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नई दिल्ली:
देश में बढ़ती महंगाई के बीच भारतीय रिजर्व बैंक ने तीन नवंबर को मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee) की विशेष बैठक बुलाई है. भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से जारी एक रिलीज़ में कहा गया है कि मौद्रिक नीति समिति की ये विशेष अतिरिक्त बैठक RBI Act के सेक्शन 45 ZN के तहत बुलाई गई है. इस कानूनी प्रावधान के तहत RBI अगर महंगाई दर को 6% के नीचे नहीं रख पाती है, तो उसे सरकार को एक रिपोर्ट देनी होगी कि क्यों वो टारगेट पूरा नहीं कर सकी. इसे पूरा करने के लिए वो क्या जरूरी कदम उठाने वाली है और कब तक ये टारगेट पूरा कर सकेगी?
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सरकार ने मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत (दो प्रतिशत कम या अधिक) पर सीमित रखने का लक्ष्य केंद्रीय बैंक को दिया हुआ है. लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद आरबीआई मुद्रास्फीति को छह प्रतिशत के भीतर सीमित रख पाने में नाकाम रहा है. इस साल जनवरी से ही मुद्रास्फीति लगातार छह प्रतिशत के ऊपर बनी हुई है. इस तरह आरबीआई लगातार तीन तिमाहियों से अपने मुद्रास्फीति लक्ष्य को हासिल करने में नाकाम रहा है, लिहाजा वैधानिक प्रावधानों के अनुरूप उसे सरकार को इसपर रिपोर्ट देनी होगी.
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आरबीआई ने मौद्रिक नीति के बारे में फैसला लेने वाली एमपीसी की यह विशेष बैठक इसी रिपोर्ट को तैयार करने के मकसद से बुलाई है. एमपीसी की अनुशंसाओं के अनुरूप गत मई से अब तक नीतिगत रेपो दर में 1.90 प्रतिशत की कुल वृद्धि की जा चुकी है. इस तरह अब रेपो दर 5.90 प्रतिशत पर पहुंच चुकी है.
जनवरी, 2022 के बाद 3 तिमाही से लगातार महंगाई दर 6% के सहिष्णुता बैंड (Tolerance Band) से ऊपर रही है. सरकार और RBI की कोशिशों के बावजूद सितम्बर, 2022 में CPI Inflation Rate बढ़कर 7.41% तक पहुंच गई. अगस्त में CPI Inflation Rate 7% रही थी. (भाषा इनपुट के साथ)
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