‘क्या एक और बाबरी बन जाएगी ज्ञानवापी’, उर्दू प्रेस ने उठाये सवाल; UP कोर्ट ने हिंदू महिलाओं की याचिका को दी मंजूरी


नई दिल्ली: क्या ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में हिंदुओं द्वारा पूजा किये जाने के अधिकार की मांग करने वाली कुछ हिन्दू महिलाओं की याचिका को स्वीकार करना राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले की तरह एक और सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील और लंबे समय तक चली क़ानूनी लड़ाई का अग्रदूत है? यह सवाल उर्दू मीडिया के अख़बारों में काफी हद तक उभरा, और इनमें से एक से अधिक अख़बारों के संपादकीय में इन दो मामलों के बीच समानताएं दर्शाईं गईं.

ज्ञानवापी वाले मामले और इसी से जुड़े वाराणसी की अदालत के एक फैसले ने इस सप्ताह उर्दू प्रेस का बहुत अधिक ध्यान खींचा. उर्दू प्रेस के संपादकीय में भी इस मामले में और ‘जटिलताओं’ की भविष्यवाणियां की गई और मेनस्ट्रीम मीडिया पर इस मुद्दे के ‘एकतरफा’ कवरेज का आरोप लगाया गया.

ज्ञानवापी वाले विवाद के अलावा, कर्नाटक में हिजाब पर लगे प्रतिबंध पर सुप्रीम कोर्ट में दी जा रहीं दलीलें, कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ और गोवा – जहां इसके 11 में से आठ विधायक बुधवार को सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए – में इस पार्टी की दुर्दशा, को भी उर्दू समाचार पत्रों में प्रमुखता से दर्शाया गया.

पेश है इस सप्ताह उर्दू प्रेस में सुर्खियां बटोर रहे मुद्दों का दिप्रिंट द्वारा आपके लिए तैयार किया गया एक राउंडअप.


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ज्ञानवापी मामला

पिछले सोमवार को सभी की निगाहें इस बात को लेकर वाराणसी जिला अदालत पर टिकी थीं कि क्या यह अदालत ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पूजा के अधिकार की मांग करने वाली कुछ हिंदू महिलाओं की याचिकाओं पर सुनवाई करेगी या नहीं.

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