‘साम TV’ के फ़ुटेज की पड़ताल: PFI प्रदर्शन में ‘पाकिस्तान ज़िंदाबाद’ के नारे लगने का दावा ग़लत


देश भर में पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI) के कार्यालयों पर कई लॉ इंफोर्समेंट एजेंसियों द्वारा छापे मारे जाने के एक दिन बाद, 23 सितंबर को पुणे में कार्यकर्ताओं ने बड़ी संख्या में विरोध शुरू कर दिया. ये विरोध प्रदर्शन तब चर्चा का विषय बन गया जब कई राजनीतिक नेताओं और मीडिया घरानों ने ये दावा किया कि विरोध प्रदर्शन के दौरान “पाकिस्तान ज़िंदाबाद” के नारे लगाए गए.

ऑल्ट न्यूज़ ने 25 सितंबर को इस दावे की पड़ताल की और ये पाया कि वायरल वीडियो में PFI समर्थकों/कार्यकर्ताओं ने ‘पाकिस्तान ज़िंदाबाद’ का नारा नहीं लगाया था.

इस मामले के संदर्भ में पिछले कुछ दिनों से मराठी न्यूज़ चैनल ‘साम TV’ ने पुणे में हुए PFI के विरोध प्रदर्शन की 20 सेकंड की एक क्लिप (28 सेकेंड का वीडियो) बार-बार प्रसारित की. इसमें दावे के साथ ये कहा गया कि ‘पाकिस्तान ज़िंदाबाद’ के नारे सुने जा सकते हैं. उन्होंने 25 सितंबर को ऑल्ट न्यूज़ द्वारा किए गए फ़ैक्ट चेक की आलोचना भी की और ये दावा किया कि वीडियो क्लिप में ‘पाकिस्तान ज़िंदाबाद’ के नारे साफ़ तौर पर सुने जा सकते हैं.

‘साम TV’ द्वारा प्रसारित वीडियो फ़ुटेज में पुलिस वैन के अंदर गुलाबी शर्ट पहने एक व्यक्ति का क्लोज-अप शॉट है. उन्हें वैन से ही नारेबाज़ी करते सुना जा सकता है. इसके बाद कैमरा गुलाबी शर्ट वाले व्यक्ति से दूर हट जाता है और प्रदर्शनकारियों की भीड़ की तरफ मुड़ जाता है. इस वीडियो क्लिप के आखिर में पुलिस वैन दूर जाती हुई दिख रही है.

‘साम TV’ द्वारा अपलोड किए गए 22 मिनट के वीडियो में चैनल के कार्यकारी संपादक प्रसन्ना जोशी, ऑल्ट न्यूज़ द्वारा किए गए फ़ैक्ट-चेक से सहमत नहीं हैं. वीडियो में आगे वो दर्शकों को उसी फ़ुटेज को सुनाते हुए दावे के साथ कहते हैं कि इस क्लिप में ‘पाकिस्तान ज़िंदाबाद’ के नारे सुने जा सकते हैं.

‘साम TV’ के कवरेज की एक वीडियो क्लिप बाद में वायरल हो गई. आज तक के न्यूज़ एंकर शुभंकर मिश्रा सहित कई ट्विटर यूज़र्स ने इसे शेयर किया और दावा किया कि वीडियो में ‘पाकिस्तान ज़िंदाबाद’ के नारे सुने जा सकते हैं.

ट्विटर पर खुद को ‘पालघर बीजेपी विधानसभा के कानूनी सह-संयोजक’ बताने वाले एडवोकेट आशुतोष जे दुबे ने भी ये वीडियो क्लिप शेयर की. उन्होंने लिखा, “साफ़ ऑडियो के साथ एक क्लियर वीडियो में हम ये सुन सकते हैं कि वो “पाकिस्तान ज़िंदाबाद” के नारे लगा रहे हैं. साम TV न्यूज़ के माध्यम से.”

