जीवनसाथी से अलग होने की नहीं आएगी नौबत अगर मान लेंगे जया किशोरी की ये बात

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शादी खुद नहीं चलती बल्कि इसे चलाने के लिए पूरे फोकस के साथ इस बंधन में बंधे दो व्यक्तियों का मेहनत करना जरूरी होता है। हालांकि हमारे समाज में शादी के बंधन में सिर्फ दो लोग नहीं बल्कि दो परिवार बंधता है। इसलिए कई बार इनका सहयोग भी इस रिश्ते को प्रभावित करता है। जिसमें आमतौर पर लड़कियों को बर्दाश्त करने के लिए और अपनी खुशियों की जगह दूसरे की खुशियों की परवाह करने की सलाह दी जाती है। वहीं, कई बार लड़के अपनी शादी का बचाने के लिए कई सारी ऐसी चीजों के साथ समझौता करते हैं, जिसकी कीमत उन्हें अपनी खुशियों की बलि चढ़ाकर चुकानी पड़ती है।

मोटिवेशनल स्पीकर जया किशोरी ने अपने एक विडियो में बताया है कि शादी को चलाने के लिए एडजस्टमेंट की जरूरत होती है, कॉम्प्रोमाइज पर चलने वाला रिश्ता आगे चलकर टूट जाता है। कई लोग इसके अंतर को समझ नहीं पाते हैं, और जीवनसाथी के साथ उनका सफर गुजरते दिन के साथ भारी होता जाता है। ऐसे में यदि आप अपने शादी में खुश रहना चाहते हैं, तो एडजस्टमेंट और कॉम्प्रोमाइज के बीच के बारीक से अंतर को जरूर समझ लें।
(फोटो क्रेडिट- Iamjayakishori इंस्टाग्राम)

जया किशोरी से जानें शादी कैसे चलाएं

क्यों टूटती हैं शादियां

क्यों टूटती हैं शादियां

जया किशोरी बताती हैं, कि शादी में अलगाव उस समय पैदा होने लगता है, जब एडजस्टमेंट की जगह रिश्ता कॉम्प्रोमाइज पर आधारित हो जाएं।

ऐसे में यदि आप अपने शादीशुदा जीवन में खुश नहीं हैं तो इसका कारण आपके द्वारा छोटी-छोटी चीजों में किया गया कॉम्प्रोमाइज है। क्योंकि यह चीज कद्र न मिल पाने से निराशा में बदल जाती है, जो पार्टनर के प्रति दिल से प्रेम को खत्म कर सकता है।

क्या होता है एडजस्टमेंट

क्या होता है एडजस्टमेंट

एडजस्टमेंट एक-दूसरे की खुशी का ध्यान रखना होता है। इसमें बहुत छोटी-छोटी चीजें शामिल होती है, जिसे करने में आप असहज नहीं होते हैं। ऐसे में यदि आपको खाने में कुछ चीज नहीं पसंद है, और आपके पार्टनर को पसंद है तो उसे बना या साथ में खा सकते हैं।

एडजस्टमेंट करते समय आप अपनी खुशी का गला घोंटे बिना अपने पार्टनर को खुश करने की कोशिश करते हैं, जो कि एक हेल्दी रिलेशनशिप के लिए बहुत जरूरी है।

क्या होता है कॉम्प्रोमाइज

क्या होता है कॉम्प्रोमाइज

कॉम्प्रोमाइज का मतलब ऐसी चीजों को करने से है, जिसमें आप कंफर्टेबल नहीं है। ऐसा करने पर आप खुश भी नहीं रह पाते हैं, और कोई भी व्यक्ति ज्यादा दिन तक खुद दुखी रहकर दूसरों को खुश नहीं कर सकता है।

ऐसे में जीवनसाथी के साथ रिश्ते में जरूरत से ज्यादा झगड़े होने लगते हैं। इसके बाद भी भले ही आप अलग न हो लेकिन साथ रहना भी किसी मतलब का नहीं रह जाता है।



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