इस स्‍टेज के बाद Siblings को नहीं सुलाना चाहिए एक ही कमरे में, बढ़ सकती है नफरत


भारत में ऐसी संस्‍कृति है कि बच्‍चे बड़े होने तक अपने मां-बाप के साथ ही कमरा शेयर करते हैं और बड़े होने के बाद अपने भाई या बहन के साथ कमरे में रहते हैं। अपने भाई-बहन के साथ ही उनकी परवरिश होती है और दोनों एक ही बिस्‍तर पर सोते हैं। आमतौर पर भारतीय कम जगह होने की वजह से बच्‍चों को एक ही कमरे में सुलाया जाता है। जब बच्‍चों की शादी हो जाती है, तब उन्‍हें अलग कमरा दिया जाता है लेकिन उससे पहले उन्‍हें अपने भाई या बहन के साथ रहना होता है।

न्‍यूक्‍लियर परिवारों में बच्‍चे अपने सिबलिंग के साथ रूम शेयर करते हैं और इसे लेकर कोई भी कोई सवाल नहीं करता है। परिवार को एकजुट रखने के लिए इस तरीके को काफी हेल्‍दी समझा जाता है लेकिन इस संबंध में कुछ चीजें जिन्‍हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। जी हां, भारत में रूम शेयर करने के इस कल्‍चर से बच्‍चों को काफी फायदा मिलता है और इस आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे हैं कि सिबलिंग्‍स के रूम शेयर करने के क्‍या फायदे होते हैं।

​यह बच्चों को अधिक संवेदनशील बनाता है

जो बच्‍चे अपने भाई-बहनों के साथ कमरा शेयर करते हैं वो व्‍यवहार में ज्‍यादा केयरिंग होते हैं। ये एक-दूसरे की बहुत परवाह करते हैं। एकसाथ रूम शेयर करने वाले बच्‍चे एक-दूसरे के साथ अपने सीक्रेट शेयर करते हैं और दोनों के बीच आपसी समझ अच्‍छी होती है।

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​सपोर्ट बनते हैं

जब आप एक ही कमरे में एक दूसरे के साथ बढ़ते हैं और समय बिताते हैं, तो आपको उसके बारे में सब कुछ पता होता है। आपको उनकी पसंद, नापसंद, पॉजिटिव, नेगेटिव, स्‍ट्रेंथ और कमजोरी के बारे में भी पता होता है।

भाई-बहन हर मुश्किल में एक दूसरे के साथ खड़े होते हैं। ये भरोसा रखते हैं कि मुश्किल घड़ी में इन्‍हें अपने सिबलिंंग का साथ जरूर मिलेगा।

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​पर्सनल बाउंड्री होती है

जो बच्‍चे अपने सिबलिंग के साथ एक ही स्‍पेस शेयर करते हैं, उन्‍हें बता होता है कि इमोशन और स्पेस को लेकर कहां बाउंड्री सेट करनी है। इन्‍हें अपने इमोशंस को मैनेज करना आता है और अपनी चीजों को भी शेयर करते हैं। इन्‍हें पता होता है कि कब सही समय पर इन्‍हें अपने इमोशंस को ऑफ करना है।

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​लोगों को समझ पाते हैं

एक ही स्‍पेस शेयर करने से इन्‍हें ह्यूमन नेचर की अच्‍छी जानकारी हो जाती है और ये इंसानों के इमोशंस और बिहेवियर को भी अच्‍छे से समझ पाते हैं। ये बच्चे बड़े होकर अधिक सहानुभूति रखते हैं और मानव व्यवहार की बेहतर समझ रखते हैं।

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​इसका ध्‍यान रखें

बच्‍चों को एक ही कमरा शेयर करने के लिए आप उनकी उम्र और पर्सनैलिटी का भी ख्‍याल रखें। कभी-कभी जब दोनों सिबलिंग एक-दूसरे से अलग होते हैं, तो दोनों के लिए एकसाथ एडजस्‍ट करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में शुरुआत में पैरेंट्स को काफी दिक्‍कत होती है।

इस आर्टिकल को अंग्रेजी में पढ़ें



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