भारत के लोगों में कितनी बची है वैक्‍सीन की इम्‍यूनिटी? ICMR वैज्ञानिक ने बताया चीन से आया कोरोना तो क्‍या होगा असर


नई दिल्‍ली. कोरोना ने एक बार फिर चिंता बढ़ा दी है. पड़ोसी देश चीन में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ने से भारत में भी सतर्कता बरतने के लिए कहा जा रहा है. साथ ही कोरोना से बचाव के उपाय मास्‍क (Mask) को पहनने की सलाह देने के अलावा सभी लोगों से कोरोना वैक्‍सीन (Corona Vaccine) की बूस्‍टर डोज (Booster Dose) लगवाने के लिए कहा जा रहा है ताकि रोग की गंभीरता से बचा जा सके. गौरतलब है कि वैक्‍सीन की दो डोज लेने के बाद इम्‍यूनिटी (Immunity) को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए बूस्‍टर डोज शुरू की गई थी हालांकि केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय के आंकड़े बता रहे हैं कि अभी तक देश में कुल 27 फीसदी लोगों ने ही कोरोना वैक्‍सीन की बूस्‍टर डोज ली है.

ऐसे में चीन में फैलते कोरोना के बाद भारत के लिए बड़ा सवाल यह भी है कि अगर ये संक्रमण (Corona Infection) भारत में आया तो क्‍या कोरोना वैक्‍सीन की दोनों डोज ले चुके लोग इससे सुरक्षित रह पाएंगे? क्‍या उनके अंदर वैक्‍सीन वाली इम्‍यूनिटी अभी मौजूद है? जैसा कि कई रिसर्च और अध्‍ययनों में कहा गया कि वैक्‍सीन का असर लगभग एक साल त‍क रहता है, लिहाजा 2021 से भारत में शुरू हुए वैक्‍सीनेशन को दो साल होने जा रहे हैं, तो क्‍या वैक्‍सीन का असर अभी शरीरों में बचा है या खत्‍म हो गया है?

न्‍यूज18 हिंदी ने इस सवालों पर इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के विशिष्‍ट वैज्ञानिक और पूर्व अतिरिक्‍त निदेशक आईसीएमआर डॉ. समीरन पांडा ने विस्‍तार से बातचीत की हैं. उन्‍होंने कहा कि भारत में जनवरी 2021 में कोरोना वैक्‍सीनेशन शुरू किया गया था लेकिन यहां फेज वाई फेज वैक्‍सीनेशन हुआ था. सबसे पहले हेल्‍थकेयर वर्कर्स और फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्‍सीन दी गई, फिर कोमोरबिड बुजुर्गों को, उसके बाद 45 से 60 साल तक के कोमोरबिड और फिर सामान्‍य लोगों को वैक्‍सीन दी गई थी. इस सब में कई महीने का समय लगा था.

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ऐसे में सामान्‍य युवा के वैक्‍सीन की पहली डोज लगते-लगते करीब 6 महीने गुजर गए थे. इसके बाद वैक्‍सीन की दूसरी डोज लगाई गई, जिसके अंतराल में कई बार बदलाव हुआ था, अधिकांश 3 महीने के अंतराल पर दी गईं थी. लिहाजा ये सब साल के आखिर तक चला. वहीं जिन्‍हें सबसे पहले वैक्‍सीन की दो डोज लगी थीं उन्‍हें इस साल बूस्‍टर डोज भी लगाई जा चुकी है. ऐसे में अगर इम्‍यूनिटी एक साल या उससे आगे चलती है या नहीं, ये सवाल है, तो भारत में वह मौजूद है, क्‍योंकि एक-सवा साल से ज्‍यादा समय नहीं हुआ है.

हालांकि कोरोना को लेकर इम्‍यूनिटी दो तरह से बनती है, पहली वैक्‍सीन के माध्‍यम से और दूसरी संक्रमण के माध्‍यम से. भारत में वैक्‍सीनेशन लगभग शत-प्रतिशत हुआ है और ओमिक्रोन के दौरान संक्रमण भी तो यहां दोनों की वजह से लोगों में हाइब्रिड या सुपर इम्‍यूनिटी मौजूद है.

वहीं वैक्‍सीन की बात है तो यह मानव स्‍वभाव है कि अगर हमारे सामने कोई खतरा आता है तो हम सतर्क हो जाते हैं, ऐसे में चीन से जैसे जैसे कोरोना की खबरें आ रही हैं और भारत में भी 3-4 मामले चाइनीज वेरिएंट वाले कोरोना के आए हैं तो बूस्‍टर डोज लगवाने का आंकड़ा भी अब भारत में बढ़ जाएगा और कोरोना से लड़ने की शक्ति शरीरों में मजबूत हो जाएगी. यह एक रेस्पिरेटरी वायरल इंफेक्‍शन है जो कभी भी हो सकता है तो इसे ध्‍यान में रखकर भी लोग बूस्‍टर डोज लगवा लें.

चीन से आया कोरोना तो…
डॉ. पांडा कहते हैं कि सिर्फ चीन में ही नहीं बल्कि जापान, ब्राजील और कोरिया में फैल रहा है तो भारत में भी आ सकता है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता लेकिन जरूरी नहीं है कि भारत में चीन वाला ही वेरिएंट आएगा, और वह यहां पर भी ऐसा ही प्रभाव डालेगा जैसा कि चीन में डाल रहा है. चीन में न तो भारत की तरह वैक्‍सीनेशन हुआ है और न ही वहां पर संक्रमण से इम्‍यूनिटी आई है, जबकि भारत में हाइब्रिड इम्‍यूनिटी मौजूद है.

चूंकि यह एकदम नई बीमारी है, जिसके बारे में अभी पता चला है, ऐसे में ही साल इसकी वैक्‍सीन का एक शॉट लगवाने की सलाह दी जा रही है ताकि अगर कोरोना संक्रमण हो भी तो गंभीर स्थिति न बने.

कोरोना संक्रमण बचने से रोकने के लिए ये करें
डॉ. समीरन कहते हैं कि कोरोना को लेकर सरकार भी समय-समय पर एडवाइजरी जारी करती है, अभी भारत में इतना खतरा नहीं है. लेकिन ऐसे में लोगों को मास्‍क जरूर पहनना चाहिए. इस समय जरूरी है कि बाहर जब भी निकलें मास्‍क पहनें.

Tags: Corona Virus, Herd Immunity, ICMR, Immunity



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