फ़ैक्ट-चेक

ऑल्ट न्यूज़ के फ़ैक्ट-चेक की आलोचना करते हुए ‘साम TV’ ने एक अन्य फ़ुटेज को ‘सबूत’ के रूप में पेश किया. इस वीडियो को पुणे में विरोध प्रदर्शन के दौरान लिया गया था. ‘साम TV’ के फ़ुटेज और हमारे फ़ुटेज (और पिछले फ़ैक्ट-चेक में इस्तेमाल किए गए) के बीच एकमात्र अंतर ये है कि ‘साम TV’ के फ़ुटेज को बहुत नज़दीकी ऐंगल से शूट किया गया है. साथ ही ये हाई रिज़ॉल्यूशन क्लिप भी है. ‘साम TV’ ने एक इन्फ़ोग्राफ़िक शेयर किया जिसमें उन्होंने ‘पाकिस्तान ज़िंदाबाद’ के दावे का खंडन करने के पीछे के एजेंडे पर सवाल उठाया. उन्होंने ये भी कहा कि ऑल्ट न्यूज़ ने ‘पूरा वीडियो देखे बिना’ फ़ैक्ट-चेक कर दिया.

रिडर्स ध्यान दें कि इससे पहले फ़ैक्ट-चेक किस तरह किया गया था. ऑल्ट न्यूज़ ने दावे को खारिज करते हुए सिलसिलेवार ढंग से घटनाक्रम समझाया था. हमने उस घटना के हर एक फ़ुटेज को देखा जो हमें मिला. साथ ही अलग-अलग ऐंगल से शूट किए गए घटना के वायरल विडियो सीरीज़ (कथित नारेबाज़ी) की सटीक समय सीमा का पता लगाने की एक जटिल प्रक्रिया भी की.

इस तरह के वीडियो की जांच करते समय सबसे पहला काम ऑडियो/वीडियो की प्लेबैक स्पीड को कम करना और स्लो वर्ज़न को ध्यान से सुनना है. नीचे दी गई स्क्रीन-रिकॉर्डिंग में हम यूट्यूब वीडियो को 1 मिनट 4 सेकेंड तक सामान्य स्पीड से चलाते हैं. और इसके बाद, ‘साम TV’ के वीडियो को 1 मिनट 6 सेकेंड पर स्लो मोशन में देखने के लिए ऑल्ट न्यूज़ ने यूट्यूब के इन-बिल्ट टूल का इस्तेमाल किया. इस फुटेज को जिस एंगल से शूट किया गया था, उसे देखते हुए ‘पॉपुलर फ़्रंट ज़िंदाबाद’ शब्द साफ तौर पर सुना जा सकता है. ये सबसे शुरूआती जांच है जो ‘साम TV’ टीम को पाकिस्तान समर्थक नारे सुनने का दावा करने से पहले करनी चाहिए थी.

ये ध्यान देने वाली बात है कि एक विरोध प्रदर्शन के दौरान, कई कारणों की वज़ह से कुछ शब्दों का सटीक उच्चारण नहीं सुना जा सकता है, जैसे कि एक ही वाक्यांश को बार-बार चिल्लाने के बाद थकान, आवाज़ों का ओवरलैप होना और अन्य बाहरी आवाज़ें. पुणे में PFI के विरोध प्रदर्शन के पुलिसनामा लाइव वीडियो (7 मिनट 30 सेकेंड) को सुनने पर कोई भी ये देख सकता है कि ‘पॉपुलर’ को कई जगह ‘पॉपलर’ के रूप में ग़लत उच्चारण किया गया है. ‘साम TV’ के वीडियो में भी ऐसा ही है.

‘साम TV’ ने अपने प्रसारण में वीडियो के साथ ‘ज़िंदाबाद ज़िंदाबाद’ और ‘पाकिस्तान ज़िंदाबाद’ के नारों को हिंदी में लिखा है. जैसे ही पुलिस वैन में सवार व्यक्ति कथित नारेबाज़ी करना शुरू करता है, एनोटेशन उसके मुंह पर चला जाता है. इस वजह से वीडियो की जांच करना हमारे लिए थोड़ा मुश्किल हुआ. ऑल्ट न्यूज़ ने रॉ फ़ुटेज के लिए ‘साम TV’ से संपर्क किया और उन्होंने हमें वो फ़ुटेज भेजी.

