केरल में अफ्रीकी स्वाइन फीवर का कहर: बीमारी से 19 सूअरों की मौत, 48 को पशुपालन विभाग ने मारा; मांस की बिक्री बंद

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कोट्टायम4 घंटे पहले

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केरल के कोट्टायम जिले के निजी पिग फार्म में अफ्रीकी स्वाइन फीवर के मामले सामने आए हैं। इसके बाद अधिकारियों ने राज्य के कुछ इलाकों में पोर्क बेचने वाली दुकानें बंद करने के निर्देश दिए हैं। स्वस्थ सूअर संक्रमित जगहों पर न पहुंचे, इसके लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं।

न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में महामारी विज्ञानी राहुल एस ने बताया कि बीमारी का पहला केस 13 अक्टूबर को आया था, जिसके बाद अगले 2-3 दिन में फार्म में 6-7 सूअरों की मृत्यु हो गई। जब मौत की वजह जानने के लिए सैंपल भेजे गए, तब इनमें अफ्रीकी स्वाइन फीवर के वायरस की पुष्टि हुई।

अफ्रीकी स्वाइन फीवर कितना खतरनाक?

अफ्रीकी स्वाइन फीवर से संक्रमित होने पर किसी भी सूअर की जान नहीं बच पाती।

अफ्रीकी स्वाइन फीवर से संक्रमित होने पर किसी भी सूअर की जान नहीं बच पाती।

यह एक ऐसा संक्रमण है जो पालतू और जंगली सूअरों को प्रभावित करता है। इस बीमारी की मृत्यु दर 100% है यानी इससे संक्रमित होने पर किसी भी सूअर की जान नहीं बच पाती। अफ्रीकी स्वाइन फीवर इंसानों में नहीं फैलता है। यह बुखार एक जानवर से दूसरे जानवर में छूने या बॉडी फ्लुइड के जरिए फैलता है।

अमेरिका के फूड एंड ड्रग एसोसिएशन (FDA) के अनुसार, सूअरों को कच्चा खाना खिलाने की वजह से भी वायरस का संक्रमण फैल सकता है। अफ्रीकी स्वाइन फीवर होने पर सूअरों में तेज बुखार, भूख न लगना, कमजोरी, त्वचा में लालिमा, फफोले, दस्त, उल्टी, खांसी और सांस लेने में परेशानी जैसे लक्षण देखे जा सकते हैं।

67 सूअरों की जान गई
जिस फार्म से ये मामले सामने आए हैं, वहां कुल 67 सूअर थे। इनमें से बीमारी की चपेट में आने के कारण 19 सूअरों की मौत हो गई। वहीं, 48 सूअरों को पशुपालन विभाग द्वारा मार दिया गया, ताकि बीमारी आगे न फैले। अब यहां जानवरों के परिवहन और बिक्री, मांस की बिक्री और जानवरों को ले जाने वाले वाहनों पर सख्त प्रतिबंध लगा दिया गया है। कुछ महीने पहले वायनाड और कन्नूर जिलों के कुछ खेतों से भी इस बीमारी की सूचना मिली थी।

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