नई दिल्ली7 मिनट पहले
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सर्वाइकल कैंसर से लड़ने के लिए बनाई गई सीरम इंस्टीट्यूट की CERVAVAC वैक्सीन इस महीने से मार्केट में उपलब्ध हो जाएगी। इस वैक्सीन में दो डोज होंगे। इसकी कीमत 2 हजार रुपए है। ये सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ पहली स्वदेशी ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (HPV) वैक्सीन है।
वैक्सीन को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII), डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी (DBT), बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल (BIRAC) और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने मिलकर बनाया है। SII के CEO अदार पूनावाला का कहना है कि शुरुआत में वैक्सीन की क्वान्टिटी कम होगी। अगले साल प्रोडक्शन को बूस्ट किया जाएगा।
स्कूलों में लगाई जाएगी वैक्सीन
केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से देशभर में छात्राओं के बीच सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम और HPV वैक्सीन के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने को कहा है। इसके अलावा कैंसर के खतरे की रोकथाम के लिए केंद्र सरकार जल्द ही स्कूल लेवल पर वैक्सीनेशन प्रोग्राम की शुरुआत करेगी। केंद्र सरकार की ओर से इस अभियान की शुरुआत खासकर 9 से 14 साल की लड़कियों के लिए स्कूलों में की जाएगी।

फिलहाल देश में दो विदेशी वैक्सीन मौजूद
भारत में सर्वाइकल कैंसर के लिए 2008 से Gardasil और Cervarix नाम की दो विदेशी वैक्सीन मौजूद हैं। इनकी एक डोज 3 हजार रुपए से शुरू होकर 10 हजार रुपए तक आती है। 9 से 14 साल की किशोरियों को 6 महीने के अंतराल में दो डोज लगती हैं। वहीं 15 से 45 साल उम्र की महिलाओं को तीन डोज लगती हैं।
महिलाओं के लिए जानलेवा है सर्वाइकल कैंसर
सर्वाइकल कैंसर दुनियाभर में महिलाओं के लिए दूसरी सबसे घातक बीमारी है। यह कैंसर योनि से शुरू होकर मूत्राशय, मलाशय से लेकर फेफड़ों तक में बहुत तेजी से फैलता है। यह बीमारी पैपिलोमा वायरस (HPV) नाम के वायरस के संक्रमण की वजह से होती है। जो महिलाएं ज्यादा धूम्रपान करती हैं या इम्यूनिटी को दबाने वाली दवाओं का ज्यादा सेवन करती हैं, उन्हें इस कैंसर का खतरा ज्यादा होता है।

सर्वाइकल कैंसर से देश में सालाना 75 हजार मौतें
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, सर्वाइकल कैंसर भारत में दूसरा सबसे ज्यादा होने वाला कैंसर है। हर साल लगभग 1.25 लाख महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर पाया जाता है और इस बीमारी से भारत में 75 हजार से ज्यादा मरीजों की मौत हो जाती है। यह दुनिया में सर्वाइकल कैंसर से होने वाली मौतों का तकरीबन एक चौथाई है। यह कैंसर सबसे ज्यादा 35 से 44 की उम्र की महिलाओं में पाया जाता है।
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