इस फ़ुटेज में एक मुख्य रेफ़रेंस पॉइंट है जिसका इस्तेमाल हमने पिछले फ़ैक्ट-चेक में वायरल वीडियो के ऑडियो की तुलना अन्य वीडियो से करने और क्रॉसचेक करने के लिए किया है. ये पॉइंट पुलिस वैन के जाने का विजुअल है. पिछले फ़ैक्ट-चेक में हमने जिन विरोध प्रदर्शनों की जांच की उनमें वो सभी वीडियोज़ शामिल थे जिनसे कथित नारेबाज़ी से पहले के विजुअल्स थे. पुलिस वैन कथित नारेबाज़ी से लगभग 15 सेकंड के भीतर दूर चली जाती है. (साम TV के फ़ुटेज में वैन को 20 सेकेंड पर दूर जाते हुए दिखाया गया है. इसलिए हमने रिडर्स के देखने के लिए 20 सेकेंड की क्लिप रखी है)

हमने ‘साम TV’ के फ़ुटेज में भी देखा कि पुलिस वैन दूर जा रही है. बाद में हमें वो जगह मिली जहां कथित नारेबाज़ी होती है. नीचे हमने वायरल वीडियो (बाएं) को ‘साम TV’ फ़ुटेज (दाएं) से क्लिप के साथ जोड़ा है. जैसा कि पाठक देख सकते हैं. ‘साम TV’ ने अपने कवरेज में जिस क्लिप का इस्तेमाल किया है और जिसे हमने जांच में इस्तेमाल किया, वो एक ही मौके का वीडियो है. इसका मतलब है कि यही वो समय सीमा थी जब कथित नारे लगाए गए थे. इसके आलावा, ध्यान दें कि वायरल वीडियो और ‘साम TV’ और हमारे द्वारा इस्तेमाल की गई वीडियो क्लिप एक ही समय सीमा की है.

नारे का फ़ोनेटिक विश्लेषण

हमने ‘साम TV’ द्वारा उपलब्ध कराए गए रॉ फ़ुटेज के सबंधित हिस्से को क्रॉप कर दिया है और इसे धीमा कर दिया है. वीडियो में जिस वक्त ‘साम TV’ ने ‘पाकिस्तान ज़िंदाबाद’ एनोटेशन का इस्तेमाल किया है. वहां जो पहली आवाज़ सुनी जा सकती है वो गुलाबी शर्ट पहने आदमी की है. नीचे व्यक्ति द्वारा नारे लगाने का 2x स्लो-डाउन वर्ज़न है.

इसके अलावा, रॉ फ़ुटेज को 4x पर स्लो डाउन करने पर गुलाबी शर्ट में आदमी को तेज़ी से तीन बार अपने होंठ बंद करते हुए देखा जा सकता है.

फ़ोनेटिक की शुरूआती जांच (ह्यूमन साउंड्स का अध्ययन) ये बताती है कि जेल वैन के अंदर गुलाबी शर्ट पहने व्यक्ति ‘पाकिस्तान ज़िंदाबाद’ नहीं कह सकता था. रिडर्स गौर करें कि ऑल्ट न्यूज़ ने यहां फ़ोनेटिक्स के संदर्भ में उसके होंठों के मूवमेंट के बारे में बताया है.

पाकिस्तान शब्द में पांच व्यंजन शामिल हैं: P, K, S, T और N.

फ़ोनेटिकली, P एक वॉयसलेस बाइलैबियल प्लोसिव है. ‘बाइलैबियल’ शब्द हमारे लिए एक संदर्भित पॉइंट है. P एक व्यंजन है जिसका उच्चारण करने के लिए किसी भी व्यक्ति को मुंह से हवा को रोकने के लिए अपने होठों को बंद करने की ज़रूरत पड़ती है.

