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क्या है आर्टिफिशियल वॉम्ब फैसिलिटी
एक्टो लाइफ एक कॉन्सेप्ट है जो पैरेंट्स को आर्टिफिशयल गर्भाशय की मदद से बच्चे पैदा करने का अवसर देगा। इस फैसिलिटी से उन कपल्स के मन में उम्मीद की किरण जगी है जो सालों से संतान सुख का इंतजार कर रहे हैं।
किसे होगा फायदा
नोएडा के अर्ली इंटरवेंशन सेंटर की पीडियाट्रिशियन डॉक्टर स्वाति सेठ ने बताया कि जिन महिलाओं के गर्भाशय में कैंसर है या जो किसी भी तरह से गर्भधारण नहीं कर पा रही हैं, उनके लिए यह तकनीक किसी वरदान से कम नहीं है। इस तकनीक में पिता के स्पर्म और मां के एग को लैब में फर्टिलाइज कर के फिर आर्टिफिशियल गर्भ में इंप्लांट किया जाएगा। यह उन कपल्स के लिए खुशी की बात है जो नैचुरली या किसी और ट्रीटमेंट से भी पैरेंट नहीं बन पा रहे हैं।
इलाइट पैकेज
इस ‘इलाइट पैकेज’ में आप अपने बच्चे की हाइट, इंटेलिजेंस, बाल, आंखों का रंग, शारीरिक शक्ति और स्किन टोन सब खुद तय कर सकते हैं। यह अवधारणा बर्लिन स्थित हाशम अल-घाइली के दिमाग की उपज है, जो एक निर्माता, फिल्म निर्माता और विज्ञान संचारक और “व्यापार द्वारा आणविक जीवविज्ञानी” हैं।
कैसा होगा बच्चा
डॉक्टर कहती हैं कि चूंकि बच्चा नौ महीने तक मां के गर्भ जैसे ही आर्टिफिशयल वॉम्ब में रहेगा इसलिए उसकी सेहत आदि को कोई खतरा नहीं है। लेकिन इसके साथ ही डॉक्टर ने यह भी कहा कि अभी तक किसी पर भी इसका उपयोग नहीं हुआ है इसलिए कुछ भी पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता है।
फोटो साभार : pexels
अहम बातें
डॉक्टर ने इस इलाइट पैकेज के बारे में कहा कि अभी इसके सामने बहुत सारी चुनौतियां खड़ी हैं जैसे कि ये तकनीक कितनी सफल हो पाएगी, इसमें कितना खर्चा आएगा, ये किफायती भी होगी या नहीं, बच्चा आर्टिफिशियल वॉम्ब में कितना सरवाईव कर पाएगा आदि। डॉक्टर ने कहा कि अभी इस तकनीक को भारत आने में लगभग 10 से 15 साल का वक्त लग जाएगा।
फोटो साभार : pexels
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