महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय को नम आंखों से लाखों ने दी अंतिम विदाई, याद आएंगे ये पल…


Queen Elizabeth II Funeral: महारानी ने अपने  21 वें जन्मदिन पर राजकुमारी एलिजाबेथ के तौर पर ब्रिटेन को पहली बार संबोधित किया था. उनकी ये स्पीच कैप टॉउन (Cape Town) से रेडियो पर ब्रॉडकास्ट हुई थी. तब उन्होंने कहा, “मैं इसका एलान करती हूं कि मेरा जीवन छोटा हो या लंबा हमेशा आपकी सेवा के लिए ही लगा रहेगा.” ब्रिटेन की यही महारानी उम्र के 96 वसंत पार कर सोमवार को जॉर्ज छठे के स्मृति चैपल में सदा के लिए चिरनिद्रा में लीन हो गईं. ब्रिटेन का शाही परिवार ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया 25 साल में महारानी बन सबसे लंबे वक्त राज करने वाली महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय को आखिरी विदाई देने के लिए उमड़ पड़ी थीं. यहां महारानी की इसी यादगार विदाई के पलों को महसूस कीजिए.

याद आएंगे ये पल…
ब्रिटेन में लंबे वक्त तक राज करने वाली महारानी एलिजाबेथ द्वितीय (Queen Elizabeth II) कई मायनों में खास रहीं. फिर चाहें ये उनका ब्रिटेन की राजशाही की बागडोर संभालना हो या फिर अपने आखिरी दम तक महारानी बने रहना हो. इतनी खास महारानी की आखिरी विदाई के लम्हे भी बेहद खास रहे. महारानी का ताबूत उनके लंदन के शाही आशियाने बकिंघम पैलेस (Buckingham Palace) से शुरू हुए अंतिम सफर के बाद बुधवार 14 सितंबर को संसद भवन के वेस्टमिंस्टर हॉल (Westminster Hall) लाया गया था.


किंग चार्ल्स तृतीय के बेटे प्रिंस विलियम,प्रिंस हैरी और शाही परिवार के वरिष्ठ सदस्य तोपगाड़ी में रखे ताबूत के पीछे महारानी के सम्मान में रहे. महारानी की बेटी प्रिंसेस एनी और प्रिंस एंड्रयू तथा प्रिंस एडवर्ड भी ताबूत वाले वाहन के पीछे चल रहे थे. यहां चार दिन तक ब्रिटेन की आम जनता के दर्शनों और श्रद्धांजलि के लिए उनके ताबूत को ‘लाइंग-इन-स्टेट’ में रखा गया था.

अंतिम संस्कार की रस्मों से पहले भावुक किंग चार्ल्स ने कहा कि उनके और शाही खानदान के संग जनता ऐसे साथ रही है कि इस एहसास ने उनका दिल छू लिया है. ब्रिटेन के वक्त के मुताबिक यहां लोगों ने शाम पांच बजे से लेकर सोमवार सुबह साढ़े छह बजे तक अपनी प्यारी महारानी के दर्शन किए.

ताजपोशी का सफर जहां से शुरू वहीं खत्म
ब्रिटेन के समय के मुताबिक यहां से सोमवार सुबह 8 बजे से  शाही सम्मान के साथ रखे गए दिवंगत महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय के नश्वर शरीर का आगे के सफर शुरू हुआ. सुबह 9.44 बजे वेस्टमिंस्टर हॉल से महारानी का ताबूत आगे के सफर के लिए बढ़ा. महारानी के ताबूत को वेस्टमिंस्टर हॉल से एबे तक रॉयल नेवी के स्टेट गन कैरेज में 142 यूनीकॉर्न पहने नाविक खींचकर ले गए. इस कैरेज का इस्तेमाल साल 1979 में लॉर्ड माउंटबेटन और साल 1952 में महारानी के पिता किंग जॉर्ज छठे के अंतिम संस्कार में हुआ था.  सबसे पहले उनके आखिरी सफर का ये जुलूस वेस्टमिंस्टर एबे (Westminster Abbey) पहुंचा. ये वही जगह है जहां 20 नवंबर 1947 में उनके प्यार एडिनबरा के ड्यूक प्रिंस फ़िलिप के साथ उनका रिश्ता आधिकारिक हुआ था. इसी जगह जून से 1953 में महारानी के ब्रिटेन की राजशाही चलाने का आगाज भी हुआ था.


इसी जगह से महारानी की ताजपोशी हुई और यही जगह उनके आखिरी सांस तक महारानी रहने के आखिरी पलों की गवाह बनी. यहां उन्हें आखिरी विदाई देने आए हजारों लोगों की मौजूदगी में एक धार्मिक कार्यक्रम हुआ. इसके बाद ब्रिटेन की सबसे लंबे वक्त तक राज करने वाली महारानी के पार्थिव शरीर को सेकेंड सर्विस के लिए विंडसर कैसल (Windsor Castle) लाया गया. यहां महारानी को सम्मान देने के बाद आखिर में उन्हें शाही परिवार के सदस्यों की मौजूदगी में किंग जॉर्ज छठे (George VI) की याद में बने चैपल (King George VI Memorial Chapel) में दफन किया गया.


साल 1960 में विंस्टन चर्चिल के बाद सबसे खास और भव्य शाही अंतिम संस्कार महारानी का रहा. बकिंघम पैलेस के मुताबिक़ महारानी एलिज़ाबेथ ने अपने आखिरी सफर की तैयारियां पहले ही खुद कर के रखी थीं. इसके लिए उन्होंने निजी तौर पर कुछ चीजें जोड़ी थीं.

पल-पल अलविदा का ये सफर
ब्रिटेन के वक्त के मुताबिक 10:44 अंतिम संस्कार के कार्यक्रम आगे बढ़ने लगा था. दिवंगत महारानी के पार्थिव शरीर को वेस्टमिंस्टर एबे तक वहीं खुली ताबूत वाली गाड़ी लेकर आई, जिसमें उन्हें वेस्टमिंस्टर हॉल लाया गया था. रॉयल नेवी के स्टेट गन कैरेज में 142 यूनीकॉर्न पहने नाविक खींचकर ले जा रहे थे. ऐसा लग रहा था जैसे महारानी शान से अपने आखिरी सफर की तरफ कदम बढ़ा रहीं हों. किंग चार्ल्स जॉर्ज III (King Charles III) के बेटे प्रिंस विलियम, प्रिंस हैरी के संग शाही खानदान के बुजुर्ग सदस्य महारानी के इस आखिरी सफर में गन कैरेज के पीछे-पीछे चल रहे थे. ये ऐसा आभास दे रहा था जैसे ये कह रहे हों हम आपके कदमों पर चलते रहेंगे आप हमारे दिलों में हमेशा मुस्कुराती रहेंगी.

महारानी के इस सफर में आगे-आगे चल रहे स्कॉटलैंड और आयरलैंड रेजिमेंट के बैंड-बाजों की धुनें माहौल के गमगीन होने पर भी राजशाही के शानो- शौकत के कसीदे पढ़ती नजर आ रही थीं. संग में रॉयल एयरफोर्स और गोरखा सदस्य राजशाही के फक्र को बयां कर रहे थे तो इस रास्ते में खड़े  रॉयल नेवी और रॉयल मरीन के जवान महारानी की शान में कदम ताल करते दिखे. पॉर्लियामेंट स्क्वायर (Parliament Square) पर जब यूके की तीनों सेनाओं ने महारानी के सम्मान में गॉर्ड ऑफ़ ऑनर दिया तो ऐसे लगा जैसे ये महारानी की गौरव गाथा आकाश को सुना रहे हैं. साथ में रॉयल मरींस बैंड की धुनों ने समां बांधा. जैसे ये कह रही हों याद आएंगी आप पल-पल हर पल प्यारी महारानी एलिजाबेथ.

विदाई की शाही रस्में बन गईं यादगार

वेस्टमिंस्टर हॉल से कुछ दूरी पर वेस्टमिंस्टर एबे के दरवाज़े मेहमानों के आने के लिए सुबह 8 बजे से खुल गए थे. दुनियाभर के शाही खानदानों संग मशहूर राष्ट्राध्यक्ष और राजनेता लंदन में महारानी को अलविदा कहने पहुंचे थे. वहीं ब्रिटेन के प्रभावशाली राजनेता और यूके के पूर्व प्रधामंत्रियों ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराई. यहां कार्यक्रम 11.00 बजे शुरू हुआ और इसके साथ शुरू हुआ अहम मेहमानों का आना. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन…प्रथम महिला जिल बाइडेन संग पहुंचे. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो, भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों सहित कई आमंत्रित लोग महारानी को आखिरी विदाई देने पहुंचे थे.

वहीं यूरोप भर के शाही खानदानों के सदस्य भी महारानी को आखिरी अलविदा कहने पहुंचे थे. इनमें महारानी के रिश्तेदार भी शामिल रहे. बेल्जियम के किंग फिलीप और क्वीन माथिल्डे संग स्पेन के किंग फिलीप के साथ क्वीन लेटीज़िया भी पहुंची. करीबन 2000 लोग महारानी की रुखस्ती के लिए यहां पहुंचे थे. महारानी को दफन करने वाली ये रस्में सख्त कायदों में हुई. इसके सेना के मार्च और ‘लाइंग इन स्टेट’ जैसे प्रोटोकॉल यहां आने वाले विदेशी मेहमानों के जेहन में तामउम्र की यादगार बन गए. साल 2002 में महारानी एलिजाबेथ की मां को भी यहीं अंतिम विदाई दी गई थी. हालांकि 18 वीं सदी के बाद से वेस्टमिंस्टर एबे किसी भी शहंशाह की आखिरी विदाई से महरूम रहा है. 

दुआओं में भी यादें हैं तुम्हारी

महारानी की आखिरी वक्त की प्रार्थनाओं में वेस्टमिंस्टर केडीन डेविड होली आर्कबिशप ऑफ़ कैंटरबरी (Archbishop Of Canterbury) जस्टिन वेल्बी ने उनकी बातों उनकी यादों को इस तरह शामिल किया कि वहां मौजूद लोगों की आंखों में नमी के संग एक चमक भी दिखाई दी. इस दौरान वहां मौजूद यूके की प्रधानमंत्री लिज़ ट्रस भी दुआएं करती दिखीं. ब्रिटने के स्थानीय समय 11:55 वेस्टमिंस्टर एबे में अंतिम संस्कार की आखिर में थोड़े वक्त के लिए बिगुल बजाया गया. इसकी आवाज बेहद कम वक्त में ही बता दिया कि महारानी क्या थीं और कितनी अहम थीं.

इसके बाद रखा गया दो मिनट का मौन जैसे बोल रहा था एलिजाबेथ II तुम अद्धभुत और शानदार थीं.  बीच दोपहर के वक्त बजा यूके का राष्ट्रगान याद दिला रहा था वो वादा जो जो 21 साल की राजकुमारी एलिजाबेथ ने अपने वतन से किया था कि मेरा जिंदगानी लंबी हो या छोटी वो आपकी खिदमत में रहेगी. महारानी के बांसुरी वादक के बजाए शोकगीत में जैसे महारानी की यादें गूंज रही थी. इसी के साथ दुआओं का ये सिलसिला यहीं थम गया.

जब बिग बेन गाया क्वीन का तराना

ब्रिटेन के 12.15 बजे महारानी के ताबूत को वेस्टमिंस्टर एबे से पैदल मार्च के साथ लंदन में हाइड पार्क के कोने वेलिंगटन आर्क में लाया गया. लंदन की सड़कों से गुजरती महारानी की इस आखिरी विदाई की रफ्तार धीमी ही थी. कतारों में खड़े ब्रितानी सेनाओं के जवानों का काफिला महारानी की इस आखिरी विदाई को शाही समारोह का पुख्ता और शानदार सुबूत था. बिग बेन से हर मिनट पर बजाई जा रहीं घंटियां महारानी की आखिरी नींद में उन्हें लोरी सुनाए जाने का एहसास करा रहीं थीं.

हाइड पार्क से हर एक मिनट पर दी गई तोपों की सलामी जैसे कह रही थी जेहन में हमारे ताजा रहेगा चेहरा तुम्हारा, दिलों में हमारे गूंजेगी तुम्हारी ही गौरव गाथाएं हमेशा. दर्शक दीर्घाओं में खड़े मौन साधे आम लोग कह रहें हो जैसे तुम को भुला न पाएंगे हम. महारानी के इस आखिरी सफर में सबसे आगे चल रहे रॉयल कनेडियन माउंटेड पुलिस के घुड़सवार शाही रुतबे का दिखा रहे थे तो सात समूहों के बैंड महारानी की शोहरत सुनाते लगे.  ब्रिटेन और कॉमनवेल्थ सैन्य सदस्य, पुलिस और एनएचएस के सैन्य सदस्यों ने भी इस शव यात्रा को यादगार बनाने में कसर नहीं छोड़ी.

ताबूत के पीछे महारानी के बेटे किंग चार्ल्स शाही खानदान के लोगों की अगुवाई करते जैसे बिन कहें ही कह रहे हो मां आप बहुत याद आएंगी. शाही खानदान की औरतें क्वीन कंसॉर्ट कैमिला, द प्रिंसेस ऑफ़ वेल्स, द काउंटेस ऑफ़ वेसेक्स और द डचेज़ ऑफ़ ससेक्स भी कारों के काफिले में महारानी को अलविदा कहने पहुंची थी. दोपहर लगभग 1 बजे के करीब वेलिंगटन आर्क (Wellington Arch) से महारानी के ताबूत को नए शव वाहन में रखकर विंडसर कासल (Windsor Castle) के आखिरी सफर के लिए रवाना किया गया. बीते 1000 साल से विंडसर कैसल कभी अकेला नहीं रहा. ये ब्रिटेन के शाही खानदान के 40 सम्राट-सम्राज्ञी का आशियाना रहा. महारानी के जिंदगी में भी ये कैसल हमेशा अहम रहा. जब दूसरे विश्व युद्ध के दौरान लंदन पर बमबारी का खतरा मंडराया तो महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की सुरक्षा के लिए उन्हें यही भेजा गया था. कोराना महामारी में भी ये महारानी का आशियाना रहा. 

