इस तकनीक से बिना प्रेगनेंट हुए औरतें बन पाएंगी मां, निसंतान कपल्‍स के लिए है वरदान


कहते हैं कि मां बनने का सुख इस दुनिया में सबसे बड़ा होता है। इस सुख के आगे हर खुशी फीकी पड़ जाती है और एक औरत को जितना प्‍यार अपनी संतान से होता है, उतना किसी और से नहीं होता है। कुछ औरतों को मां बनने का सुख बड़ी आसानी से मिल जाता है जबकि कुछ औरतों को इसके लिए काफी कुछ सहना पड़ता है। फर्टिलिटी प्रॉब्‍लम्‍स जैसे कि पीसीओडी, एंडोमेट्रियोसिस आदि महिलाओं में इनफर्टिलिटी का कारण बनती हैं और उन्‍हें कंसीव करने में दिक्‍कतें पैदा करती हैं। आजकल आईवीएफ से कई कपल्‍स को संतान का सुख मिला है लेकिन फिर भी कुछ मामलों में आईवीएफ भी फेल हो जाती है। ऐसे कपल्‍स के लिए जल्‍द ही ‘आर्टिफिशियल गर्भ फैसिलिटी’ आने वाली है।

​क्‍या है आर्टिफिशियल वॉम्‍ब फैसिलिटी

एक्‍टो लाइफ एक कॉन्‍सेप्‍ट है जो पैरेंट्स को आर्टिफिशयल गर्भाशय की मदद से बच्‍चे पैदा करने का अवसर देगा। इस फैसिलिटी से उन कपल्‍स के मन में उम्‍मीद की किरण जगी है जो सालों से संतान सुख का इंतजार कर रहे हैं।

किसे होगा फायदा

नोएडा के अर्ली इंटरवेंशन सेंटर की पीडियाट्रिशियन डॉक्‍टर स्‍वाति सेठ ने बताया कि जिन महिलाओं के गर्भाशय में कैंसर है या जो किसी भी तरह से गर्भधारण नहीं कर पा रही हैं, उनके लिए यह तकनीक किसी वरदान से कम नहीं है। इस तकनीक में पिता के स्‍पर्म और मां के एग को लैब में फर्टिलाइज कर के फिर आर्टिफिशियल गर्भ में इंप्‍लांट किया जाएगा। यह उन कपल्‍स के लिए खुशी की बात है जो नैचुरली या किसी और ट्रीटमेंट से भी पैरेंट नहीं बन पा रहे हैं।

​इलाइट पैकेज

इस ‘इलाइट पैकेज’ में आप अपने बच्‍चे की हाइट, इंटेलिजेंस, बाल, आंखों का रंग, शारीरिक शक्‍ति और स्किन टोन सब खुद तय कर सकते हैं। यह अवधारणा बर्लिन स्थित हाशम अल-घाइली के दिमाग की उपज है, जो एक निर्माता, फिल्म निर्माता और विज्ञान संचारक और “व्यापार द्वारा आणविक जीवविज्ञानी” हैं।

​कैसा होगा बच्‍चा

डॉक्‍टर कहती हैं कि चूंकि बच्‍चा नौ महीने तक मां के गर्भ जैसे ही आर्टिफिशयल वॉम्‍ब में रहेगा इसलिए उसकी सेहत आदि को कोई खतरा नहीं है। लेकिन इसके साथ ही डॉक्‍टर ने यह भी कहा कि अभी तक किसी पर भी इसका उपयोग नहीं हुआ है इसलिए कुछ भी पक्‍के तौर पर नहीं कहा जा सकता है।

फोटो साभार : pexels

​अहम बातें

डॉक्‍टर ने इस इलाइट पैकेज के बारे में कहा कि अभी इसके सामने बहुत सारी चुनौतियां खड़ी हैं जैसे कि ये तकनीक कितनी सफल हो पाएगी, इसमें कितना खर्चा आएगा, ये किफायती भी होगी या नहीं, बच्‍चा आर्टिफिशियल वॉम्‍ब में कितना सरवाईव कर पाएगा आदि। डॉक्‍टर ने कहा कि अभी इस तकनीक को भारत आने में लगभग 10 से 15 साल का वक्‍त लग जाएगा।

फोटो साभार : pexels



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *