म्यांमार-थाईलैंड सीमा पर बंधक बनाए गए 150 भारतीय, जानें उनकी रिहाई में कहां आ रहा रोड़ा


हाइलाइट्स

म्यांमार-थाईलैंड सीमा पर कम से कम 150 भारतीय आईटी पेशेवरों को बंधक बनाकर रखा गया है.
ये सॉफ्टवेयर इंजीनियर ज्यादातर तमिलनाडु और केरल से हैं, जिन्हें नौकरी का झांसा देकर थाईलैंड ले जाया गया था.
अब इन्हें क्रिप्टो करेंसी और साइबर फ्रॉड जैसे जुर्म के लिए मजबूर किया जा रहा है.

नई दिल्ली. म्यांमार-थाईलैंड सीमा पर स्थित एक जगह कम से कम 150 भारतीय आईटी पेशेवरों को बंधक बनाकर रखा गया है. ये सॉफ्टवेयर इंजीनियर ज्यादातर तमिलनाडु और केरल से हैं, जो दुबई स्थित चीनी कंपनियों द्वारा दिए नौकरी के झांसे में फंस गए थे. अब इन्हें क्रिप्टो करेंसी और साइबर फ्रॉड जैसे जुर्म के लिए मजबूर किया जा रहा है.

इस साल जुलाई में धोखाधड़ी का ऐसा ही मामला सामने आने के बाद 32 ऐसे भारतीयों को बचाया गया था. वहीं भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया है कि दूसरे बंधकों को भी छुड़ाने के लिए लगातार कोशिश की जा रही है. हालांकि उनकी इस कोशिश में म्यांमार का एक विद्रोही समूह बड़ा रोड़ा बनता दिख रहा है.

अंग्रेजी अखबार न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबित, म्यांमार में सैन्य जुंटा से लड़ रहा करेन नेशनल लिबरेशन आर्मी (केएनएलए) भारी हथियारों से लैस विद्रोही समूह बताया जाता है. ऐसी आशंका जताई जा रही है कि भारतीय आईटी पेशेवरों को बंधक बनाने वाले मलेशियाई-चीनी गैंग को केएनएलए का संरक्षण प्राप्त हुआ है.

भारतीय सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े सूत्रों ने खुलासा किया कि म्यांमार के करेन राज्य में स्थित म्यावाड्डी जिला केएनएलए के नियंत्रण में है और हाल के दिनों में यहां इस विद्रोही समूह के हथियारबंद कैडरों और म्यांमार सेना के बीच लगातार हिंसक संर्घष देखा गया है. सैन्य रूप से अशांत इस जिले में केएनएलए की बड़ी मौजूदगी ने भी भारतीय अधिकारियों को थाईलैंड-म्यांमार सीमा के पास कहीं भी पहुंचने से रोक दिया है.

विदेश मंत्रालय ने बीते गुरुवार को इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया था कि म्यांमार में ‘अवैध रूप से बंधक’ बनाए गए 32 भारतीयों को सुरक्षित निकाल लिया गया है और बाकी लोगों को रिहा कराने के हर संभव प्रयास जारी हैं. विदेश मंत्रालय ने साथ ही भारतीय नागरिकों को नौकरी के लुभावने ऑफर देने वाली ऐसी कंपनियों से सचेत रहने का भी सुझाव दिया.

विदेश मंत्रालय इन सॉफ्टवेयर इंजीनियरों को बचाने में मदद के लिए म्यांमार और थाईलैंड में उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन म्यावाड्डी के आसपास जमीनी स्तर पर सटीक जानकारी की कमी के कारण इन कोशिशों में देरी हो रही है.

Tags: Jobs news, Myanmar, Software company



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