बच्‍चों की जिंदगी को इस तरह आसान बना सकते हैं पैरेंट्स, छोटी कोशिशों से बन सकती है बात


टीनएज उम्र कई उतार-चढ़ावों से भरी होती है। इस उम्र के बच्‍चों के मन में हमेशा हलचल बनी रहती है। बच्‍चों के लिए ही नहीं बल्कि पैरेंट्स के लिए भी ये उम्र काफी चुनौतीपूर्ण साबित होती है। टीनएज बच्‍चों को अपनी सिचुएशन को समझने और उस पर सही तरीके से प्रतिक्रिया देने में काफी दिक्‍कत आती है और इस स्थिति में मां-बाप उसे पर्याप्‍त सपोर्ट देकर उसकी स्थिति को थोड़ा आसान बना सकते हैं। इसके लिए टीनएज बच्‍चे के पैरेंट को थोड़ा धैर्य दिखाना होगा, बच्‍चे में इन्‍वॉल्‍व होना होगा और उसके साथ आपसी समझ विकसित करनी होगी। इसके अलावा टीनएज बच्‍चों के पैरेंट्स को कुछ और भी जरूरी बातों का ध्‍यान रखना होता है, जिनके बारे में आपको आगे बताया जा रहा है।

​कम्‍यूनिकेट करते रहें

बच्‍चे के साथ आपका कम्‍यूनिकेशन या बातचीत टूटनी नहीं चाहिए। उसकी बात से असहमत होने पर भी आपको उसे बोलने का पूरा मौका देना चाहिए। आप उससे जितनी ज्‍यादा बात करेंगे, उतना ही ज्‍यादा आपको पता चल पाएगा कि आपके बच्‍चे की जिंदगी में क्‍या चल रहा है। सबसे अहम है कि आप उसके लिए अच्‍छे श्रोता का काम करें। अपने विचारों को उस पर थोपें नहीं बल्कि उसकी बात सुनें।

​दोस्‍त भी बनें

पैरेंट्स का बच्‍चे की भलाई के लिए उसके साथ स्ट्रिक्‍ट होना सही है लेकिन कभी-कभी आपको बच्‍चे का दोस्‍त बनकर भी रहना चाहिए। आप परिस्थिति के हिसाब से अपने आप को बदल सकते हैं। जानें कि आपके बच्‍चे को कब एक दोस्‍त, कब पैरेंट और कब एक मार्गदर्शक की जरूरत है।

​आलोचना कम से कम करें

बच्‍चे को बेहतर बनाने के लिए कंस्ट्रक्टिव क्रिटिसिज्‍म करना सही है लेकिन हर वक्‍त उसकी आलोचना करते रहना तो गलत होगा। इससे बच्‍चा खुद को दूसरों से कमतर समझ सकता है। आपकी आलोचना बच्‍चे के आत्‍मविश्‍वास और आतमसम्‍मान को चोट पहुंचा सकती है।

​सेल्‍फ केयर पर ध्‍यान दे

टीनएज बच्‍चे में खुद की देखभाल करने की भावना डालने की कोशिश करें। इससे बच्‍चा दूसरों की बजाय खुद को महत्‍व देना शुरू करेगा। इस तरह बच्‍चे का आत्‍मविश्‍वास बढ़ेगा। आगे चलकर बच्‍चे को इससे बहुत फायदा होगा और उसमें मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं का खतरा कम होगा।

​आत्‍मनिर्भर बनाने के लिए जबरदस्‍ती ना करें

जिम्मेदारी और स्वतंत्रता समय के साथ आती है। ऐसा कोई तरीका नहीं है कि आप इसे किसी पर थोप सकें। एक किशोर होने के नाते जिम्मेदार होने की कोई तय उम्र नहीं होती है और माता-पिता को अपने किशोरों को आत्‍मनिर्भर बनने के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए, भले ही वे इसके लिए तैयार न हों। अपने बच्चे को यह खोजने दें कि वे क्या चाहते हैं, उन्हें कदम दर कदम दृष्टिकोण अपनाने दें। ऐसा ना हो कि आपकी बच्‍चे को आत्‍मनिर्भर बनाने की कोशिश उसे हर वक्‍त दबाव में रखे। इसका नुकसान ना सिर्फ बच्‍चे को बल्कि आपको भी होगा।

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