जिस हाइवे पर साइरस मिस्त्री के साथ दुर्घटना हुई, वहां इस साल 60 से अधिक जानें जा चुकी हैं


पुलिस के मुताबिक़, ठाणे के घोड़बंदर और पालघर ज़िले के दपचारी के बीच मुंबई-अहमदाबाद राजमार्ग के 100 किलोमीटर के हिस्से में इस साल अब तक 262 दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें कम से कम 62 लोगों की मौत हुई है और 192 लोग घायल हुए हैं.

साइरस मिस्त्री की दुर्घटनाग्रस्त कार. (फोटो: पीटीआई)

मुंबई: टाटा संस के पूर्व अध्यक्ष साइरस मिस्त्री की महाराष्ट्र के पालघर जिले में इस महीने की शुरुआत में एक कार हादसे में मौत हो जाने की खबर ने देशवासियों को सकते में डाल दिया था.

लेकिन, आधिकारिक आंकड़े दर्शाते हैं कि राजमार्ग के इस हिस्से पर सड़क दुर्घटनाएं काफी आम हैं, जिनमें और भी कई मौतें हुई हैं.

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि ठाणे के घोड़बंदर और पालघर जिले के दपचारी के बीच मुंबई-अहमदाबाद राजमार्ग के 100 किलोमीटर के हिस्से में इस साल 262 दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें कम से कम 62 लोगों की मौत हुई है और 192 लोग घायल हुए हैं.

इनमें से कई हादसे अत्यधिक तेज गति में वाहन चलाने या चालक द्वारा अंदाजा लगाने में चूक होने के कारण हुए, लेकिन अधिकारियों ने बताया कि सड़कों का खराब रख-रखाव, उचित संकेतकों की कमी और गति पर अंकुश लगाने के उपायों का अभाव समेत अन्य कारण भी कई दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार हैं.

महाराष्ट्र राजमार्ग के एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि चिरोती के निकट राजमार्ग के जिस हिस्से पर मिस्त्री की कार 4 सितंबर को दुर्घटनाग्रस्त हुई थी, उस पर इस साल की शुरुआत से अब तक 25 गंभीर हादसों में 26 लोगों की मौत हो चुकी है.

उन्होंने बताया कि चिंचोती के पास वाले हिस्से में इसी अवधि में 35 गंभीर हादसों में 25 लोगों की मौत हो चुकी है और मानोर के निकट 10 हादसों में 11 लोगों की जान गई है.

अधिकारी ने कहा, ‘हादसों के मामले में चिरोती और मुंबई की तरफ करीब 500 मीटर का हिस्सा काफी खतरनाक है.’

उन्होंने बताया कि मुंबई की ओर जाते समय सड़क सूर्य नदी के पुल से पहले मुड़ती है और तीन लेन का मार्ग दो लेन में तब्दील हो जाता है, लेकिन वाहन चालकों को इस बारे में पहले से सूचित करने के लिए सड़क पर उपयुक्त संकेतक नहीं हैं.

पालघर में सूर्य नदी पर बने एक पुल के डिवाइडर से कार टकराने के बाद मिस्त्री और उनके मित्र जहांगीर पंडोले की मौत हो गई थी. कार चला रहीं अनाहिता पंडोले और उनके पति डेरियस गंभीर रूप से घायल हो गए थे.

एक अन्य अधिकारी ने कहा कि ऐसा लगता है कि भारतीय सड़क कांग्रेस के सुरक्षा संबंधी दिशा-निर्देशों की उन लोगों ने अनदेखी की, जो सड़क के रखरखाव के लिए जिम्मेदार हैं.

उन्होंने कहा कि यह सड़क भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के दायरे में आती है, लेकिन टोल वसूलने वाली निजी एजेंसी के पास रखरखाव की जिम्मेदारी है.

अधिकारी के मुताबिक, दिशा-निर्देशों के तहत हर 30 किलोमीटर पर एक एंबुलेंस को तैयार रखा जाना चाहिए और एक क्रेन एवं गश्त करने वाले वाहन भी होने चाहिए.

महाराष्ट्र पुलिस ने चार सितंबर को हुए हादसे के मद्देनजर लागू किए जा सकने वाले सुरक्षा उपायों को लेकर विशेषज्ञों की राय के लिए केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान को पत्र लिखकर सड़क सुरक्षा संबंधी लेखा परीक्षा कराने को कहा है.





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