रूस-यूक्रेन युद्ध में सर्दियां बनेंगी बड़ा हथियार, कैसे लड़ेंगे रूसी सैनिक, क्‍या होगा जंग का नतीजा


कीव: रूस और यूक्रेन युद्ध के सात माह बाद भी इसका नतीजा किसी को नहीं मालूम। कुछ हफ्तों पहले तक ऐसा लग रहा था कि युद्ध खून जमा देने वाली ठंड में भी जारी रहेगा क्‍योंकि दोनों ही पक्षों की तरफ से कोई खास प्रगति नहीं हो रही थी। लेकिन पिछले कुछ हफ्तों में इस युद्ध का रुख बदला है और यूक्रेन को खारकीव के कुछ इलाकों में सफलता हासिल हुई है। इसके बाद यूक्रेन के पश्चिमी समर्थकों में उत्‍साह भर गया है। विशेषज्ञों के मुताबिक रूसी सेना को अब खुद से सवाल पूछना पड़ेगा कि उन्‍हें किस जगह पर तैनात होना है ताकि वह फिर से फायदे में आ सकें।

रूस के पास ऑप्‍शन
रूस के पास मुश्किल विकल्‍प हैं, या तो वह यूक्रेन में अपनी यूनिट्स को मजबूत करने के लिए सामान्‍य संसाधनों को जुटाए ताकि इकाइयों को फिर से मजबूत किया जा सके। उसे यह भी सोचना होगा कि कैसे अब घाटे को व्‍यवस्थित किया जाए, यह भी सोचना होगा। हालांकि रूस का विदेशी मुद्रा भंडार एतिहासिक तौर पर सर्वोच्‍च स्‍तर पर है। रूस को अब यह सोचना होगा कि वह कैसे यूरोप तक होने वाली गैस सप्‍लाई को हथियार के तौर पर प्रयोग कर सकता है। यूरोप की सरकारें अब सर्दियों में मुश्किल आपूर्ति के लिए खुद को तैयार कर रही हैं। साथ ही रूस को चीन का समर्थन भी मिला हुआ है, भले ही यह आधे मन से हो लेकिन उसे इसका फायदा मिल रहा है। यूक्रेन से डरकर भाग रहे रूसी सैनिक, युद्ध में अब जेलेंस्की की सेना से कैसे निपटेंगे पुतिन?
यूक्रेन हो रहा आक्रामक
यूक्रेन की सेनाओं ने खारकीव में अपनी आक्रामकता का उदाहरण दे दिया है। दक्षिण में भी उसे कुछ जगहों पर फायदा मिल रहा है। यूक्रेन की आक्रामकता की वजह से रूस को अब अपने ही घर में आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। जैसे-जैसे सर्दियां दस्‍तक दे रही हैं, यूक्रेन को अब अपनी प्राथमिकताएं तय करनी पड़ेंगी। उसे यह सोचना पड़ेगा कि कैसे इस मौसम का फायदा उठाकर वह रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमिर पुतिन की उन कोशिशों पर कैसे पानी फेर सकता है जिसके तहत दोनस्‍तेक और लुहांस्‍क क्षेत्र पर कब्‍जा करना है। यूक्रेन के खारकीव से लेकर खेरसॉन तक रूस को हर तरफ मिल रही करारी हार, अपनों के निशाने पर पुतिन
रूस ने इस समय यूक्रेन की 20 फीसदी जमीन पर अपना नियंत्रण किया हुआ है जिसमें क्रीमिया और दक्षिण का कुछ हिस्‍सा भी शामिल है। दोन्‍स्‍तेक पर कब्‍जा फिलहाल मुश्किल लग रहा है। रूस के पास संसाधनों का अभाव है, सात महीने बाद यह बात अब दुनिया के सामने आ गई है। ऐसे में जब सर्दियां शुरू होंगी तो चुनौतियां और बढ़ जाएंगी।

क्‍या करेंगे रूस के सैनिक

रूस की सेनाओं के पास नई यूनिट्स और ऐसे सैनिक नहीं बचे हैं जो थके न हो। खेरसॉन में रूस की सेनाओं पर दबाव बढ़ता जा रहा है। यूक्रेन की सफलता के बाद निप्रो नदी की तरफ सप्‍लाई पूरी तरह से कट चुकी है। साथ ही अब कमांडपोस्‍ट्स और हथियारों के डिपो को भी निशाना बनाया जा रहा है। यूक्रेन के भी हजारों सैनिक इस युद्ध में मारे गए हैं जिसमें से डॉनबैस की बेस्‍ट यूनिट्स के सैनिक भी थे।

नाटो के एक ऑफिशियल की मानें तो यूक्रेन के सैनिक जिस तरह से परफॉर्म कर रहे हैं, उससे उनका मनोबल निश्चित रूप से बढ़ा है। वहीं, रूस की रॉकेट फोर्स भी यूक्रेन युद्ध में कुछ खास नहीं कर पाई है। 40 फीसदी दोनस्‍तेक अभी तक यूक्रेन के कब्‍जे में है और रूस की हर रणनीति फेल होती नजर आ रही है।



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *