वे में दिन में तीन सोशल मीडिया साइट्स पर समय बिताने वाली महिलाओं के सलाइवा (थूक) का सैंपल भी लिया गया। इसमें उनका कॉर्टिसोल लेवल ज्यादा पाया गया। शोधकर्ताओं के अनुसार मांओं को ऐसा कंटेंट देखने से बचना चाहिए। खुद का स्वस्थ मूल्यांकन कर अपनी कमजोरियों और ताकतों को पहचानना चाहिए। इससे वे नकारात्मक भावनाओं से बची रहेंगी।

ज्यादा कॉर्टिसोल का मां-बच्चे पर बुरा असर

जोसेफ और उनके साथियों ने कहा कि शरीर में कॉर्टिसोल की मात्रा ज्यादा होने से मांओं के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है। इसके अलावा, बच्चों पर भी इसका प्रभाव पड़ता है क्योंकि ज्यादा कॉर्टिसोल वाली मांओं के बच्चों में भी कॉर्टिसोल की मात्रा ज्यादा होती है।

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