हाइलाइट्स
विटामिन डी के तीन प्रकार डी1, डी2 यानी एग्रो कैल्सीफेरॉल, डी 3 यानी कॉले कैल्सिफेरॉल होते हैं.
विटामिन डी की ज्यादा कमी होने पर दिल से जुड़ी बीमारियों और कैंसी का खतरा भी बढ़ जाता है.
Vitamin D deficiency: अगर आपको लगातार थकान महसूस होती रहती है या हड्डियों, मांसपेशियों में दर्द रहता है या जल्दी-जल्दी बीमार होते हैं तो आपको विटामिन डी की कमी की समस्या हो सकती है. वहीं, बालों का झड़ना या ग्रोथ कम होना भी विटामिन डी की कमी के लक्षण हैं. विटामिन डी फैट सोल्यूबल विटामिन है, जो शरीर के लिए बहुत जरूरी होता है. विटामिन डी शरीर के लिए जरूरी कैल्शियम बनाए रखता है. इससे हड्डियां मजबूत बनी रहती हैं. आइए जानते हैं कि विटामिन डी कितने प्रकार के होते हैं? इसकी कमी से कौन-सी बामारियां हो सकती हैं? इसको पूरा करने के लिए क्या खाना चाहिए?
विटामिन डी फैट सॉल्यूबल होता है. ये तीन डी1, डी2 यानी एग्रो कैल्सीफेरॉल और तीसरा विटामिन डी 3 यानी कॉले कैल्सिफेरॉल प्रकार का होता है. विटामिन डी की कमी से हमारी हड्डियां कमजोर हो जाती हैं. ये विटामिन कैल्शियम, मैग्नीशियम और फॉस्फेट को आंतों के जरिये शरीर में पहुंचाने में मदद करता है. विटामिन डी2 हमारे शरीर में नहीं बनता है. इसे पौधों से पाया जा सकता है. पौधे डी2 का उत्पादन सूरज की अलट्रा-बायलेट रेज की मदद से करते हैं. हमारी शरीर में विटामिन डी3 का उत्पादन होता है. इसके लिए हमारा सूरज की रोशनी में बैठना जरूरी होता है.
विटामिन डी का सबसे अच्छा स्रोत सूरज की रोशनी है.
विटामिन डी की कमी के चलते हो सकता है कैंसर
विटामिन-डी की कमी से सबसे ज्यादा असर हड्डियों पर पड़ता है. वहीं, शरीर की इम्युनिटी पर भी बुरा असर होता है. ज्यादा कमी होने पर दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा भी रहता है. इस विटामिन की कमी से ऑटोइम्यून और न्यूरोलॉजिकल बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. विटामिन डी इंफेक्शन से लड़ने में भी मदद करता है. अगर विटामिन डी की कमी हो जाए तो ब्रेस्ट, प्रोस्टेट और कोलोन कैंसर का कारण बन सकती है. यही नहीं, आप बार-बार बीमार भी पड़ सकते हैं. दरअसल, विटामिन-डी की कमी होने पर शरीर की कई तरह के वायरस से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है.
बालों की ग्रोथ कम होना और झड़ना भी है लक्षण
अगर आपके बाल ज्यादा झड़ रहे हैं या बालों की ग्रोथ काफी धीमी है तो तुरंत जांच कराएं. आपको विटामिन डी की कमी हो सकती है. शरीर में विटामिन-डी की पर्याप्त मात्रा नहीं होने से त्वचा पर लाल निशान या त्वचा पर झुर्रियों जैसी समस्याएं हो सकती हैं. विटामिन-डी की कमी से ऑस्टियोपोरोसिस, हड्डियों में दर्द, मांसपेशियों का फड़कना, मांसपेशियों का कमज़ोर होना, और जोड़ों में अकड़न महसूस हो सकती है. धूप में कम निकलने वाले लोगों में विटामिन डी की कमी के आसार बढ़ जाते है. महिलाओं, बुजुर्गों, गहरे रंग की त्वचा वालों, मोटे लोगों में विटामिन डी की कमी का खतरा बढ़ जाता है.
विटामिन कई तरह के खाने पीने की चीजों में पर्याप्त मात्रा में पाई जाती है.
रोज कितने विटामिन डी की होती है जरूरत?
वेबएमडी के मुताबिक, नवजात और बच्चों को हर रोज 10 माइक्रोग्राम विटामिन डी की जरूरत पड़ती है. वहीं, बड़ों को हर दिन 15 माइक्रोग्राम विटामिन डी की जरूरत होती है. इसके अलावा 70 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को हर दिन 20 माइक्रोग्राम जरूरत पड़ती है.
कैसे पूरी करें शरीर के लिए जरूरी विटामिन डी
विटामिन डी को पूरा करने के लिए सबसे जरूरी है सूरज की रोशनी में बैठना या टहलना. अगर आप ऐसा नहीं कर पाते हैं तो कई तरह की खाने-पीने की चीजों में भी विटामिन डी पर्याप्त मात्रा में पाई जाती है. संतरे का जूस, रोज 3 आउंस साल्मन, मछली, अंडे, मशरूम, दही, दूध पीने से शरीर में विटामिन डी की मात्रा संतुलित रहती है. एक कप दूध में 3 माइक्रोग्राम विटामिन डी होता है. वहीं, बहुत ज्यादा कमी होने पर आप डॉक्टर की सलाह पर विटामिन डी की टेबलेटस या इंजेक्शन भी ले सकते हैं.
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Tags: Health News, Health problems, Healthy Diet, Lifestyle, Skin diseases herpes hair loss
FIRST PUBLISHED : January 14, 2023, 10:32 IST