जब आम लोगों की नजरों से दूर हुई 

जब विंडसर कासल की पांच किलोमीटर लंबे पैदल मार्च के लिए महारानी के ताबूत का वाहन पहुंचा वो नजारा देखने लायक था. सेना के जवान महारानी के इस आखिरी काफिले का इस्तकबाल करने कतारों में खड़े रहे. ये सफर आम लोगों की नजरों से दूर रहा क्योंकि इस सड़क पर उन्हें आने की मंजूरी नहीं दी गई थी. इसके कुछ देर बाद ही किंग जॉर्ज और ब्रितानी शाही खानदान के बुजुर्ग सदस्यों ने विंडसर कासल के अहाते के जुलूस शिरकत की. इसके साथ ही महारानी का ताबूत 
प्रार्थना के लिए सेंट जॉर्ज चैपल (St George’s Chapel) में ले जाया गया.

ये चर्च शाही खानदान के बप्तिस्मा यानी नामकरण संस्कार, शादियों के साथ आखिरी वक्त का भी गवाह बनता रहा. महारानी के पति और प्यार ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग प्रिंस फिलिप को भी अंतिम विदाई यहीं दी गई थी. साल 2018 में शाही खानदान के ड्यूक एंड डचेज़ ऑफ़ ससेक्स प्रिंस हैरी और मेगन की शादी भी यहीं हुई. इस कैसल की प्रार्थना सभा बेहद निजी रही. इसमे लगभग 800 मेहमान पहुंचे थे.  विंडसर के डीन डेविड कॉनर ऑर्क बिशप ऑफ़ कैंटरबरी जस्टिन वेल्बी ने साथ मिलकर यहां प्रार्थना सभा की.

जब छूटे महारानी के राजशाही के प्रतीक

इस आखिरी प्रार्थना सभा में ऐसी रस्मों को भी अंजाम दिया गया, जिसमें महारानी के राजशाही के खत्म होने को पुख्ता किया गया. ये काफी भावुक पल रहा. इस दौरान क्राउन जूलर ताबूत से इंपीरियल स्टेट क्राउन यानी शाही ताज को हटाया गया. इसके साथ ही शाही गहनों, राजदंड को भी रानी के ताबूत से अलग किया गया. इसी के साथ आखिरी बार महारानी का शाही क्राउन से हमेशा के लिए नाता टूट गया.

आखिरी मंत्रों के वक्त किंग क्वीन के अनुष्ठानिक दायित्व निभाने वाले वरिष्ठ पैदल गार्ड  ग्रेनाडियर गार्ड ने कंपनी कैंप कलर को ताबूत पर रखा. ठीक इसी वक्त द लॉर्ड चैंबरलेन  एमआई 15 के पूर्व प्रमुख बेरोन पार्कर ने अपने कार्यकाल की छड़ी तोड़ डाली. इस टूटी छड़ी को महारानी के ताबूत पर रख दिया गया. शाही खानदान में इसका टूटना सबसे सर्वोच्च अधिकारी के तौर पर उसकी ड्यूटी के खत्म होने का संकेत होता है.

ऐसे उतरा ताबूत वॉल्ट में

महारानी के वादकों ने प्रार्थना संगीत बजाकर जैसे उनके ताबूत को शाही वॉल्ट में उतारने का इशारा कर दिया. गॉड सेव द किंग गीत से माहौल गूंज उठा. बकिंघम पैलेस के मुताबिक विंडसर कैसल में इस संगीतमय माहौल की चाह महारानी ने मौत से पहले ही रख दी थी. इसके साथ ही अंतिम संस्कार की प्रार्थना सभा खत्म हुई और शाही खानदान के सदस्यों ने चैपल से विदा ली.

 

शाम के वक्त शाही खानदान की बेहद निजी प्रार्थना के बाद महारानी को उनके पति ड्यूक ऑफ़ एडिनबरा के नजदीक ही किंग जॉर्ज VI  की याद में बने चैपल में दफ़ना दिया गया. ये सेंट जॉर्जेज़ चैपल (St George’s Chapel) अंदर ही है. महारानी के नाम की संगरमरमर स्मृति पट पर लिखा एलिजाबेथ II 1926-2022 हमेशा उनकी याद दिलाता रहेगा.

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