नई दिल्ली8 घंटे पहले
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भारत सरकार ने पार-बॉयल्ड राइस यानी उबले चावल के एक्पोर्ट पर 20% ड्यूटी लगा दी है। सरकार का यह फैसला तत्काल प्रभाव से लागू होगा यानी अभी से ही इसके एक्सपोर्ट पर टैक्स लगना शुरू हो जाएगा। दुनिया के सबसे बड़े चावल एक्सपोर्टर के इस निर्णय के बाद एक्सपोर्ट में कमी आएगी और ग्लोबल मार्केट में चावल की कीमतें और बढ़ जाएंगी।
इस साल सरकार ने चावल की कई किस्मों के एक्सपोर्ट पर बैन या प्रतिबंध लगाया है। पिछले साल भारत ने 74 लाख टन उबले चावल का एक्सपोर्ट किया था। मुंबई के एक डीलर ने बताया कि चावल की दूसरी किस्मों पर बैन के कारण उबले चावल की खरीद रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गई थी।
इस एक्सपोर्ट ड्यूटी के बाद पार-बॉयल्ड राइस की कीमत पाकिस्तान और थाईलैंड जितनी हो जाएगी। अब इंपोर्ट के लिए विदेशी व्यापारियों के पास कोई सस्ता ऑप्शन नहीं बचेगा। दुनिया के टोटल चावल एक्पोर्ट में भारत की हिस्सेदारी 40% से ज्यादा है।

जुलाई में नॉन-बासमती सफेद चावल के एक्सपोर्ट पर बैन लगाया था
पिछले साल सरकार ने ब्रोकेन राईस यानी टूटे चावल और इस साल जुलाई में नॉन-बासमती सफेद चावल के एक्पोर्ट पर बैन लगाया था। चावल की यह दोनों किस्में एशिया, अफ्रीका जैसे देशों में सबसे ज्यादा खाई जाती हैं। इस बैन के चलते दुनिया भर में चावल की कीमतें करीब 12 साल के उच्चतम स्तर पहुंच गई है। जुलाई में एक्सपोर्ट पर बैन लगाने के करीब एक हफ्ते बाद अमेरिका के कई सुपर मार्केट में लोगों को चावल के लिए लंबी लाइनों में घंटों भर खड़ा देखा गया।
भारत ने चावल के सप्लाई पर बैन क्यों लगाया?
20 जुलाई को भारत ने डोमेस्टिक सप्लाई को बढ़ने और त्योहार के वक्त रिटेल कीमतों को कंट्रोल में रखने के लिए गैर-बासमती सफेद चावल की सप्लाई में रोक लगा दी थी। देश से करीब 25% सप्लाई गैर-बासमती सफेद चावल की होती है। नेपाल में मुख्य रूप से चावल खाया जाता है इसलिए चावल की कमी पूरी करने के लिए एक बड़ा हिस्सा वहां भारत से जाता है।

नेपाल ने भारत से मांगा है चावल
हाल ही में नेपाल ने भारत से चावल की मांग की है। दरअसल, अगले कुछ महीनों में त्योहार का सीजन आने वाला है। ऐसे में इस दौरान खाने के सामानों की कमी से बचने के लिए नेपाल ने ये मांग की है। काठमांडू पोस्ट के मुताबिक, नेपाल के कॉमर्स एंड सप्लाई मिनिस्ट्री के जॉइंट सेक्रेटरी राम चंद्र तिवारी ने बताया की पिछले हफ्ते उन्होंने भारत से चावल, चीनी और धान उपलब्ध कराने की अपील की है।
नेपाल ने भारत से 10 लाख टन धान, एक लाख टन चावल और 50 हजार टन चीनी उपलब्ध कराने की मांग की है। तिवारी ने कहा- भारत ने हाल ही में घरेलू कीमतों को कंट्रोल में लाने के लिए गैर बासमती चावल की सप्लाई पर रोक लगाई थी।

अक्टूबर से शक्कर एक्सपोर्ट पर बैन लगा सकती है सरकार
अक्टूबर से शुरू होने वाले क्रॉप सीजन से सरकार शक्कर के एक्सपोर्ट पर बैन लगा सकती है। सरकार से जुड़े 3 लोगों ने रॉयटर्स को बताया है कि बारिश की कमी के चलते गन्ने के प्रोडक्शन में कमी आई है। इसलिए देश में चीनी की कीमतों को काबू में रखने और इथेनॉल प्रोडक्शन के लिए पर्याप्त गन्ना बचाने के लिए सरकार यह फैसला ले सकती है। इस फैसले से ग्लोबल मार्केट में कीमतें बढ़ सकती हैं। सरकार ने इसके पहले 2016 में चीनी एक्सपोर्ट को कम करने के लिए 20% टैक्स लगा दिया था।