कातिल पकड़ना दूर की बात, 15 साल में पुलिस सबूत तक नहीं खोज पाई, दीवान में मिली थी स्नेहल की लाश


Snehal Gaware Murder Case: कहावत है कि ‘कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं.’ इसके बावजूद पुलिस के रिकॉर्ड में कई अनसुलझे हत्याकांड भरे पड़े हैं. ऐसा ही एक हत्याकांड मुंबई के अंधेरी में सरदार वल्लभभाई पटेल कॉलेज से इंजीनियरिंग करने वाली स्नेहल गवारे का भी है. स्नेहल गवारे हत्याकांड को 15 साल बीत गए हैं, लेकिन आज तक पुलिस ‘कातिल’ को खोजने में कामयाब नहीं हो सकी है. अव्वल तो ये है कि पुलिस के हाथ अभी तक कोई ऐसा सुराग ही नहीं लग सका है, जो अपराधी की पहचान करा सके. स्नेहल हत्यकांड के मामले की फाइल अब तक खुली हुई है. आइए जानते हैं स्नेहल हत्याकांड में अब तक क्या हुआ?

चप्पलें घर पर थीं, लेकिन स्नेहल नहीं

19 जुलाई 2007 का दिन मुंबई के डोंबिवली इलाके की निनाद कॉऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी में रहने वाले गावरे परिवार के लिए किसी जलजले से कम नहीं था. स्नेहल के पिता हिंदूराव गवारे जब घर लौटे, तो पत्नी कल्पना ने बताया कि स्नेहल घर पर नहीं थी, लेकिन हॉल के दरवाजे पर कुंडी लगी हुई थी. स्नेहल की चप्पलें घर पर थीं और हॉल में ही एक गिलास पानी भी रखा था. स्नेहल का फोन भी बंद आ रहा था. हालांकि, दोपहर में करीब साढ़े तीन बजे स्नेहल ने अपनी मां को एक ब्लैंक मैसेज किया था.

घर के दीवान में मिली थी लाश

एक कोऑपरेटिव बैंक में नौकरी करने वाले स्नेहल के पिता हिंदूराव गवारे और स्कूल टीचर मां कल्पना ने बेटी को कई घंटों तक खोजा. आखिर में थक-हारकर डोंबिवली पुलिस स्टेशन में स्नेहल की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाई गई. स्नेहल की बड़ी बहन शीतल, जो लंदन में पढ़ाई कर रही थी, उसे भी इसकी खबर दी जा चुकी थी. 20 जुलाई को तड़के सुबह करीब पांच बजे हिंदूराव के बेडरूम से कल्पना के चीखने की आवाज आई. घर में बहुत से लोग मौजूद थे और चीख सुनकर चौंक गए. बेडरूम में पहुंचने पर कल्पना दीवान की ओर इशारा कर रही थी. 

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में निकला दम घोंटकर मारा गया

हिंदूराव ने हड़बड़ी में दीवान से गद्दा हटाया और प्लाई खोली. दीवान के बॉक्स में स्नेहल की लाश पड़ी हुई थी. स्नेहल के दोनों हाथ पीछे की ओर बंधे हुए थे और उसके मुंह को एक कपड़े से बांधा गया था. पुलिस ने लाश को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम कराया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सामने आया कि स्नेहल को दम घोंटकर मारा गया था. पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर लिया, लेकिन उसे स्नेहल हत्याकांड में कोई सुराग और संदिग्ध नहीं मिला. 

ब्वॉयफ्रेंड पर हुआ शक, लेकिन सबूत नहीं मिले

पुलिस ने स्नेहल हत्याकांड की जांच शुरू की, तो सबसे पहला शक उसके ब्वॉयफ्रेंड हिरेन राठौर पर गया. पुलिस की पूछताछ में हिरेन राठौर ने बताया था कि 2004 में स्नेहल से दोस्ती होने के एक साल बाद उन दोनों में प्यार हो गया था. हिरेन ने ये भी बताया कि वो कभी-कभार स्नेहल के घर भी जाता था और उसकी मां को दोनों के रिश्ते के बारे में पता था. पुलिस को दिए बयान में हिरेन ने कहा था कि हत्या से एक हफ्ते पहले ही उसकी किसी बात पर स्नेहल से लड़ाई हो गई थी और इस दौरान दोनों के बीच कोई बातचीत नहीं हुई थी. 

उसने ये भी बताया कि स्नेहल की हत्या से दो दिनों पहले तक उसका फोन भी खराब था और केवल कॉल करने के लिए ही वो फोन खोलता था. हिरेन राठौर उस दौरान एक कंपनी में मैनेजमेंट ट्रेनी के तौर पर काम कर रहा था. राठौर ने पुलिस से कहा था कि वो दिन भर अपने सहकर्मियों के साथ ही था. हालांकि, पुलिस कंपनी से जुलाई महीने का अटेंडेंस रजिस्टर नहीं बरामद कर सकी, क्योंकि वो गायब हो गया था. स्नेहल हत्याकांड के एक साल बाद राठौर विदेश में पढ़ाई करने चला गया. 

