यूजीसी ने विश्वविद्यालयों से श्री श्री रविशंकर के ‘मेडिटेशन सेशन’ आयोजित करवाने को कहा


यूजीसी के सचिव रजनीश जैन द्वारा जारी किए गए सर्कुलर में उच्च शिक्षा संस्थानों और उनसे संबद्ध कॉलेजों से कहा गया है कि वे सकारात्मक मानसिक स्वास्थ्य के समाधान के रूप में आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के संस्थापक श्री श्री रविशंकर द्वारा विकसित ‘मेडिटेशन एंड मेंटल हेल्थ’ सत्र आयोजित करें.

श्री श्री रविशंकर. (फोटो साभार: फेसबुक/@srisriravishankar)

नई दिल्ली: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के संस्थापक श्री श्री रविशंकर द्वारा विकसित ‘ध्यान और मानसिक स्वास्थ्य’ (मेडिटेशन एंड मेंटल हेल्थ) पर सत्र आयोजित करने के लिए कहा है.

द हिंदू के अनुसार, यूजीसी के सचिव रजनीश जैन ने एक सर्कुलर में लिखा, ‘उच्च शिक्षा संस्थान और उनसे संबद्ध कॉलेजों/संस्थानों से अनुरोध है कि छात्रों और संकाय सदस्यों को सकारात्मक मानसिक स्वास्थ्य के समाधान के रूप में ध्यान शुरू करके इस कार्यक्रम का लाभ लेने के लिए प्रोत्साहित करें.’

सर्कुलर के अनुसार, मेडिटेशन कार्यक्रम को आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन द्वारा संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से हर घर ध्यान अभियान के हिस्से के रूप में विकसित किया गया है, जो ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ का एक हिस्सा है.’

इसके साथ ही यूजीसी ने कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को ‘मेडिटेशन एंबेसडर’ नियुक्त करने के लिए भी कहा है, जिनसे आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन को लेकर संपर्क लिया जा सकेगा.

अभियान के उद्देश्य के बारे में बताते हुए यूजीसी के अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार ने द हिंदू से कहा, ‘आज हम सभी विभिन्न प्रकार के तनावों से गुजर रहे हैं, जैसे काम का दबाव या परीक्षा संबंधित दबाव. इसलिए, शारीरिक फिटनेस के साथ-साथ हमें मेडिटेशन का अभ्यास करने की भी आवश्यकता है, जो वैज्ञानिक रूप से साबित हो चुका है कि यह हमारे दिमाग को शांत करता है और ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है.”

यह पूछे जाने पर कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तत्वावधान में स्वास्थ्य पेशेवरों द्वारा कार्यक्रम विकसित क्यों नहीं किया गया, उन्होंने जवाब दिया, ‘मेडिटेशन में सामान्य ब्रीदिंग एक्सरसाइज होती है. हमें इसे बहुत जटिल नहीं बनाना चाहिए. इसके पीछे का विचार यही है कि सभी को मेडिटेशन के बारे में बताया जाए.’





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