चीन के जिबूती प्लान से भारत को खतरा: अपने पहले विदेशी मिलिट्री बेस पर तैनात करेगा वॉरशिप-सबमरीन; अमेरिकी रिपोर्ट में इसकी पुष्टि

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वॉशिंगटन/जिबूती सिटीएक घंटा पहले

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चीन के जिबूती प्लान से भारत को खतरा हो सकता है। जिबूती में चीन अपने पहले विदेशी मिलिट्री बेस पर एयरक्राफ्ट कैरियर, बड़े वॉरशिप्स और सबमरींस को तैनात कर सकता है। अमेरिकी रक्षा विभाग की सालाना रिपोर्ट में यह बात कही गई है। यह रिपोर्ट यूएस कांग्रेस में पेश की गई है, जिसे रविवार यानी 27 नवंबर को जारी किया गया। अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के इस कदम से हिंद महासागर क्षेत्र में भारतीय नौसेना के लिए गंभीर सुरक्षा चुनौतियां पैदा हो सकती हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक 590 मिलियन डॉलर की लागत यहां साल 2016 से ही कंस्ट्रक्शन जारी है। यह नेवल बेस बनाने के बाद चीन ने हिंद महासागर से लेकर साउथ चाइना सी तक अपनी ताकत का विस्तार कर रहा है। यह बेस स्ट्रैटेजिक तौर अहम बाब-अल-मंडेब स्ट्रैट के पास स्थित है। यह स्ट्रैट अदन की खाड़ी और लाल सागर को अलग करता है। जिबूती एक व्यस्ततम शिपिंग रूट के (स्वेज नहर) रास्ते में पड़ने वाला देश है।

अफ्रीका के बाकी पड़ोसी देशों के मुकाबले जिबूती के राजनीतिक हालात स्थिर हैं। नेवल बेस के जानकार एच आई सटन ने बताया था कि जिबूती बेस को स्पष्ट तौर पर सीधे हमले का सामना करने के लिए डिजाइन किया जा रहा है।

यह तस्वीर मैक्सार टेक्नोलॉजीज ने जारी की है। नेवल बेस के डॉकयार्ड पर युझाओ क्लास लैंडिंग शिप दिखाई दे रही है।

यह तस्वीर मैक्सार टेक्नोलॉजीज ने जारी की है। नेवल बेस के डॉकयार्ड पर युझाओ क्लास लैंडिंग शिप दिखाई दे रही है।

बेस पर शिप की तैनाती दिखी
चीन के जिबूती प्लान से जुड़ी तस्वीरें सामने आई हैं। मैक्सार की सैटेलाइट तस्वीरों में एक चीनी युझाओ क्लास (टाइप-071) लैंडिंग शिप दिखाई दी थी। इसे 320 मीटर लंबे डॉकयार्ड पर डॉक किया गया है। इस डॉकयार्ड पर हेलिकॉप्टर उतारने की भी सुविधा है। वाइस एडमिरल शेखर सिन्हा (रिटायर्ड) ने कहा था कि बेस पूरी तरह से ऑपरेशनल दिखाई दे रहा है। अभी और कंस्ट्रक्शन वर्क होने की संभावना है।

चीनी टाइप-071 लैंडिंग शिप का आकार काफी बड़ा है। यह अपने साथ कई टैंक, ट्रक और होवरक्राफ्ट ले जा सकता है। नेवी के जानकार सटन ने बताया कि चीनी फ्लीट में और भी ताकतवर जहाज शामिल हो रहे हैं। इनके आकार और क्षमता के आधार पर कहा जा सकता है कि इनका इस्तेमाल अहम रसद सप्लाई और ट्रांसपोर्ट मिशन के लिए किया जा रहा है।

टाइप-071 वॉरशिप की यह तस्वीर चीनी आर्मी ने जारी की है। यह शिप है मिलिट्री और नॉन मिलिट्री मिशन दोनों तरीके के मिशन में इस्तेमाल होता है।

टाइप-071 वॉरशिप की यह तस्वीर चीनी आर्मी ने जारी की है। यह शिप है मिलिट्री और नॉन मिलिट्री मिशन दोनों तरीके के मिशन में इस्तेमाल होता है।

