सबसे दूर स्थित आकाशगंगा: नासा के जेम्स वेब टेलिस्कोप ने खोजी 10 अरब साल पुरानी गैलेक्सी, देखें तस्वीर


28 मिनट पहले

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नासा के सबसे शक्तिशाली जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप ने कमाल की खोज की है। वैज्ञानिकों को 8 और 10 अरब साल पुरानी दो आकाशगंगाएं मिली हैं। दूसरी गैलेक्सी 19 अरब प्रकाश वर्ष दूर है। दोनों का ही रंग लाल है। यह हमारी मिल्की वे गैलेक्सी की तरह ही स्पाइरल गैलेक्सी हैं।

स्पाइरल गैलेक्सी क्या है?
ब्रह्मांड में स्पाइरल गैलेक्सी आकाशगंगा का सबसे सामान्य प्रकार है। ये हमेशा एक्टिव रहती है और इसमें तारों का फॉर्मेशन होता रहता है। ऐसी गैलेक्सी का रंग नीला नजर आता है, क्योंकि अल्ट्रावायलेट लाइट में नए तारे चमकते हैं। हालांकि कुछ आकाशगंगाएं लाल रंग की भी होती हैं। इनके तारे पुराने हो चुके होते हैं और ये भारी मात्रा में गैस से घिरी होती हैं।

जेम्स वेब टेलिस्कोप ने ली साफ तस्वीर
रिसर्चर्स का कहना है कि RS13 और RS14 नाम की इन दोनों आकाशगंगाओं को पहले भी खोजा जा चुका है। इससे पहले हब्बल स्पेस टेलिस्कोप और स्पिट्जर स्पेस टेलिस्कोप ने ये कामयाबी हासिल की थी। लेकिन, इनकी सीमित रेजोल्यूशन रेंज और सेंसिटिविटी के कारण गैलेक्सी के आकार और गुणों पर स्टडी करना नामुमकिन था। अब जेम्स वेब टेलिस्कोप ने ये समस्या दूर कर दी है।

वैज्ञानिकों ने RS13 और RS14 नाम की दो गैलेक्सी खोजीं। स्पिट्जर टेलिस्कोप और जेम्स वेब टेलिस्कोप द्वारा ली गईं इनकी तस्वीरों की तुलना की गई।

वैज्ञानिकों ने RS13 और RS14 नाम की दो गैलेक्सी खोजीं। स्पिट्जर टेलिस्कोप और जेम्स वेब टेलिस्कोप द्वारा ली गईं इनकी तस्वीरों की तुलना की गई।

लाल स्पाइरल गैलेक्सी काफी दुर्लभ
वैज्ञानिकों ने बताया कि लाल रंग की स्पाइरल गैलेक्सी का देखा जाना काफी दुर्लभ है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये स्पाइरल गैलेक्सी का मात्र 2% ही होती हैं। हैरानी की बात यह है कि RS13 और RS14 आकाशगंगाओं को एक ही तस्वीर में कैद किया गया है। वैज्ञानिक SMACS J0723.3-7327 गैलेक्सी क्लस्टर को स्टडी कर रहे थे।

सबसे दूर स्थित है RS14 गैलेक्सी
रिसर्चर्स के मुताबिक RS14 गैलेक्सी 10 अरब से भी ज्यादा साल पहले बनने लगी थी। ब्रह्मांड के विस्तार के कारण आज यह हमसे 19 अरब प्रकाश वर्ष दूर है। रिसर्च के अनुसार, इस तरह की आकाशगंगाओं की खोज हमें ब्रह्मांड में छिपे राज और सदियों से हो रहे उसके विस्तार के बारे में बताती है। ये रिसर्च द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में प्रकाशित हुई है।

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