वैसे तो साल 2023 में लोगों के पास शादी या लिव-इन दोनों का ऑप्शन खुला है। लेकिन लिव-इन रिलेशनशिप को हमारे समाज में अच्छा नहीं माना जाता है। विवाह से पहले जो लोग साथ में पति-पत्नी की तरह रहते हैं, समाज उन्हें हमेशा ही बुरी नजरों से देखता है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि लिव-इन रिलेशनशिप और शादी में से कौन सा रिश्ता ज्यादा बेहतर है।
शादी समाज का स्वीकारा हुआ रूप

भारत में शादी से पहले अपने साथी के साथ रहना अभी भी वर्जित है। जो लोग बिना शादी के कपल्स की तरह साथ रहते हैं, उन्हें हमेशा ही बहुत सारी समस्यायों का सामना करना पड़ता है। वहीं अगर आपकी शादी हो जाती है, तो उसे न केवल सामाजिक बल्कि कानूनी रूप से भी स्वीकार किया जाता है। हालांकि, हमारे समाज में शादी एक बंधन है, जिसे चाहते हुए भी तोड़ा नहीं जा सकता। ऐसा इसलिए क्योंकि हम बहुत से लोगों को देखते हैं, जो एक साथ एक छत के नीचे रहते हुए भी अलग-अलग लाइफ जी रहे हैं।
वह चाहकर भी एक-दूसरे से अलग नहीं हो पाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके इस कदम से उनके बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। पुराने समय में महिलाएं अक्सर ऐसा सहती थीं। यही एक वजह भी है कि इन सब झंझटों से बचने के लिए कपल्स लिव-इन पर विचार करने लगे है। वह साथ रहते हुए पहले एक दूसरे को समझते हैं और फिर शादी करने का विचार करते हैं।
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लीगल कपल बन जाएं

पुरानी पीढ़ी के लोगों के अनुसार अगर आप शादी से पहले किसी के साथ रहते हैं और वही सब कर रहे हैं, जो शादी के बाद करते हैं तो क्यों न इसे नाम दे दिया जाए। पेपर पर साइन करके क्यों न आप लीगल कपल बन जाएं। लेकिन न्यू जनरेशन के अनुसार शादी यौन संबंध बनाने और बच्चे पैदा करने के लिए ही नहीं है।
पुराने जमाने के लोगों के हिसाब से शादी का मतलब प्यार और दो परिवारों का मिलन है। जबकि नए लोगों के अनुसार लिव-इन में आप बंधे हुए नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें आपका परिवार शामिल नहीं होता है। हालांकि, वेर्स्टन कल्चर में लिव-इन रिलेशनशिप बहुत सामान्य है। वहां शादीशुदा न होते हुए भी बच्चे पैदा करना आम है। लेकिन अगर हम अपने भारतीय समाज को देखें, तो यहां ऐसा करना किसी गुनाह से कम नहीं है।
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रिश्ते में बंधे रहना जरूरी नहीं

शादी जैसे रिश्ते में बंधना एक बहुत ही लंबा प्रोसेस है। इसलिए कई युवा इससे पीछे हट जाते हैं। इसमें भी पेरेंट्स तलाक न लेने की चेतावनी दे डालते हैं। उनका कहना है कि आप इस बंधन में बंध गए हैं। आपको समाज के अनुरूप चलना है। इसलिए आप कुछ भी गलत नहीं कर सकते। अगर आपके बच्चे हो गए, तो अब आपको कई चीजाें के बारे में सोचना भी पड़ता जबकि लिव-इन में ऐसा कुछ नहीं होता है।
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लिव-इन में असुरक्षा की भावना

अगर दो लोग लिव-इन में रहने के इच्छुक हैं, तो यह उनमें असुरक्षा की भावना पैदा कर सकता है। क्या वह कमिटेड होगा? क्या होगा अगर वो किसी और के साथ नाइट स्टे करने लगा गया? क्या हमें किराए पर घर मिलेगा क्योंकि हम शादीशुदा नहीं है। लिव-इन के दौरान इस तरह के नकारात्मक विचार मन में आने लगते हैं। यही नहीं, गर्भावस्था भी लिव-इन में चिंता का मुख्य विषय है।
शादी और लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर हर व्यक्ति के अपने अलग विचार हैं। किसी को शादी करके जीवन बिताना सही लगता है, तो कोई लिव-इन रिलेशनशिप पर विचार करता है। उसका फैसला जो भी हो इसके लिए उसकी आलोचना करना सही नहीं है।
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