जमीनी-हवाई हमलों से निपटने में सक्षम हैं युझाओ क्लास शिप
युझाओ क्लास के शिप्स को चीनी टास्क फोर्स के सबसे अहम वॉरशिप के तौर पर डिजाइन किया गया है। ये शिप जमीनी और हवाई हमलों से भी निपटने में सक्षम हैं। चीनी नेवी ने अलग-अलग चरणों में इस कैटेगरी के कुल 8 शिप्स को अपनी फ्लीट में कमीशन किया है।

इस बेस पर एक और चीनी शिप ‘चांगबाई शान’ की मौजूदगी देखी गई है। यह एक बड़ा 25,000 टन का जहाज है, जिसे 800 सैनिकों और वाहनों, एयर-कुशन लैंडिंग क्राफ्ट और हेलिकॉप्टर ले जाने करने के लिए डिजाइन किया गया है। माना जा रहा है कि इसने इसी साल एक फ्रंटलाइन चीनी डिस्ट्रॉयर के साथ हिंद महासागर के पानी में प्रवेश किया।

चीनी स्पाई शिप युआन वांग-5 मंगलवार सुबह श्रीलंका के हंबनटोटा पोर्ट पर पहुंच गया। यह 16 से 22 अगस्त तक यहां रहेगा। यह करीब 750 किमी दूर तक आसानी से निगरानी कर सकता है। युआन वांग 5 सैटेलाइट और इंटरकॉन्टिनेंटल मिसाइलों को ट्रैक करने में सक्षम है।

चीनी स्पाई शिप युआन वांग-5 मंगलवार सुबह श्रीलंका के हंबनटोटा पोर्ट पर पहुंच गया। यह 16 से 22 अगस्त तक यहां रहेगा। यह करीब 750 किमी दूर तक आसानी से निगरानी कर सकता है। युआन वांग 5 सैटेलाइट और इंटरकॉन्टिनेंटल मिसाइलों को ट्रैक करने में सक्षम है।

चीनी कर्ज के तले दबा है जिबूती
जिबूती में पूरी चीनी नेवल बेस की तस्वीरें उस समय आई है, जब चीन ने श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह में 25,000 टन के सैटेलाइट और बैलिस्टिक मिसाइल ट्रैकिंग शिप युआन वांग 5 को डॉक किया है। जासूसी के खतरे को देखते हुए भारत ने इसे लेकर श्रीलंका के सामने विरोध दर्ज कराया था।

श्रीलंका और जिबूती दोनों देशों में चीन की उपस्थिति लांग टर्म ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ के तहत दोनों देशों में उसके आर्थिक निवेश से जुड़ी हुई है। जिबूती भी चीन के कर्ज तले दबा हुआ है। यह कर्ज जिबूती की GDP के 70% से ज्यादा है। वहीं, चीन ने 99 साल के जरिए श्रीलंका के पोर्ट पर कब्जा कर लिया है।

चीन की समुद्री प्रभाव बढ़ाने की रणनीति
इंडियन नेवी के पूर्व चीफ एडमिरल अरुण प्रकाश ने NDTV को बताया कि भारत को चीन के समुद्री इरादों या क्षमताओं के बारे में कोई भ्रम नहीं होना चाहिए। उन्हें अफ्रीकी देश में स्टैंडिंग पेट्रोल चालू किए 14 साल हो चुके हैं। शुरू में हमें संदेह था कि चीन इतनी दूर की बेस को कैसे ऑपरेट कर सकता है। लेकिन उन्होंने दिखाया है कि वे ऐसा कर सकते हैं। उन्होंने 6 से 9 महीनों तक शिप्स को स्टेशन पर तैनात रखा है।

आज हम जो कुछ भी देख रहे हैं, वह चीन के समुद्री प्रभाव को बढ़ाने की एक सुनियोजित और सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। इसके तहत चीन ने पहले ही हिंद महासागर में परमाणु-संचालित अटैक सबमरीन ऑपरेट कर चुका है। इस समुद्री इलाके में हम वॉरशिप के बड़े ग्रुप को भी देख सकते हैं। इसको लेकर अमेरिकी नेवी के शीर्ष कमांडरों ने भी चेतावनी दी है।

US पैसिफिक कमांड के तत्कालीन कमांडर एडमिरल हैरी हैरिस जूनियर ने 2017 में कहा था कि- आज चीन को हिंद महासागर में शिप ले जाने से कोई भी नहीं रोक सकता।

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