शिकायत का इंतज़ार किए बिना हेट स्पीच के ख़िलाफ़ स्वत: संज्ञान लेकर केस दर्ज करें: सुप्रीम कोर्ट



याचिकाकर्ता शाहीन अब्दुल्ला की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ को बताया कि भाजपा नेता प्रवेश वर्मा ने (मुस्लिम समुदाय का) आर्थिक बहिष्कार का आह्वान कर अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया है.

मालूम हो कि बीते नौ अक्टूबर को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में एक हिंदू युवक की हत्या के विरोध में आयोजित एक कार्यक्रम में एक खास समुदाय (मुस्लिम) का पूरी तरह बहिष्कार करने का कथित तौर पर आह्वान किया था.

इस कार्यक्रम के कथित वीडियो में वर्मा को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि जहां कहीं भी वे आपको दिखाई दें तो उनका दिमाग ठीक करने का एक ही तरीका है- संपूर्ण बहिष्कार.

सिब्बल ने कहा, ‘हमने कई शिकायतें दर्ज कराई हैं. यह अदालत या प्रशासन स्थिति रिपोर्ट (Status Report) मांगने के अलावा कभी कार्रवाई नहीं करता है और लोग दैनिक आधार पर (नफरत फैलाने वाले) कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं.’

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि पीठ ने इस तरह के अपराध के संबंध में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) लागू करने की प्रार्थना पर संदेह व्यक्त किया. अपनी याचिका में अब्दुल्ला ने यूएपीए और अन्य कड़े प्रावधानों को लागू करने की भी मांग की है, ताकि घृणा फैलाने वाले भाषणों पर अंकुश लगाया जा सके.

सिब्बल ने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में ‘धर्म संसद’ की घटनाओं और राजनीतिक बैठकों में हुए हेट स्पीच अपराधों की जांच के लिए विशेष जांच दल का गठन करने के लिए प्रार्थना की जाती रही है.

इस दौरान जस्टिस जोसेफ ने पूछा, ‘क्या मुसलमान भी नफरत भरे भाषण दे रहे हैं?’ इस पर सिब्बल ने जवाब दिया कि नफरत भरा भाषण देने वाले किसी भी शख्स को बख्शा नहीं जाना चाहिए.

इस मौके पर जस्टिस जोसेफ ने कहा, ‘अनुच्छेद 51ए कहता है कि हमें वैज्ञानिक सोच विकसित करनी चाहिए और धर्म के नाम पर हम कहां पहुंच गए हैं? यह दुखद है.’

जस्टिस रॉय ने याचिका में उल्लिखित बयानों का जिक्र करते हुए कहा कि ये बहुत परेशान करने वाले हैं, खासकर इस तथ्य पर विचार करते हुए कि हमारा देश एक लोकतंत्र और धर्म तटस्थ है. हालांकि उन्होंने पूछा कि क्या केवल एक समुदाय विशेष के खिलाफ बयानों को उजागर किया जाता है.

जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस सीटी रवि कुमार की पीठ ने एक अन्य पीठ के समक्ष लंबित ऐसी ही याचिकाओं के साथ इसे भी नत्थी करते हुए केंद्र और सभी राज्यों को नोटिस जारी किए थे.

याचिकाकर्ता शाहीन अब्दुल्ला ने केंद्र और राज्य सरकारों को देशभर में नफरत फैलाने वाले अपराधों और भड़काऊ भाषणों की घटनाओं की स्वतंत्र, विश्वसनीय और निष्पक्ष जांच शुरू करने का निर्देश देने की मांग को लेकर शीर्ष अदालत का रुख किया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)





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