इंडिया में इलेक्ट्रिक गाड़ियां नहीं पकड़ पा रहीं स्पीड, 100 कारों में बस एक EV बिकी, पड़ोसी देशों की प्रोग्रेस चौंका देगी!


हाइलाइट्स

2022 में भारत में 100 कारों में केवल एक ईवी बिकी.
एशिया में EV पेनिट्रेशन का एवरेज 17 फीसदी से ऊपर है, पर भारत में केवल 1.1%.
सरकार का 2030 तक भारत में EV पेनिट्रेशन को 30 फीसदी से करने का लक्ष्य है.

नई दिल्ली. भारत में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की तरफ लोगों का रुझान तो बढ़ रहा है, लेकिन वो रुझान नतीजों में उतनी तेजी नहीं पकड़ पा रहा है जिसकी उम्मीद थी. S&P ग्लोबल रेटिंग्स के मुताबिक, साल 2022 में भारत में लाइट मोटर व्हीकल खरीदने वालों में से केवल 1.1 फीसदी लोगों ने EV खरीदा, जबकि पूरे एशिया का औसत 17.3 फीसदी है. वहीं पूरी दुनिया की बात करें तो औसत 13.3 फीसदी है. ऐसे में अगर भारत को ईवी से एक सस्टेनेबल फ्यूचर क्रिएट करना है तो स्पीड बढ़ानी होगी.

पर आंकड़ों में इतनी कमी का एक कारण ये भी है कि इस S&P ग्लोबल रेटिंग्स के आंकड़ों में टू और थ्री-व्हीलर्स को शामिल नहीं किया गया है. आपको बता दें कि भारत मुख्यरूप से दो-पहिया वाहनों या पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर चलने वाला देश है. टू व्हीलर और थ्री व्हीलर्स भारत के EV मार्केट का 90 फीसदी हिस्सा बनाते हैं. हालांकि, इन्हें मिलाने के बाद भी भारत में ईवी का ओवरऑल पेनिट्रेशन भारत में 4.5 फीसदी करीब ही है.

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भारत सरकार का लक्ष्य है भारत में ईवी पेनिट्रेशन को 2030 तक 30 प्रतिशत पर लाना है. कार कंपनियों की बात करें तो टाटा के पास ईवी का सबसे बड़ा पोर्टफोलियो है. कंपनी नेक्सॉन, टिगोर, टियागो जैसे पसंद किए जाने वाले अपने मॉडल्स के ईवी वेरिएंट लॉन्च कर चुकी है. साल 2022 में टाटा की टोटल सेल का 6 फीसदी ईवी से आया. कंपनी का टारगेट 2026 तक अपने सेल्स के ईवी शेयर को 20 फीसदी तक बढ़ाने का है.

EV1

भारत में 2022 में कार लेने वाले 100 में से एक व्यक्ति ही इलेक्ट्रिक कार खरीदी.

EV पेनिट्रेशन कम होने की वजहें क्या हो सकती हैं?
भारत में EV कार खरीदने में ज्यादा लोगों का इंटरेस्ट नहीं होने की बड़ी वजह ये हो सकती है कि भारत में अभी ईवी का इंफ्रास्ट्रक्चर पूरी तरह डेवलप नहीं हुआ है. ऐसे में हो सकता है कि लोग इसे थोड़े अनश्योर हों. हालांकि, EV के एडॉप्शन को बढ़ाने के लिए इस साल के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने FAME II स्कीम के तहत 5172 करोड़ रुपये की सब्सिडी देने का ऐलान किया है. वहीं, FAME II स्कीम के तहत केंद्र सरकार ने मार्च, 2024 तक देशभर में 7432 चार्जिंग स्टेशंस लगाने के लिए 800 करोड़ रुपये सैंक्शन किए हैं. संभावना है कि चार्जिंग स्टेशंस लगने से ईवी को लेकर लोगों का कन्फ्यूज़न दूर होगा और भारत में ईवी एडॉप्शन आने वाले समय में बढ़ेगा.

चीन-जापान में कितना है ईवी पेनिट्रेशन?
एशिया के दूसरे देशों की बात करें तो इस मामले में चीन 27.1 फीसदी के साथ सबसे आगे चल रहा है. वहीं, साउथ कोरिया में ईवी पेनिट्रेशन 10.3 फीसदी है. वहीं, जापान की बात करें तो जापान क्लीन टेक्नोलॉजी के लिए केवल इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर फोकस नहीं कर रहा है. इसके बावजूद जापान में ईवी पेनिट्रेशन 2.2 फीसदी है. वहीं, थाईलैंड में ये 2.5 फीसदी के करीब है.

EV सप्लाई चेन में एशिया का दबदबा!
इलेक्ट्रिक व्हीकल के सप्लाई चेन में एशियाई देशों का दबदबा है. गाड़ियों में लगने वाली बैटरी का 98 फीसदी हिस्सा इसी क्षेत्र से आता है. S&P ग्लोबल रेटिंग्स का मानना है कि 2025 तक भी एशिया का 90 फीसदी मार्केट पर कंट्रोल रहेगा. हालांकि, भारत अभी भी बैटरीज़ के लिए आयात पर निर्भर है. इस क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार बैटरी मैनुफैक्चरिंग कंपनीज़ को बढ़ावा दे रही है. माना जा रहा है कि अगले दो साल में भारत में 50 गिगावाट कैपेसिटी के बराबर बैटरीज़ का निर्माण कर लिया जाएगा.

वहीं, बैटरी के लिए लगने वाले रॉ मटेरियल की बात करें तो हाल ही में जम्मू-कश्मीर में 5.9 टन लीथियम के भंडार का पता चला है. इसका फायदा भी भारत की बैटरी निर्माता कंपनियां कर सकती हैं.

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