पिता को मां पर था शक, बड़ी बेटी कर चुकी थी केस

पुलिस की जांच में सामने आया कि स्नेहल के पिता हिंदूराव गवारे अपनी पत्नी कल्पना पर शक करते थे. हिंदूराव को शक था कि कल्पना के अपने रिश्तेदार अनिल जवालेकर के साथ अवैध संबंध हैं और इसकी वजह से दोनों के बीच कुछ अच्छा नहीं चल रहा था. वहीं, हिंदूराव की बड़ी बेटी शीतल ने अपने पिता के खिलाफ मारपीट करने का भी एक मुकदमा लिखाया था. हिंदूराव की साइकोलॉजिकल प्रोफाइलिंग की जांच में सामने आया, वह अपने खिलाफ मामला दर्ज करवाने में मां और दोनों बेटियों की मिलीभगत से परेशान रहता था.  

मोबाइल मिला, लेकिन बेचने वाला नहीं

स्नेहल हत्याकांड के कुछ दिनों बाद पुलिस ने मनसुख शिवाजी पाटिल नाम के एक शख्स के पास से स्नेहल का फोन बरामद कर लिया. कांदिवली में दुकान चलाने वाले मनसुख ने पुलिस को पूछताछ में बताया कि एक शख्स ने उसे ये मोबाइल बेचा था और ये उसे पड़ा हुआ मिला था. पाटिल ने पुलिस को बताया था कि उसने 3500 रुपये में मोबाइल खरीदा था. पुलिस ने मनसुख के बताए हुलिये के आधार पर मोबाइल बेचने वाले शख्स का स्केच भी तैयार करवाया था. हालांकि, स्नेहल के परिवार वाले उसे पहचान नहीं सके.

पुलिस की थी चार संदिग्धों पर नजर

पुलिस ने स्नेहल हत्याकांड में चार लोगों के खिलाफ जांच आगे बढ़ाई थी. ये लोग हिरेन राठौर, हिंदूराव गवारे, कल्पना गवारे और अनिल जवालेकर थे. इन सभी की साइकोलॉजिकल प्रोफाइलिंग और पॉलीग्राफ टेस्ट किया गया था. वहीं, हिरेन राठौर का ब्रेन इलेक्ट्रिकल ऑसीलेशन सिग्नेचर प्रोफाइलिंग भी की गई थी. इस टेस्ट में सवालों के जवाब में दिमाग में होने वाली छोटी सी भी हलचल को कैद किया जा सकता है. 

इस जांच के हिसाब से राठौर स्नेहल हत्याकांड में शामिल होने, उसका दम घोंटने जैसे सवालों का जवाब नहीं में देने के दौरान कुछ हलचल महसूस की गई थी. यह इशारा कर रहा था कि हिरेन का इस हत्याकांड से कुछ संबंध है. वहीं, इस जांच में कल्पना और जवालेकर ने सच बोला. हालांकि, हिंदूराव गवारे के जवाबों अनिश्चित माना गया. 

हिरेन को गिरफ्तार किया, लेकिन वो छूट गया

2010 तक स्नेहल हत्याकांड में पुलिस के हाथ कोई बड़ा सुराग हाथ नहीं लगा था. फिर ये मामला क्राइम ब्रांच को दे दिया गया. इसी बीच 2010 में हिरेन राठौर अपने पिता की मौत होने पर वापस भारत आया. इस दौरान उसने कोर्ट में खुद से ही पेश होकर नार्को टेस्ट करने किए जाने की बात कही. इसके कुछ ही दिनों बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया, लेकिन बिना सबूतों के उसे ज्यादा दिनों तक सलाखों के पीछे नहीं रखा सका और कुछ ही दिनों में उसे जमानत मिल गई. जिसके बाद उसने नार्को टेस्ट कराने के लिए अपनी सहमति भी वापस ले ली.  

अभी भी खुला है मामला

पुलिस ने हिरेन के खिलाफ सबूत जुटाने की बहुत कोशिश की, लेकिन उसके हाथ खाली रहे. पुलिस ने हिरेन की कंपनी में अटेंडेंस रजिस्टर को बरामद करने के लिए कई कोशिशें कीं. पुलिस ने राठौर के सहकर्मियों से भी बातचीत की. जिसके बाद सामने आया कि हिरेन के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं. कोर्ट ने इस मामले में जांच जारी रखने को कहा है. हालांकि, 15 साल बीत जाने के बाद भी हत्यारा पुलिस की पहुंच से बाहर है. 



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