बच्चियों से रेप और हत्या : 42 दोषी कतार में, एमपी में 25 साल से किसी को नहीं हुई फांसी


भोपाल. मध्यप्रदेश में बच्चियों से रेप और उनकी हत्या के दरिंदों को अदालत ने तो फांसी की सजा सुनायी लेकिन 25 साल में एक को भी फंदे पर नहीं लटकाया गया. इस दौरान कुल 42 दोषियों को फांसी की सजा सुनायी जा चुकी है. सीएम शिवराज सिंह ने खुद इस पर चिंता जाहिर की. कांग्रेस ने कहा–बीजेपी की वजह से जनता न्याय प्रणाली पर सवाल खड़े कर रही है. बीजेपी बोली–कांग्रेस को ऐसे मामलों में राजनीति नहीं करनी चाहिए.

बच्चियों के साथ हो रहे अत्याचार से मध्य प्रदेश सिहर रहा है. हाल ही में भोपाल के बिलाबोंग स्कूल की बस में 3 साल की बच्ची के साथ रेप की घटना से सब सकते में हैं. खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने घटना पर कड़ी नाराजगी और चिंता जताई थी. उन्होंने कहा भोपाल में मासूम बच्ची के साथ ऐसी घटना हुई. ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए समझ नहीं आता कि और कैसे कठिन कदम उठाए जाएं. बच्चियों के साथ होने वाली घटनाओं में अधिकांश रिश्तेदार या अपने होते हैं. ऐसे मामलों में सज़ा तो हो जाती है लेकिन फाँसी होने में पता नहीं कितना समय लग जाता है. विधायिका और न्यायपालिका को कठोर सज़ा जल्द देने पर विचार की ज़रूरत है.

42 दोषी फांसी की कतार में
मध्य प्रदेश में बच्चियों से रेप और हत्या समेत जघन्य अपराधों में 42 दोषियों को अदालत फांसी की सजा सुना चुकी है. ये अलग अलग जेलों में बंद हैं. लेकिन अब तक फंदे पर किसी को नहीं लटकाया जा सका. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील जगदीश गुप्ता ने कहा फांसी के मामलों में सेशन कोर्ट, स्पेशल कोर्ट की अपील हाईकोर्ट में की जाती है. कई बार हाईकोर्ट में केस होने की वजह से सजा लंबित रहती है. केसों की भरमार की वजह से भी ऐसे मामलों की सुनवाई में देरी होती है. हाईकोर्ट में यदि फांसी की सजा बरकरार रखी जाती है तो सुप्रीम कोर्ट में अपील की जाती है. उन्होंने कहा सुप्रीम कोर्ट में भी यह मामले लंबी कतार में लगे रहते हैं. व्यवस्था के कारण ही मामले लंबित पड़े रहते हैं. इसके बाद भी राष्ट्रपति के पास दया याचिका लगाई जाती है. वहां पर भी ऐसे मामले पेंडिंग रहते हैं. उन्होंने कहा हमारा सिस्टम और व्यवस्था को कठोर करने की जरूरत है. सेशन कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक सिस्टम शार्प होगा तो तभी दोषियों को फांसी मिलेगी.

fa

25 साल से फांसी नहीं
मध्यप्रदेश में पिछले 25 साल से प्रदेश में किसी दोषी को फांसी के फंदे पर नहीं लटकाया जा सका है. प्रदेश में आखिरी बार फांसी की सजा 1997 में जबलपुर जेल में कामता तिवारी को दी गई थी. वो भी बच्चियों से रेप और हत्या का दोषी था. इस मामले में कांग्रेस ने बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया है. प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अविनाश बुंदेला ने कहा कोई भी दोषी फांसी की सजा या फिर दूसरे अपराध में सजा काट रहा हो, तब वह बरी हो जाता है. आम जनता न्याय प्रणाली पर सवाल खड़े करती है. उन्होंने कहा बीजेपी के संगठन से जो अलग होता है उस पर कार्रवाई की जाती है. यही कारण है कि न्याय प्रणाली पर आम आदमी सवाल खड़े करता है.

Tags: Madhya pradesh latest news, Minor girl rape murder



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *