अखंड भारत के नक्शे पर नेपाल-पाकिस्तान ने आपत्ति जताई, अब भारत ने दी सफाई, केवल मौर्य साम्राज्य के प्रसार को दिखाया गया

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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने स्पष्ट किया कि भित्तिचित्र का मुद्दा नेपाली नेता द्वारा नहीं उठाया गया था। उन्होंने कहा, ‘इसलिए मुझे नहीं पता कि विरोध अभी भी जारी है या नहीं।निश्चित रूप से नेपाली पक्ष ने इसे नहीं उठाया।

नए संसद भवन की एक तस्वीर लगातार चर्चा में बनी हुई है। दरअसल, नए संसद भवन में अखंड भारत का एक नक्शा भी लगा हुआ है। अखंड भारत के इस नए नक्शे को देख कई देशों की बेचैनी भी बढ़ गई है। पाकिस्तान में तो भारत की नई संसद में लगे इस अखंड भारत के नक्शे को लेकर चर्चा तेज है ही। लेकिन एक और पड़ोसी मुल्क नेपाल भी इस पर चितिंत हो उठा है। जिसके बाद अब भारत ने नए संसद भवन के अंदर ‘अखंड भारत’ के भित्ति चित्र पर पड़ोसी देशों नेपाल और पाकिस्तान के नाराज होने के बाद सफाई दी है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि विचाराधीन भित्ति चित्र अशोक साम्राज्य के प्रसार को दर्शाता है। यह जन-केंद्रित है।

नए संसद भवन के उद्घाटन के बाद केंद्रीय संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने भित्तिचित्र की एक तस्वीर ट्वीट की थी, जिसका शीर्षक था, ‘संकल्प स्पष्ट है – अखंड भारत। इससे नेपाल में विरोध तेज हो गया है। नेपाल के पूर्व प्रधान मंत्री बाबूराम भट्टाराई ने एक बयान में कहा कि इस नक्श में भारत के अधिकांश निकटतम पड़ोसियों के बीच पहले से ही द्विपक्षीय संबंधों को खराब करने वाले विश्वास की कमी को और अधिक बढ़ाने की क्षमता है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने भी नक्शे का विरोध किया है। ‘अखंड भारत’ से जोड़ने वाले एक केंद्रीय मंत्री सहित कुछ भाजपा नेताओं के बयानों से हम स्तब्ध हैं।  विदेश कार्यालय की प्रवक्ता मुमताज ज़हरा बलोच ने कहा, ‘अखंड भारत’ का अनावश्यक दावा एक संशोधनवादी और विस्तारवादी मानसिकता का प्रकटीकरण है, जो न केवल भारत के पड़ोसी देशों बल्कि अपने स्वयं के धार्मिक अल्पसंख्यकों की पहचान और संस्कृति को भी अपने अधीन करना चाहता है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने स्पष्ट किया कि भित्तिचित्र का मुद्दा नेपाली नेता द्वारा नहीं उठाया गया था। उन्होंने कहा कि इसलिए मुझे नहीं पता कि विरोध अभी भी जारी है या नहीं। निश्चित रूप से नेपाली पक्ष ने इसे नहीं उठाया। उन्होंने यह भी दावा किया कि भित्तिचित्र अखंड भारत के बारे में नहीं था, बल्कि प्राचीन मौर्य साम्राज्य का विस्तार था।बागची ने कहा, भित्तिचित्र अशोक के साम्राज्य के प्रसार और जिम्मेदार और जन-उन्मुख शासन के विचार को दर्शाती है, जिसे उन्होंने अपनाया और प्रचारित किया। भित्तिचित्र और इसके सामने लगी पट्टिका यही कहती है।

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