‘पाकिस्तान’ शब्द में मौजूद दूसरे व्यंजनों में से किसी को भी उच्चारण करने के लिए होठों को बंद करने की ज़रूरत नहीं पड़ती है.

  • K एक वेलर प्लोसिव है जिसका उच्चारण हमारी जीभ के पिछले हिस्से को तालू पर उठाकर किया जाता है.
  • S एक ऐल्वीअलर सिबिलेंट है जिसका उच्चारण ऊपरी दांतों के पीछे रिज उल्ट जीभ की नोक को हल्के से रखकर किया जाता है.
  • T एक ऐल्वीअलर प्लोसिव है. T का उच्चारण जीभ की नोक को दांतों के रिज के उलट और जीभ के किनारों को ऊपरी तरफ के दांतों के उलट रखकर किया जाता है.
  • N एक वेलर नेज़ल है. इसकी आवाज़ हमारी नाक से बनती है.

जब हम इन सभी व्यंजनों का उच्चारण करते हैं तो मुंह खुला ही रहता है.

‘पॉपुलर फ्रंट’ वाक्यांश में दो बाइलैबियल प्लोसिव हैं: P, P साथ ही एक लैबियोडेंटल फ्रैकेटिव: F. ऊपरी दांतों के साथ निचले होंठ को छूकर लैबियोडेंटल फ्रैकेटिव F का उच्चारण किया जाता है.

पॉपुलर फ्रंट वाक्यांश का उच्चारण करने के लिए तीन बार अपना मुंह बंद करने की ज़रूरत होती है और ठीक ऐसा ही गुलाबी शर्ट पहने व्यक्ति भी करता है. एक के बाद एक तीन बार होठों को बंद करके ‘पाकिस्तान’ शब्द का उच्चारण करना असंभव है.

रिडर्स ये बात याद रखें कि किसी भी वर्णमाला में स्वर ही एक शब्दांश का क्रूक्स बनाते हैं जो बदले में हमें सार्थक आवाज़ निकालने में सक्षम बनाता है. भारी भीड़ के बीच गुलाबी शर्ट पहना आदमी साफ तौर पर POPULAR FRONT वाक्यांश में O और O, U, A स्वरों का उच्चारण नहीं करता है. इसलिए ये किसी अन्य शब्द की तरह लग सकता है. लेकिन ऊपर किए गए फ़ोनेटिक विश्लेषण में ये साबित होता है कि जो कहा जा रहा है उसमें तीन द्विभाषी हैं और ये शब्द पाकिस्तान नहीं हो सकता.

इस तरह, ऑल्ट न्यूज़ द्वारा प्राप्त सभी सबंधित फ़ुटेज की डिटेल में जांच करने के बाद ये कहा जा सकता है कि पुणे में PFI के विरोध के दौरान ‘पाकिस्तान ज़िंदाबाद’ के नारे नहीं लगाए गए थे.

‘साम टीवी’ ने ‘अपर्याप्त’ फ़ैक्ट-चेक के लिए ऑल्ट न्यूज़ की आलोचना की और दावा किया कि हमने घटना का पूरा वीडियो नहीं देखा है. ट्विटर पर कई वेरीफ़ाईड प्रोफाइलों ने भी ‘साम TV’ के कवरेज की एक वीडियो क्लिप शेयर करते हुए इस दावे को आगे बढ़ाया. ‘साम TV’ ने सबूत के तौर पर अपना खुद का फ़ुटेज मुहैया कराया. लेकिन सार्वजनिक तौर पर हमारे काम में ग़लती ढूंढने से पहले खुद बुनियादी वेरिफ़िकेशन की प्रक्रियाएं तक पूरी नहीं कीं. उचित पुष्टि के साथ इस डिटेल फ़ैक्ट-चेक में रिडर्स ये देख सकते हैं कि विरोध के दौरान ‘पाकिस्तान ज़िंदाबाद’ के नारे नहीं लगाए गए थे.

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