मदर्स-डे स्पेशल: तीन बच्चों की मां बनीं सफल बिजनेस वुमेन, पढ़ें सक्सेस स्टोरी

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Mother’s Day Special Success Story: मदर्स-डे के ख़ास मौक़े पर पढ़ते हैं तीन बच्चों की मां सफल बिजनेस वुमेन भी बनीं, कुंज यादव की कहानी. मां और सफल बिजनेस वुमेन बनी की कहानी ये बताती है कि घर-परिवार, बच्चों की ज़िम्मेदारी के साथ साथ बिज़नेस के उतार-चढ़ाव में भी महिलाएँ अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा सकती हैं.

14 साल की उम्र से बिजनेस के साथ जुड़ गईं
कुंज यादव 14 साल की उम्र में अपने पिता के बिजनेस के साथ जुड़ गईं. पिता छोटी उम्र से ही उन्हें बिजनेस की बारीकियाँ सिखाने लगे. कुंज, यदु कॉर्पोरेशन की मैनेजिंग डायरेक्टर हैं. 1990 में बनी यदु कॉर्पोरेशन आज रियल स्टेट, हॉस्पिटैलिटी, शुगर और पावर समेत कई इंडस्ट्रीज़ में सक्रिय है. कुंज यादव इस कॉर्पोरेशन से साल 2012 में जुड़ीं. जुड़ने के साथ ही कुंज ने कॉर्पोरेशन की ब्रांडिंग और मार्केटिंग के क्षेत्र में व्यापक स्तर पर काम करना शुरू किया और पैकेजिंग से लेकर क्वालिटी में सुधार किया. यदु कॉर्पोरेशन ब्रान्ड के तौर पर स्थापित हो चुका है.

महिलाओं की सक्रिय भागीदारी
वे नेटबॉल की बेहतरीन प्लेयर हैं. वो नेटबॉल की नेशनल लेवल की चैम्पियन भी रह चुकी हैं. एक वर्किंग मदर होने के नाते उन्होंने एचआर पॉलिसी में डायवर्सिटी पर विशेष ध्यान दिया. नतीजतन यदु कॉर्पोरेशन के वर्क फोर्स में आज लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा महिलाओं का है. एचआर, मार्केटिंग एंड सेल्स के अलावा ग़ैर-पारम्परिक विभागों जैसे एड्मिनिस्ट्रेशन और फ़ाइनेन्स डिपार्टेमेंट में भी महिलाओं की सक्रिय भागीदारी दिखती है.

पति और परिवार का सहयोग 
शादी के बाद बिजनेस के सफर में में उनके पति और परिवार ने सहयोग दिया. आज वो जो हैं उसमें उनके पिता, पति और ससुर का बहत सहयोग रहा. कुंज को अपनी ज़िंदगी में आए पुरुषों पिता,पति ने भी हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया. अब उनके बच्चे भी मोटिवेट करते हैं.

महिलाएं खुलकर अपनी बात कहें
“आज के दौर की महिलाएं पहले से कहीं ज्यादा समझदार हैं, चाहे घर का काम हो, प्रेगनेंसी हो, नौकरी हो या बिजनेस, महिलाएं पहले से कहीं ज्यादा बेहतर तरीके से चीजों को देख और समझ रही हैं. लेकिन इन सब बातों के बीच ये देखना दुखद है कि अभी भी बहुत सी महिलाएं अपने मन की बात नहीं कह पाती हैं. पुरानी कहावत है कि जब तक बच्चा रोता नहीं तब माँ भी दूध नहीं पिलाती. इसी तरह महिलाओं को समझना होगा कि- खुलकर अपनी बात कहे बग़ैर परिवार, सहकर्मी अथवा अन्य लोगों से हमें समझने की उम्मीद करना बेमानी है. जिस दिन देश की तमाम महिलाएं खुलकर अपनी बात कहना सीख जाएंगी उस दिन उनके लिए चीजें और आसान हो जाएंगी.”

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Tags: Mothers Day Special, Womens Success Story

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