पहली बार बुल्गेरियन नॉवल को बुकर प्राइज: जॉर्जी गोस्पोडिनोव के ‘टाइम शेल्टर’ को अवॉर्ड, अतीत की यादों पर कहानी


लंदनएक घंटा पहले

  • कॉपी लिंक
लंदन में बुधवार ​को ​​​​​​लेखक जॉर्जी को बुकर अवॉर्ड दिया गया। - Dainik Bhaskar

लंदन में बुधवार ​को ​​​​​​लेखक जॉर्जी को बुकर अवॉर्ड दिया गया।

राइटर जॉर्जी गोस्पोडिनोव ने इस साल का प्रतिष्ठित बुकर प्राइज जीता है। उनके उपन्यास ‘टाइम शेल्टर’ के लिए यह पुरस्कार दिया गया है। पहली बार किसी बुल्गेरियाई उपन्यास को ये पुरस्कार मिला है। एंजेला रोडेल ने इसका इंग्लिश ट्रांस्लेशन किया था।

लंदन में बुधवार ​को ​​​​​​लेखक जॉर्जी को बुकर अवॉर्ड दिया गया। उन्हें 50 हजार पाउंड की इनाम राशि भी मिली है, जिसे वो एंजेला रोडेल के साथ शेयर करेंगे।

तस्वीर जॉर्जी गोस्पोडिनोव और एंजेला रोडेल की है। उनके हाथ में 'टाइम शेल्टर' नॉवल है।

तस्वीर जॉर्जी गोस्पोडिनोव और एंजेला रोडेल की है। उनके हाथ में ‘टाइम शेल्टर’ नॉवल है।

अतीत की यादों को जिंदा करने की कहानी है टाइम शेल्टर
टाइम शेल्टर एक क्लीनिक की कहानी है, जिसका नाम है “क्लीनिक फॉर द पास्ट’। यहां अल्जाइमर से पीड़ित लोगों की मदद की जाती है। अतीत को दोबारा जिंदा किया जाता है। इस क्लीनिक की हर मंजिल पर एक दशक को मिनटों में मरीज के सामने दोबारा जीवित किया जाता है। ताकि मरीज अतीत में जाकर यह देख सके कि उसकी धुंधली पड़ती यादों में क्या बचा रह गया है। जल्द ही बहुत सारे लोग अपनी रोजमर्रा की जिंदगी से परेशान होकर इस क्लीनिक में आना शुरू कर देते हैं। जब वर्तमान में अतीत की दखलंदाजी बढ़ती है तो एक समस्या खड़ी हो जाती है।

गोस्पोडिनोव ने यह उपन्यास डोनाल्ड ट्रंप के प्रेसिडेंट चुने जाने और ब्रिटेन में ब्रेग्जिट पर हुए जनमत संग्रह के वक्त लिखा था। उन्होंने कहा कि वह ऐसा समय था, जब दुनिया में उथल-पुथल मची हुई थी और ऐसे में मैं अतीत पर कुछ लिखना चाहता था।

ये 'टाइम शेल्टर' के कवर की तस्वीर है। जॉर्जी गोस्पोडिनोव की ये तीसरी नॉवल है।

ये ‘टाइम शेल्टर’ के कवर की तस्वीर है। जॉर्जी गोस्पोडिनोव की ये तीसरी नॉवल है।

यादें व्यक्ति की पहचान है- जज पैनल की चेयरवुमन
बुकर प्राइज की जज पैनल की चेयरवुमन और फ्रेंच-मोरक्कन लीला स्लिमानी ने कहा- कहानी में अतीत की यादों को बेहतरीन तरीके से पीरोया गया है। इसमें दिल को छू जाने वाले कई किस्से हैं। ‘टाइम शेल्टर’ में ये बताया गया है कि कैसे यादें एक व्यक्ति की पहचान को बनाए और बचाए रखती है।

रेस में ये नॉवल्स भी शामिल थीं
बुकर प्राइज की रेस में लेखिका मैरीस कोंडे की फ्रांसीसी भाषा में लिखी ‘द गॉस्पेल अकॉर्डिंग टू द न्यू वर्ल्ड’ भी शामिल थी। इसे रिचर्ड फिल्कोक्स ने ट्रांस्लेट किया था। इसके अलावा ईवा बाल्टासर की ‘बोल्डर’ शॉर्टलिस्ट की गई थी। इसे जूलिया सांचेज ने कैटलन भाषा से इंग्लिश में ट्रांस्लेट किया था। रेस में GauZ की नॉवल ‘स्टैंडिंग हैवी’, ग्वाडालूप नेटेल की ‘स्टिल बॉर्न’, चेओन म्योंग-क्वान की ‘व्हेल’ भी शामिल थी।

2022 में गीतांजलि श्री के टॉम्ब ऑफ सैंड ने जीता प्राइज
2022 का बुकर प्राइज भारत की राइटर गीतांजलि श्री ने जीता था। उनके उपन्यास टॉम्ब ऑफ सैंड के लिए यह पुरस्कार दिया गया था। गीतांजलि श्री का उपन्यास हिंदी में ‘रेत समाधि’ नाम से पब्लिश हुआ था। टॉम्ब ऑफ सैंड बुकर जीतने वाली हिंदी भाषा की पहली किताब थी। साथ ही यह किसी भी भारतीय भाषा में अवॉर्ड जीतने वाली पहली किताब भी थी।

बुकर प्राइज की स्थापना 1969 में हुई थी
बुकर पुरस्कार का पूरा नाम मैन बुकर पुरस्कार फॉर फिक्शन है। इसकी स्थापना 1969 में इंगलैंड की बुकर मैकोनल कंपनी ने की थी। इसमें विजेता को 60 हजार पाउंड की रकम दी जाती है। ब्रिटेन या आयरलैंड में प्रकाशित या अंग्रेजी में ट्रांसलेट की गई किसी एक किताब को हर साल ये खिताब दिया जाता है। पहला बुकर पुरस्कार अलबानिया के उपन्यासकार इस्माइल कादरे को दिया गया था।



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *