इस पैरेंटिंग स्‍टाइल के कायल हैं न्‍यू एज पैरेंट्स, बिना बोले भी कर लेते हैं बच्‍चे की परवरिश


टॉक्सिक रिलेशनशिप या शादी को खत्‍म करने के लिए कपल्‍स तलाक या अलग होने का फैसला लेते हैं लेकिन जब बच्‍चे भी इसमें इनवॉल्‍व होते हैं तो एक-दूसरे से बात करना बिलकुल बंद कर देना संभव नहीं होता है और कपल्‍स को पता भी नहीं चलता और उनके रिश्‍ते की कड़वाहट वापिस से दस्‍तक दे देती है और उनके बीच बहस और झगड़े होने लगते हैं।

बच्‍चों का अपने दोनों माता-पिता के साथ हेल्‍दी रिश्‍ता होना बहुत जरूरी है। यही वजह है कि अलग होने या तलाक लेने के बाद भी पैरेंट्स अपने बच्‍चे के लिए एकसाथ आते हैं और को-पैरेंटिंग करते हैं। को-पैरेंटिंग में पैरेंट्स को एकसाथ आकर बच्‍चों के लिए अपने मतभेदों को अलग रखना होता है जबकि पैरेलल पैरेंटिंग में चीजों को सहनीय रखने की कोशिश की जाती है।

पैरेलल पैरेंटिंग क्‍या है?

पैरेलल पैरेंटिंग की परिभाषा एक “व्यवस्था है जहां तलाकशुदा माता-पिता एक-दूसरे से अलग होने के बाद भी सह-अभिभावक बनने में सक्षम होते हैं।” जब माता-पिता के बीच की स्थिति कंट्रोल से बाहर हो जाती है, तो पैरेलल पैरेंटिंग दोनों के बीच की बातचीत को कम कर देती है। इसमें जब बच्चे आसपास होते हैं तो दोनों पैरेंट्स के एक-दूसरे से कम्‍यूनिकेट या बात करने की संभावना कम होती है।

​क्‍या फायदा है

यह दो वयस्कों को अपने तरीके से पैरेंट बनाने में सक्षम बनाता है, और उसके साथ ही आप अपने पार्टनर से अलग भी रह पाते हैं। यह विशेष रूप से तब उपयोगी होता है जब कपल्‍स पैरेंटिंग में एक-दूसरे को सपोर्ट या हेल्‍प करने की हर उम्‍मीद खो चुके होते हैं और एक-दूसरे को बिलकुल भी बर्दाश्‍त नहीं कर पाते हैं।

​दखलअंदाजी कम होती है

पैरेलल पैरेंटिंग दोनों माता-पिता को एक-दूसरे के हस्तक्षेप या दखल के बिना, अपनी स्वयं की पैरेंटिंग शैली रखने में सक्षम बनाता है। उन्हें खुद को समझाने के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है, या वे बच्चों को कुछ चीजें करने और दूसरों को प्रतिबंधित करने की अनुमति क्यों देते हैं, उन्‍हें यह किसी को बताने की जरूरत नहीं है।

यहां दोनों पक्षों में अधिक जिम्मेदार परवरिश की भी आवश्यकता होती है। बच्चे के साथ जो होता है उसके परिणामों का दूसरे माता-पिता से कोई लेना-देना नहीं होगा, और यह केवल एक की जिम्मेदारी है।

​तनाव कम होता है

लगभग सभी तलाक के मामले जहां माता-पिता दोनों पैरेलल पैरेंटिंग को चुनते हैं, वहां दोनों पैरेंट्स के बीच बड़े मतभेद होते हैं जिनका असर बच्चों के भावनात्‍मक स्‍वास्‍थ्‍य पर पड़ता है। पैरेलल पैरेंटिंग मुख्य रूप से बच्चों को संघर्षों के नकारात्मक प्रभावों से बचाने और एक स्वस्थ और शांतिपूर्ण वातावरण की सुविधा देता है।

चूंकि, माता-पिता के बीच कम से कम बात होती है, इसलिए बच्चे अपने माता-पिता के बीच चल रहे संघर्ष और मतभेद से कम प्रभावित होते हैं। इससे न केवल माता-पिता बल्कि बच्चों का भी तनाव कम होता है

​माता-पिता के बीच कम बात होती है

सबसे पैरेलल पैरेंटिंग के नियमों में से एक यह है कि माता-पिता के बीच यथासंभव कम बातचीत होती है। चूंकि, पैरेलल पैरेंटिंग का ध्यान माता-पिता के बीच सीधे संपर्क को कम से कम कम करना है, यह सभी के लिए तनाव को कम करता है।

फोटो साभार : pexels

​हील करने देता है

कुछ लोगों के लिए तलाक के आघात और कड़वी यादों को भूलने में कई साल लग जाते हैं। यह न केवल खुद को बल्कि उनके परिवारों को भी प्रभावित करता है। जब बच्चे शामिल होते हैं तो अपने एक्‍स से भागना मुश्किल हो जाता है लेकिन पैरेलल पैरेंटिंग में आप खुद को हील कर पाते हैं।



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