कर्नाटक: सीएमओ द्वारा दीवाली पर पत्रकारों को कैश देने का आरोप, विपक्ष ने की न्यायिक जांच की मांग


कर्नाटक के कुछ पत्रकारों ने बताया था कि उन्हें मुख्यमंत्री कार्यालय से मिले दीवाली उपहार में नकद के लिफ़ाफ़े थे. दो संपादकों ने इस पर नाराज़गी जताते हुए मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को लिखा था. कांग्रेस ने सरकार पर घूस देने के प्रयास का आरोप लगाते हुए कहा है कि बोम्मई के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार का केस दर्ज होना चाहिए.

बसवराज बोम्मई. (फोटो साभार: फेसबुक/@BasavarajSBommai)

बेंगलुरु/नई दिल्ली: कांग्रेस ने शनिवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई पर दीवाली के मौके पर कई पत्रकारों को ‘घूस देने के प्रयास’ का आरोप लगाया और कहा कि बोम्मई के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज होना चाहिए.

पार्टी के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री को बर्खास्त किया जाना चाहिए.

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, यह मामला तब सामने आया जब दो संपादकों ने इस कृत्य पर नाराजगी जताते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा. संपादक को उनके एक पत्रकार द्वारा इस बारे में सूचित किया गया था. अख़बार ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि मुख्यमंत्री ने इसके लिए माफ़ी मांगी और संपादक से कहा कि उन्हें इसके बारे में जानकारी नहीं थीं और ऐसा उनके स्टाफ के किसी सदस्य द्वारा किया गया था.

द न्यूज़ मिनट के अनुसार, राज्य के कुछ पत्रकारों ने आरोप लगाया था कि दीवाली पर मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) द्वारा मीडिया संस्थानों के संपादकों और कई रिपोर्टर्स को भेजे गए उपहार के डिब्बों में एक लाख रुपये से लेकर तीन लाख रुपये तक कैश था. कम से कम तीन पत्रकारों, जिनमें से दो ने इसे वापस लौटा दिया, ने न्यूज़ मिनट से पुष्टि की है कि पत्रकारों को नकद मिला था.

कई अन्य पत्रकारों ने न्यूज़ मिनट को बताया कि उन्हें कैश नहीं मिला लेकिन वे कई पत्रकारों को जानते हैं जिन्हें उपहारस्वरूप नकद दिया गया था.

एक प्रतिष्ठित अख़बार के वरिष्ठ पत्रकार ने इस वेबसाइट को बताया, ‘हां, उन्होंने पैसा भेजा था, लेकिन मैंने देखा नहीं कितना था. जैसे ही वो पैकेट मेरी नजर में आया, मैंने उसे वापस भेज दिया.’ पत्रकार ने बताया कि दीपावली की मिठाई वाला उपहार को गत शनिवार की रात उनके कार्यालय के गार्ड के पास छोड़ा गया था. पत्रकार ने बताया, ‘मैंने उसे लिया और जब खोला, तो उसमें नकद भरा एक लिफाफा था. मैंने गिना तो नहीं लेकिन यह सुनिश्चित किया कि राशि वापस कर दी जाए.’

उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने इस बारे में अपनी नाखुशी जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री को लिखा भी है. उन्होंने आगे बताया, ‘उन्होंने माफी भी मांगी. मैं बरसों से राजनीतिक रिपोर्टर रहा हूं, ऐसा मेरे साथ पहले कभी नहीं हुआ.’

एक प्रमुख प्रकाशन के एक अन्य पत्रकार ने वेबसाइट को बताया कि उन्हें इसी तरह के उपहार की पेशकश की गई थी और जब उन्होंने इसे खोला तो उसमें एक लाख रुपये कैश था. पत्रकार ने  बताया, ‘मैंने अपने संपादकों को इसके बारे में बताया. मैंने सीएमओ के अधिकारी से कहा कि मैं इसे स्वीकार नहीं कर सकता और यह गलत है.’

