महिला को नशे की दवाई देकर छेड़छाड़ कर रहे ‘मौलवी’ का वीडियो असली घटना का नहीं


सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफी शेयर किया जा रहा है जिसमें एक मौलवी रिवाज के नाम पर एक महिला से छेड़छाड़ कर रहा है. वीडियो में दिख रहा बुजुर्ग व्यक्ति कथित तौर पर एक मौलवी है जिसने एक महिला को कथित रूप से कोई नशीली चीज़ खिलाई और फिर बेहोश होने पर उसके साथ छेड़छाड़ की. इसके बाद वीडियो में महिला ने बताया कि बांझपन के इलाज के लिए एक पड़ोसी ने उसे इस मौलवी के पास भेजा था. वीडियो रिकार्ड कर रहा व्यक्ति बुजुर्ग से बात करने से पहले उसकी हरकतों पर चिंता जताते हुए बोल रहा है. न्यूज़ पोर्टल्स और कुछ पत्रकारों ने वेरीफ़ाईड ट्विटर हैंडल से ये वीडियो ट्वीट किया है.

भाजपा सदस्य और वकील ‘@ippatel‘ ने भी ये वीडियो शेयर किया. रिडर्स ध्यान दें कि इन्होंने पहले भी कई बार ग़लत सूचना शेयर की है. ट्वीट में लिखा है, “झाड़-फूंक के नाम पर लोग मजारों में मौलवियों के पास जाते हैं. देखिए वहां क्या होता है.”

ये वीडियो सुदर्शन टीवी से जुड़े @Santosh_Stv ने भी इसी तरह के दावे के साथ ट्वीट किया. उन्होंने बताया कि मुस्लिम पूजा स्थल संदिग्ध स्थान हैं.

ये वीडियो @HindiKhabar की वरिष्ठ संवाददाता आंचल यादव ने भी ट्वीट किया. उन्होंने कैप्शन में लिखा, “ये देखिये जो महिलाएं मजारों-मस्जिदों में इलाज़ कराने जाती है, उनका ऐसा इलाज़ करते हैं खुदा के वंदे….”


वेरिफ़ाइड ट्विटर यूज़र अरुण पुदुर ने भी ये वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा कि ‘हिंदू कार्यकर्ताओं’ ने इसका एक्सपोज़ किया था.

ट्विटर यूज़र @YatiBaba2 ने मुस्लिम मौलवियों से मदद मांगने वाली हिंदू महिलाओं की दुर्दशा पर चिंता व्यक्त करते हुए ये वीडियो (आर्काइव लिंक) शेयर किया. उन्होंने अफ़सोस जताया कि हिंदुओं ने अपने 33 करोड़ देवी-देवताओं को त्याग दिया है और ‘जिहादियों’ में चले गए हैं. अंत में, वो हिंदुओं को जागने के लिए कहते हैं.

फ़ैक्ट-चेक

फ़ेसबुक पर की-वर्ड्स सर्च करने पर हमें एक पब्लिक ग्रुप मिला जिसका नाम है – ‘SUVENDU ADHIKARI बंगाल के भावी, मुख्यमंत्री‘. ये ग्रुप भाजपा नेता और पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी के नाम से चलाया जा रहा है. हालांकि इस ग्रुप के साथ उनके किसी भी तरह के कनेक्शन की ऑल्ट न्यूज़ पुष्टि नहीं करता है. ग्रुप में इसी घटना का 11 मिनट 52 सेकेंड का वीडियो शेयर किया गया है.

कैप्शन में लिखा है, “प्रजनन संबंधी मुद्दों पर सलाह लेने के लिए मौलाना के पास जाने वाली महिलाओं को मौलाना ड्रग्स देता है, उन्हें एक कमरे में खींचकर उनका बलात्कार करता है. देखिए पूरी रिपोर्ट.” इस वीडियो के लंबे वर्ज़न में 11 मिनट 50 सेकेंड पर एक डिस्क्लेमर दिखता है. डिसक्लेमर के मुताबिक, “इस वीडियो में सब कुछ काल्पनिक है. काल्पनिक इसलिए क्योंकि असलियत दिखाए जाने के लिए बहुत कड़वी है. हमारे देश में जो हो रहा है, उसकी तुलना में इसमें दिखाई गई घटनाएं असली नहीं हैं. हालांकि, वीडियो की पटकथा और पोस्ट करने में इस डिस्क्लेमर को नज़रअंदाज कर दिया गया है.


ज़्यादातर पत्रकार और न्यूज़ चैनलों ने बिना डिस्क्लेमर वाले छोटे वीडियो क्लिप को शेयर किया और इसे एक न्यूज़ रिपोर्ट के रूप में सोशल मीडिया पर पेश किया. इस लिस्ट में आँचल यादव, संतोष चौहान और न्यूज़ टाइम्स 24, और हिंदुस्तान लाइव न्यूज़ (आर्काइव लिंक) शामिल हैं.

वीडियो ध्यान से देखा जाए तो इसे देखकर ऐसा नहीं लगता कि मौलवी को इस बात की जानकारी न हो कि लोग उसे रिकॉर्ड कर रहे हैं. वीडियो से ये साबित करने का कोई तरीका नहीं है कि वो व्यक्ति सच में मुस्लिम था या महिला हिंदू थी या ये घटना मस्जिद में हुई थी.

इस वायरल वीडियो में मौलवी की भूमिका निभाने वाले व्यक्ति ने दूसरे कई स्क्रिप्टेड वीडियोज़ में भी अलग-अलग भूमिकाएं निभाई हैं. बुजुर्ग व्यक्ति द्वारा एक किशोरी से शादी करने और फिर उसे जिम्मेदार व्यक्ति द्वारा समाज से बाहर कर दिए जाने की थीम पर यूट्यूब पर दो वीडियोज (पहला, दूसरा) मौजूद हैं. दोनों वीडियोज़ में एक ही आदमी है. उनमें से एक वीडियो में डिस्क्लेमर है कि ये सिर्फ मनोरंजन के मकसद से बनाया गया है. हमें यूट्यूब और फ़ेसबुक पेज AbcPrank पर इसी तरह के प्रैंक वीडियोज़ मिलें जिसमें एक ही अभिनेता ने मौलवी की भूमिका निभाई है. मीडिया वेबसाइट बूम की फ़ैक्ट-चेक रिपोर्ट में इस बुजुर्ग शख्स के और वीडियोज़ के बारे में बताया गया है.

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कुल मिलाकर, एक नाटकीय घटना को एक न्यूज़ रिपोर्ट के रूप में असली घटना बताकर सोशल मीडिया पर शेयर किया गया है. ये पहली बार नहीं है जब ऑल्ट न्यूज़ ने स्क्रिप्टेड वीडियो की जांच उसकी असलियत लोगों को दिखाई हो. पहले भी कई बार ऑल्ट न्यूज़ असली मानकर शेयर किये गए स्क्रिप्टेड वीडियोज़ की सच्चाई बताई गई है. स्क्रिप्टेड वीडियोज़ पर किये गए हमारे फ़ैक्ट-चेक आप यहां पढ़ सकते हैं.

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