इस वेबसाइट से बात करने वाले तीसरे पत्रकार एक टीवी चैनल के प्रमुख संपादक थे, जिन्होंने बताया कि उन्हें पता था कि ऐसे गिफ्ट हैंपर बांटे गए थे. जिन पत्रकारों से इस वेबसाइट ने बात की, उनके अनुसार चीफ रिपोर्टर और संपादकीय प्रमुखों के लिए अलग-अलग राशि तय की गई थी. एक पत्रकार ने बताया कि यह रेंज एक लाख रुपये से तीन लाख रुपये के बीच थी. हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि यह कैश हैंपर कितने पत्रकारों को दिया गया और कितनों ने लौटाया.

वेबसाइट के मुताबिक, इस बीच, कर्नाटक सरकार के एक मंत्री द्वारा चुनिंदा पत्रकारों को सोने के सिक्के बांटने की खबरें भी सामने आई हैं.

न्यूज़ मिनट ने इस मामले में मुख्यमंत्री कार्यालय से प्रक्रिया मांगी थी, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.

हमलावर विपक्ष ने उठाई न्यायिक जांच की मांग

इस मामले के सामने आने के बाद शुक्रवार शाम को कर्नाटक कांग्रेस ने इन आरोपों को लेकर मुख्यमंत्री से जवाब मांगा.

पार्टी के ट्विटर हैंडल पर लिखा गया, ‘ज्ञात हुआ है कि एक पत्रकार ने मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से दी गई ढाई लाख रुपये की रिश्वत लौटाकर पत्रकारिता को बचाए रखा है. यह घटना इस बात का सबूत है कि कर्नाटक के पत्रकार पत्रकारिता की शुचिता को खतरे में नहीं आने देंगे. मुख्यमंत्री को जवाब देना चाहिए कि पत्रकारों को रिश्वत क्यों दी गई.’

कर्नाटक कांग्रेस ने आगे कहा, ‘हमने केवल बीएस बोम्मई के खिलाफ ‘पेसीएम’ (PayCM)अभियान यूं ही नहीं चलाते हैं. यह सरकार घूस ले रही है और घूस दे रही है. सभी रिश्वत PayCM के जरिये दी जाती हैं. सरकार जैसे विधायकों को खरीदकर सत्ता में आई है, वैसे ही मीडिया संस्थानों को खरीदकर घोटालों को दबाने की कोशिश कर रही है.’

कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने इस मामले की न्यायिक जांच की मांग की और इसे मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से पत्रकारों को ‘स्वीट बॉक्स ब्राइब’ यानी ‘मिठाई के डिब्बे में रिश्वत करार दिया.’

पार्टी ने कहा, ‘राज्य के लोगों को पता होना चाहिए कि कितना पैसा रिश्वत के तौर पर दिया गया है और कितना पैसा प्राप्त किया गया है और कितना लौटाया गया.’

दिल्ली में पार्टी प्रवक्ता सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा, ‘कर्नाटक में ‘घूस घोटाला’ सामने आया है. इसमें खुद मुख्यमंत्री बोम्मई शामिल हैं. दीपावली के अवसर पर राज्य के पत्रकारों को एक-एक लाख रुपये की नकदी राशि भेजी गई. कुछ पत्रकारों ने इसके खिलाफ आवाज उठाई.’

उन्होंने आरोप लगाया, ‘कर्नाटक की सरकार देश की सबसे भ्रष्ट सरकार है. उसने भ्रष्टाचार के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. हर ठेके में 40 फीसदी का कमीशन देना पड़ता है. सरकारी नियुक्तियां पैसे लेकर की जाती हैं.’

सुरजेवाला ने मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई से सवाल किया, ‘क्या श्रीमान बोम्मई जवाब देंगे- 1. क्या यह मुख्यमंत्री द्वारा ‘रिश्वत’ नहीं है? 2. एक लाख रुपये का स्रोत क्या है? क्या यह सरकारी खजाने का पैसा है या मुख्यमंत्री ने खुद दिया है? 3. क्या ईडी या आयकर विभाग इसका संज्ञान लेगा?’

उन्होंने कहा, ‘हमारी मांग है कि मुख्यमंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया जाए और उन्हें जेल भेजा जाए. उन्हें पद से बर्खास्त किया जाए.’

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, जनाधिकार संघर्ष समिति ने कर्नाटक के लोकायुक्त में शिकायत दर्ज कर सीएमओ पर पत्रकारों को रिश्वत देने का प्रयास करने का आरोप लगाया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)





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